पशुगणना की तरह से हर 5 साल बाद पशुगणना भी कराई जाती है. इसी से पता चलता है कि देश में गाय-भैंस और भेड़-बकरियों की संख्या घट रही है या बढ़ रही है. अच्छी बात ये है कि इस बार की 21वीं पशुगणना 2024 25 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है. इस बार की पशुगणना में कुछ चीजें पहली बार हो रही हैं. जैसे पशुगणना इस बार मोबाइल ऐप से हो रही है. दूसरा ये कि इस बार की पशुगणना में छुट्टा जानवर जैसे गाय और कुत्तों को भी शामिल किया गया है. लेकिन 20वीं पशुगणना 2019 के दौरान गाय-भैंस और भेड़-बकरियों की संख्या कितनी थी.
किन पशुओं की संख्या लगातार घट रही थी. किसी पशु की कोई एक खास नस्ल खतरे में थी. अगर कोई नस्ल बढ़ रही थी तो उसकी संख्या क्या थी इस बारे में सभी आंकड़ों के बारे में हमने कुछ एक्सपर्ट से बात की. क्योंकि जिन पशुओं की नस्लों पर खतरा था उन पर और ज्यादा काम करने की जरूरत होगी.
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2019 की पशुगणना के मुताबिक देश में पशुधन (लाइव स्टॉक) की कुल आबादी 53.61 करोड़ है. जो पशुधन पशुगणना, 2012 की तुलना में 4.8 फीसद की वृद्धि दिखाती है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कुल पशुधन आबादी 50.14 करोड़ और 2.2 करोड़ है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में 95.78 फीसद और शहरी क्षेत्रों में 4.22 फीसद है. ग्रामीण क्षेत्रों में कुल पशुधन आबादी में 4.56 फीसद की वृद्धि हुई थी और शहरी क्षेत्रों में यह वृद्धि 11.19 फीसद थी. पिछली पशुगणना की तुलना में कुल स्वदेशी मवेशियों की आबादी में 6 फीसद की गिरावट आई थी. हालांकि, 2012-2019 के दौरान स्वदेशी मवेशियों की आबादी में गिरावट की गति 2007-12 की तुलना में 9 फीसद से बहुत कम थी.
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