
पूर्वोत्तर भारत का परिदृश्य अब सिर्फ सुंदरता या पर्यटन तक सीमित नहीं है, बल्कि अब यह क्षेत्र देश की ऑर्गेनिक क्रांति में भी अग्रणी बन रहा है. जहां मेघालय के केव किस्म के अनानास को देश-दुनिया में पहचान मिल रही है. वहीं त्रिपुरा भी ऑर्गेनिक खेती की बदौलत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी दमदार पैठ बनाता दिख रहा है. मेघालय के रि-भोई जिले के किसानों और बेंगलुरु की मदर इंडिया फार्म्स के बीच हुए करार के तहत राज्य के 300 से अधिक पंजीकृत किसानों द्वारा उगाए गए केव किस्म के ऑर्गेनिक अनानास की देशभर में पहुंच बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है.
वहीं, अब दिल्ली हाट के ऑर्गेनिक आउटलेट्स में भी इन अनानास को सीधे उपलब्ध कराया जा रहा है. हाल ही में 600 किलो अनानास को हवाई मार्ग के जरिए दिल्ली भेजा गया है. अनानास पसंद करने वाले लोग केव और क्वीन अनानास इन आउटलेट्स से खरीद सकते हैं. 2024 में हुए पाइनएप्पल फेस्टिवल में मेघालय के करीब 9-10 टन अनानास की बिक्री हुई थी, जिससे प्रेरित होकर इस वर्ष उत्पादन और मार्केटिंग को विस्तार दिया गया है. इस अभियान की अगुवाई मेघालय नैचुरल एंड ऑर्गेनिक सोसाइटी फॉर लाइवलीहुड एंड इनोवेशन इन एग्रीकल्चर (MEGNOLIA) कर रही है.
इंडियाटुडे नॉर्थ-ईस्ट की रिपाेर्ट के मुताबिक, त्रिपुरा भी अब ऑर्गेनिक खेती में अपनी मजबूत पहचान बना रहा है. बुधवार को अगरतला में आयोजित राज्य के पहले ऑर्गेनिक क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में में राज्य के कृषि मंत्री रतन लाल नाथ ने बताया कि बीते तीन वर्षों में त्रिपुरा ने 25,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को ऑर्गेनिक सर्टिफाइड बनाया है और 1,332 मीट्रिक टन ऑर्गेनिक उत्पादों का निर्यात किया है.
इन उत्पादों में क्वीन पाइनएप्पल (GI टैग्ड), केव पाइनएप्पल, बर्ड्स आई चिल्ली, अरोमैटिक राइस (हरिनारायण, कालिखासा), ब्लैक राइस (माइमि हुंगर), हल्दी, अदरक और सुगंधित नींबू जैसे हाई-वैल्यू फसलें शामिल हैं. मंत्री ने बताया कि क्वीन पाइनएप्पल अपनी मिठास और कम अम्लीयता के कारण जूस और डेजर्ट उद्योगों के लिए आदर्श है.
त्रिपुरा के ऑर्गेनिक उत्पाद आज नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता और गुवाहाटी जैसे प्रमुख भारतीय बाजारों तक पहुंच चुके हैं. वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में ओमान, दुबई और ढाका जैसे देशों में भी इनकी मजबूत मांग बनी है.
मंत्री नाथ ने कहा कि आज दुनिया केवल भोजन नहीं, बल्कि सुरक्षित, रसायन-मुक्त और ट्रेसेबल फूड की मांग कर रही है. ऑर्गेनिक खेती सिर्फ एक फैशन नहीं, बल्कि भविष्य की जरूरत है. त्रिपुरा का हर किसान इस मिशन का भागीदार है. उन्होंने राज्य में बने 53 ऑर्गेनिक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियों की भी सराहना की, जो जमीनी स्तर पर ऑर्गेनिक आपूर्ति श्रृंखला को सशक्त बना रहे हैं.
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