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Govardhan Puja: आज है गोवर्धन पूजा, जानें पूजन की विधि और शुभ मुहूर्त

Govardhan Puja: आज है गोवर्धन पूजा, जानें पूजन की विधि और शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजा का पर्व आज मनाया जा रहा है. गोवर्धन पूजा का उत्तर भारत में खासकर ब्रज भूमि मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल, बरसाना में इसका अधिक महत्व है. गोवर्धन पूजा के लिए घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है. इसे फूलों और दीपों से सजाया जाता है.

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गोवर्धन पूजा गोवर्धन पूजा

पूरे देश में आज गोवर्धन का त्योहार मनाया जा रहा है. गोवर्धन पूजा में गौ धन यानी गायों की पूजा की जाती है और गायों को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है. इसे अन्नकूट भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने देवताओं के राजा इंद्र के घमंड को तोड़ने और गोकुल के लोगों को उनके क्रोध से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था. उस समय से ही भगवान कृष्ण के उपासक उन्हें गेहूं, चावल, बेसन से बनी सब्जी और पत्तेदार सब्जियां अर्पित करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं गोवर्धन पूजा की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त.

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजन के लिए आज तीन सबसे शुभ मुहूर्त हैं. एक मुहूर्त सुबह 6 बजकर 34 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. दूसरा मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 23 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 35 मिनट तक रहेगा और तीसरा मुहूर्त शाम 5 बजकर 35 मिनट से लेकर 6 बजकर 01 मिनट तक रहेगा.  

गोवर्धन पूजा की पूजन विधि

गोवर्धन पूजा के लिए घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है. इसे फूलों और दीपों से सजाया जाता है, प्रसाद और फल चढ़ाए जाते हैं. पूजा के बाद गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की सात बार परिक्रमा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन गोवर्धन पूजा करने और गायों को गुड़-चना खिलाने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं.

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गोवर्धन पूजा क्यों मनाते हैं?

हिन्दू मान्यता के अनुसार एक बार ब्रज में पूजा का कार्यक्रम चल रहा था. सभी लोग इंद्रदेव की पूजा करने की तैयारी कर रहे थे. तब श्रीकृष्ण ने पूछा कि इंद्र देव की पूजा क्यों करेंगे, तब यशोदा माता ने बताया कि इंद्र देव वर्षा कराते हैं जिसके कारण अन्न पैदा होता है, जिससे गायों के लिए चारा उपलब्ध होता है. तब श्रीकृष्ण ने कहा कि वर्षा करना इंद्रदेव का कर्तव्य है. इसलिए उनकी पूजा न करके गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि गायें गोवर्धन पर्वत पर चरती हैं. इसके बाद सभी ब्रजवासी इंद्रदेव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे.

इससे इंद्रदेव क्रोधित हुए और मूसलाधार बारिश करने लगे, जिससे अफरा-तफरी मच गई. सभी ब्रजवासी अपने पशुओं की सुरक्षा के लिए भागने लगे. तब श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का अहंकार तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया. सभी ब्रजवासियों ने पहाड़ों पर शरण ली. जिसके बाद इंद्रदेव को अपनी गलती का एहसास हुआ. उन्होंने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी. इसके बाद से गोवर्धन पर्वत की पूजा की परंपरा शुरू हुई. इस पर्व में अन्नकूट यानी अन्न और गोवंश की पूजा का बहुत महत्व है.