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Livestock Census-21: शुरू हो गई पशुओं की गिनती, पिछली बार कितने घटे-बढ़े थे पढ़ें यहां

Livestock Census-21: शुरू हो गई पशुओं की गिनती, पिछली बार कितने घटे-बढ़े थे पढ़ें यहां

साल 2019 की 20वीं पशुगणना के मुताबिक ऊंट, घोड़े और गधों पर संकट आ चुका है. सबसे बड़ा खतरा ऊंटों पर है. अब एक बार फिर 21वीं पशुगणना शुरू हो चुकी है. गाय-भैं और भेड़-बकरियों की गिनती के साथ ही ऊंटों का आंकड़ा भी सामने आएगा. साथ ही ये भी पता चलेगा कि किस पशु की किस खास नस्ल में बढ़ोतरी हो रही है या गिरावट दर्ज की जा रही है. 

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मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेंद्र शर्मा ने बताया कि पशुओं की जनगणना बहुत महत्वपूर्ण है. (फोटो-किसान तक) मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेंद्र शर्मा ने बताया कि पशुओं की जनगणना बहुत महत्वपूर्ण है. (फोटो-किसान तक)

पशुगणना की तरह से हर 5 साल बाद पशुगणना भी कराई जाती है. इसी से पता चलता है कि देश में गाय-भैंस और भेड़-बकरियों की संख्या घट रही है या बढ़ रही है. अच्छी बात ये है कि इस बार की 21वीं पशुगणना 2024 25 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है. इस बार की पशुगणना में कुछ चीजें पहली बार हो रही हैं. जैसे पशुगणना इस बार मोबाइल ऐप से हो रही है. दूसरा ये कि इस बार की पशुगणना में छुट्टा जानवर जैसे गाय और कुत्तों को भी शामिल किया गया है. लेकिन 20वीं पशुगणना 2019 के दौरान गाय-भैंस और भेड़-बकरियों की संख्या कितनी थी. 

किन पशुओं की संख्या लगातार घट रही थी. किसी पशु की कोई एक खास नस्ल खतरे में थी. अगर कोई नस्ल बढ़ रही थी तो उसकी संख्या क्या थी इस बारे में सभी आंकड़ों के बारे में हमने कुछ एक्सपर्ट से बात की. क्योंकि जिन पशुओं की नस्लों पर खतरा था उन पर और ज्यादा काम करने की जरूरत होगी. 

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जानें क्या कहते हैं 20वीं पशुगणना के आंकड़े 

2019 की पशुगणना के मुताबिक देश में पशुधन (लाइव स्टॉक) की कुल आबादी 53.61 करोड़ है. जो पशुधन पशुगणना, 2012 की तुलना में 4.8 फीसद की वृद्धि दिखाती है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कुल पशुधन आबादी 50.14 करोड़ और 2.2 करोड़ है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में 95.78 फीसद और शहरी क्षेत्रों में 4.22 फीसद है. ग्रामीण क्षेत्रों में कुल पशुधन आबादी में 4.56 फीसद की वृद्धि हुई थी और शहरी क्षेत्रों में यह वृद्धि 11.19 फीसद थी. पिछली पशुगणना की तुलना में कुल स्वदेशी मवेशियों की आबादी में 6 फीसद की गिरावट आई थी. हालांकि, 2012-2019 के दौरान स्वदेशी मवेशियों की आबादी में गिरावट की गति 2007-12 की तुलना में 9 फीसद से बहुत कम थी.

  • 2019 में कुल गोजातीय आबादी (मवेशी, भैंस, मिथुन और याक) 30.4 करोड़ थे, जो पिछली पशुगणना की तुलना में 1.3 फीसद ज्यादा थी. 
  • 2019 में देश में मवेशियों की कुल संख्या 19.3 करोड़ है, जो पिछली पशुगणना की तुलना में 1.3 फीसद की वृद्धि दिखाती है.
  • देश में भैंसों की कुल संख्या 11 करोड़ थी, जो पिछली पशुगणना की तुलना में लगभग 1.1 फीसद की वृद्धि दिखाती है.
  • गायों और भैंसों में दुधारू पशुओं (दूध न देने वाले और सूखे) की कुल संख्या 12.60 करोड़ थी, जो पिछली पशुगणना की तुलना में 6.0 फीसद की वृद्धि दिखाती है.
  • 2019 में देश में बकरियों की आबादी 15 करोड़ थी, जो पिछली पशुगणना की तुलना में 10.1फीसद की वृद्धि दिखाती है.
  • 2019 में देश में भेड़ों की कुल संख्या 7.5 करोड़ थी, जो पिछली पशुगणना की तुलना में 14.1फीसद ज्यादा है.
  • वर्तमान पशुगणना में देश में सूअरों की कुल संख्या 90 लाख थी, जो पिछली पशुगणना की तुलना में 12.03 फीसद कम है.
  • देश में घोड़ों और टट्टुओं की कुल संख्या 2019 में 3.4 लाख थी, जो पिछली पशुगणना की तुलना में 45.2 फीसद कम है.
  • देश में खच्चरों की कुल आबादी 2019 में 10000 थी, जो पिछली पशुगणना की तुलना में 57.1 फीसद कम है.
  • देश में गधों की कुल आबादी 2019 में 1.2 लाख थी, जो पिछली पशुगणना की तुलना में 61.2 फीसद कम है.
  • देश में ऊंटों की कुल आबादी 2019 में 2.5 लाख थी, जो पिछली पशुगणना की तुलना में 37.1 फीसद कम है.
  • देश में कुल मुर्गीपालन 2019 में 85 करोड़ थी, जो पिछली पशुगणना की तुलना में 16.8 फीसद अधिक है.
  • देश में कुल बैकयार्ड पोल्ट्री 2019 में 32 करोड़ थी, जो पिछली पशुगणना की तुलना में 45.8 फीसद अधिक है.
  • देश में कुल वाणिज्यिक पोल्ट्री 2019 में 53 करोड़ थी, जो पिछली पशुगणना की तुलना में 4.5फीसद अधिक है.

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