बिहार कृषि प्रबंधन (बामेती), पटना में पशु और मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस 2025 के अवसर पर एक दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन पशु और मत्स्य संसाधन विभाग की मंत्री रेणु देवी द्वारा किया गया, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी ने की. बता दें कि प्रतिवर्ष 10 जुलाई को पूरे भारत में राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस मनाया जाता है. यह दिवस वर्ष 1957 में उड़ीसा के अंगुल में प्रोफेसर डॉ. हीरालाल चैधरी और उनके सहयोगी डॉ. अलीकुन्ही द्वारा मछली के मेजर कार्प प्रजातियों में प्रेरित प्रजनन की ऐतिहासिक सफलता की स्मृति में मनाया जाता है.
इस तकनीक को ‘हाइपोफिजेशन’ कहा जाता है, जो भारतीय मछली पालन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रतीक बनी. इसी उपलब्धि की याद में प्रतिवर्ष यह दिवस मछलीपालकों और मछुआरों के योगदान को सम्मानित करने, जल संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देने और जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है. बिहार में इसे विशेष मछुआरा दिवस के रूप में मनाया जाता है.
बिहार राज्य जल संसाधनों से समृद्ध है. यहां 1.25 लाख हेक्टेयर तालाब, 13,804 हेक्टेयर ऑक्स - बो लेक, 9.41 लाख हेक्टेयर आर्द्रभूमि, 56,565 हेक्टेयर जलाशय, 18,154 किलोमीटर लंबी नहरें और 3200 किलोमीटर लंबी नदियां उपलब्ध हैं, जो मात्स्यिकी विकास की असीम संभावनाओं को बढ़ाती हैं. वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य में कुल 8.73 लाख मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ था, जो 2024-25 में बढ़कर 9.59 लाख मीट्रिक टन हो गया. वर्तमान में बिहार देश में आंतरिक मछली उत्पादन में चैथे स्थान पर है. राज्य से 39.07 हजार टन मछली नेपाल, लुधियाना, अमृतसर, सिल्लीगुड़ी, बनारस, गोरखपुर, रांची आदि शहरों को भेजी जा रही है, जो इसके निर्यात क्षमताओं को दर्शाता है.
राज्य सरकार द्वारा मछली के बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र में अब तक 232 मछली बीज हैचरियों की स्थापना की गई है, जिनमें से 167 हैचरियां चस रही हैं. वर्ष 2024-25 में 2100 मिलियन मछली बीज उत्पादन के लक्ष्य के विरुद्ध 2044.29 मिलियन बीजों का उत्पादन सफलतापूर्वक किया गया है. मछली पालकों के कौशल विकास के लिए अब तक राज्य में कुल 62,416 मछलीपालकों को विभाग द्वारा फ्री में प्रशिक्षण दिया गया है, जिनमें से 16,999 किसानों को संस्थानों में और 45,417 को राज्य के अंदर प्रशिक्षित किया गया है.
मत्स्य विकास को और अधिक वैज्ञानिक और लाभकारी बनाने के लिए बिहार सरकार द्वारा बिहार राज्य जलाशय मात्स्यिकी नीति को स्वीकृति दी गई है. इसके अंतर्गत राज्य के जलाशयों में केज और पेन आधारित मछली पालन को प्रोत्साहन दिया जाएगा, जिससे न केवल उत्पादन बढ़ेगा बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए स्वरोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे.
इस अवसर पर विभाग द्वारा उत्कृष्ट काम कर रहे पदाधिकारियों और उत्कृष्ट मछली किसानों को बेहतर काम में कुशल प्रबंधन के लिए प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया. सम्मानित किए गए पदाधिकारियों में प्रमोद भगत, सहायक मत्स्य निदेशक (योजना) और जिला मत्स्य पदाधिकारी शेखपुरा, लखीसराय, समस्तीपुर आशीष कुमार, रंजीत कुमार, मो० नियाजउद्दीन और षिवप्रकाष सहनी, सिवान क्रमशः शामिल रहें. कार्यक्रम में तकनीकी सत्र, योजनाओं की प्रदर्शनी, किसानों से संवाद और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन जैसी विविध गतिविधियां आयोजित की गईं.
रेणु देवी ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि बिहार को देश में मछली उत्पादन में शीर्ष पर लाया जाए और इसके लिए सरकार द्वारा हर आवश्यक संसाधन, तकनीकी सहयोग और प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जा रहा है. इसके अलावा विभाग द्वारा संचालित मछली किसानों के लिए सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना और मुख्यमंत्री मछुआ कल्याण योजना का जिक्र किया और मछली पालकों को इसका ज्यादा-से-ज्यादा लाभ उठाने के लिए उत्साहित किया.
इस अवसर पर विभाग की अपर मुख्य सचिव, डॉ. एन विजयलक्ष्मी ने कहा कि राज्य में मछली पालकों, मछली उत्पादन के क्षेत्र में बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं. इसके साथ हीं उन्होंने किसानों को उनके बेहतरीन कार्य के लिए शुभकामनाएं दी. इसके अलावा मछली पालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्षन के लिए बिहार को राष्ट्रीय-स्तर पर सम्मान मिलने के लिए निदेषक मत्स्य और सभी विभागीय पदाधिकारियों को शुभकामनाएं दी.
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