यूपी दूध उत्पादन में पहले नंबर पर है. यूपी में पशुओं की संख्या भी खूब है. दूध उत्पादन करने वाले देश के टॉप-5 राज्यों में यूपी हमेशा शामिल रहता है. बावजूद इसके यूपी के पशुपालकों की हालत ठीक नहीं है. यूपी में दूध कारोबार असंगठित है. दूसरे राज्यों के मुकाबले यूपी खुद भी एक्सपोर्ट के मामले में कॉफी पीछे है. इतना ही नहीं घरेलू बाजार में भी यूपी का हाल कोई बहुत अच्छा नहीं है. इसी को देखते हुए केन्द्र सरकार यूपी में डेयरी को बढ़ावा देने के लिए कुछ बड़ा प्लान कर रही है. खास बात ये है कि 12 नवंबर को केन्द्र और यूपी सरकार के बीच इस मामले पर एक जरूरी बैठक होने जा रही है.
इस बैठक में केन्द्र मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन और डॉ. एसपी सिंह बघेल शामिल रहेंगे. यूपी में डेयरी सेक्टर को लेकर केन्द्र सरकार गंभीर है. ये जानकारी देते हुए एसपी सिंह बघेल ने बताया यूपी में इस बात की बहुत संभावना है कि वहां डेयरी के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है. मैं खुद भी यूपी सरकार में पशुपालन मंत्री रहा हूं. इतना ही नहीं यूपी में पोल्ट्री को लेकर भी हम विचार कर रहे हैं. 12 नवंबर को हम लोग यूपी जा रहे हैं इस मामले पर चर्चा करने के लिए.
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केन्द्रीय सहकारिता और गृहमंत्री अमित शाह लगातार इस बात पर जोर देते हैं कि डेयरी सेक्टर की तरक्की कोऑपरेटिव में छिपी है. हाल ही में नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड ने अपना गोल्डन जुबली समारोह मनाया था. इस दौरान उन्होंने डेयरी में कोऑपरेटिव के महत्व पर बात करते हुए कहा था कि कोऑपरेटिव से जुड़कर ही पशुपालक को दूध का सही दाम मिल पाता है. पशुपालन में आने वाली नई-नई टेक्नोलॉजी का फायदा भी पशुपालक कोऑपरेटिव से जुड़कर ही उठा पाता है. सिर्फ अमूल ही नहीं इसके और भी बहुत सारे उदाहरण हैं. उन्होंने यह भी बताया कि देश में 8 करोड़ डेयरी किसान परिवार हैं. इसमे से डेढ़ करोड़ ही कोऑपरेटिव से जुड़े हुए हैं. बाकी के 6.5 करोड़ परिवारों को भी जोड़ने के लिए केन्द्र सरकार योजनाओं पर काम कर रही है.
डेयरी मंत्री राजीव रंजन खुद कई कार्यक्रम में डेयरी कोऑपरेटिव को लेकर बात करते रहे हैं. उनका तो यहां तक कहना है कि दूध में मिलावट का खेल असंगठित क्षेत्र की वजह से चल रहा है. अगर दूध कारोबार संगठित हो जाए तो काफी हद तक मिलावट पर काबू पाया जा सकता है.
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