Goat Milk Market बकरी का दूध सिर्फ दूध ही नहीं दवाई भी है. किसी एक दवाई में इतने गुण नहीं होंगे जितने की बकरी के दूध में शामिल हैं. आपको सुनकर ताज्जुब होगा, लेकिन यूरोप में बच्चों की 80 फीसद बनने वाली दवाईयों में बकरी का दूध इस्तेमाल होता है. बकरी के दूध के गुणों को देखते हुए ही इस पर और ज्यादा रिसर्च की बात की जा रही है. दूध के गुणों को देखते हुए ही बाजार में दूध की डिमांड बढ़ रही है. धीमी गति से ही सही, लेकिन उत्पादन भी बढ़ रहा है.
डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि बकरी के दूध का उत्पादन संगठित नहीं है. यही वजह है कि जो डिमांड है वो भी पूरी नहीं हो पाती है. वहीं संगठित न होने के चलते डिमांड उत्पादन करने वाले पशुपालक तक भी नहीं पहुंच पाती है. हालांकि गुजरात में कमर्शियल स्तर पर दो से तीन बकरी फार्म पर काम भी शुरू हो गया है.
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी ने किसान तक को बताया कि डेयरी के कई बड़े प्लेयर की बकरी के दूध पर नजर है. बाजार भी अच्छा है. डिमांड भी है. लेकिन सबसे बड़ी परेशानी बकरी का दूध कलेक्शन करने में आती है. अभी होता ये है कि किसी के पास पांच बकरी हैं तो किसी के पास 10. इस तरह से पांच-दस लीटर दूध कलेक्ट करने के लिए अलग-अलग दिशा में कई-कई किमी तक जाना पड़ता है. इसमे वक्त भी खराब होता है तो लागत भी ज्यादा आती है. बड़े बकरी फार्म की संख्या़ अभी कम है. लेकिन इस तरफ कोशिश शुरू हो गई हैं. कई लोगों ने बड़े बकरी फार्म की शुरुआत कर दी है.
बकरी पालन अभी संगठित नहीं है, लेकिन ये तय है कि जैसे ही ये संगठित होगा तो डेयरी से जुड़े कुछ बड़े प्लेयर बकरी के दूध कारोबार में भी आ जाएंगे. जैसे आज अमूल ऊंट का पैक्ड दूध बेच रही है. एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक दक्षिण भारत के कई राज्यों में बकरी पालन तेजी से बढ़ रहा है. केन्द्रीय एनिमल हसबेंडरी और डेयरी मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022-23 में बकरी के दूध का 76 लाख टन उत्पादन हुआ है. जबकि 2021-22 में 65 लाख टन दूध का उत्पादन हुआ था. यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा दूध का उत्पादन हो रहा है. गुजरात में ही दो से तीन बड़े बकरी फार्म पर काम चल रहा है. अगर बड़े बकरी फार्म खुलने लगे तो फिर बड़ी कंपनियां भी आ जाएंगी.
ये भी पढ़ें- Fish Farming: कोयले की बंद खदानों में इस तकनीक से मछली पालन कर कमा रहे लाखों रुपये महीना
ये भी पढ़ें- Cage Fisheries: 61 साल बाद 56 गांव अपनी जमीन पर कर रहे मछली पालन, जानें वजह
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today