झारखंड के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है. लंबे समय से फसल बीमा योजना का इंतजार कर रहे झारखंड के किसानों के लिए फसल बीमा योजन राज्य में लागू करने का फैसला किया गया है. हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया कि झारखंड में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू किया जाएगा. इस बीमा योजना का नाम बिरसा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना रखा गया है. हालांकि यह योजना केंद्र सरकार की है, पर इसमें सिर्फ बिरसा नाम योजना के आगे जोड़ा गया है. यह अलग से कोई नई योजना नहीं है. पर किसानों को इस योजना का लाभ मिलेगा.
योजना के बारे मे बताते हुए ऑर्गेनिक फार्मिंग ऑथोरिटी ऑफ झारखंड के सीईओ अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि बिरसा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केंद्र सरकार की योजना है. झारखंड कैबिनेट ने इस योजना को राज्य में फिर से नए नाम के साथ लागू करने का फैसला किया है. इस योजना को अब बिरसा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम से लागू किया जाएगा. इसमें किसानों को बीमा का लाभ लेने के लिए उनके हिस्से का प्रीमियम भरना पड़ेगा. बाकी प्रीमियम की राशि का भुगतान राज्य सरकार की तरफ से किया जाएगा. किसानों को केंद्र की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधानों के आधार पर बीमा राशि का भुगतान किया जाएगा. बता दें कि 2019 में नई सरकार के गठन के बाद राज्य सरकार ने खुद को इस योजना से बाहर कर दिया था.
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झारखंड कैबिनेट के इस नए फैसले पर झारखंड के किसान काफी खुश हैं. उन्होंने राज्य सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि देर आए पर दुरुस्त आए. मांडर प्रखंड के किसान गंदूरा उरांव ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों के हित में अच्छा फैसला लिया है. क्योंकि झारखंड के किसानों को लगातार दो सालों से प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसान का सामना करना पड़ रहा था. पर राज्य में कोई फसल बीमा योजना नहीं हो पाने के कारण किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा था. पर अब किसानों को यह उम्मीद जगी है कि अगर उन्हें किसी तरह का नुकसान होता है तो बीमा योजना के तहत वो क्लेम कर पाएं.
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वहीं झारखंड में बिरसा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू करने के फैसले पर झारखंड किसान मोर्चा के कार्यकारिणी अध्यक्ष पंकज राय ने कहा कि वो इस फैसले का स्वागत करते हैं. उन्होंने सवाल पूछा कि आखिर जब चुनाव सिर पर है तो फिर इस वक्त सरकार को किसानों की याद आ रही है. जबकि झारखंड के किसानों को पिछले कुछ वर्षों के दौरान प्राकृतिक आपदा, हाथी के हमले के कारण भारी फसल नुकसान का सामना करना पड़ा है. किसानों को उसके बदले कुछ नहीं मिला. उन्होंने कहा कि पांच साल में सरकार यह तय नहीं कर पाई कि किसानों के लिए कौन सा फसल बीमा लागू किया जाए. उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना में भी सुधार की जरूरत है.
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