महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य में किसानों के मुद्दों से राजनीति गरमाती जा रही है. राज्य सरकार की कमियों पर हमला करने का कोई भी मौका कांग्रेस छोड़ना नहीं चाहती है. इसीलिए कांग्रेस ने राज्य के किसानों की उपेक्षा का आरोप महाराष्ट्र सरकार पर लगाया है. कांग्रेस महासचिव ने कहा कि भाजपा सरकार ने मराठवाड़ा रीजन के किसानों का जल संकट दूर करने का वादा करते हुए वॉटर ग्रिड बनाने की घोषणा 2019 में की थी, जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया है. जबकि, अच्छी बारिश के बावजूद इलाके के जलाशयों में उम्मीद से 20 फीसदी कम जलस्तर है, जो किसानों और ग्रामीणों के लिए परेशानी बन सकता है.
कांग्रेस ने रविवार को महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि यह गठबंधन "विश्वासघात" पर बना है और राज्य के लोग उनके "असफल" वादों के लिए उन्हें माफ नहीं करेंगे. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि राज्य में किसान सबसे ज्यादा उपेक्षित हैं क्योंकि उनसे किए गए बड़े-बड़े वादों से कुछ हासिल नहीं हुआ है.
उन्होंने बताया कि मराठवाड़ा से हर गांव में पाइप के जरिए पेयजल उपलब्ध कराने के लिए वाटर ग्रिड बनाने का वादा कभी पूरा नहीं हुआ. सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए महाराष्ट्र के लोग और किसान के साथ धोखा किया गया है. कांग्रेस नेता ने कहा जिन्होंने जल उपलब्धता बढ़ाने का वादा किया था वे उसे पूरा नहीं कर पाए हैं. इसके लिए महाराष्ट्र उन्हें माफ नहीं करेगा.
जयराम रमेश ने दावा किया कि 2019 में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठवाड़ा से एक जल ग्रिड बनाने के लिए 20,000 से 25,000 करोड़ रुपये के पैकेज का वादा किया था, जो हर गांव में पाइप से पीने का पानी पहुंचाएगा. इस साल गर्मियों में इस वादे के पांच साल पूरे हो गए और यह साल मराठवाड़ा के सबसे अधिक पानी की कमी वाले वर्षों में से एक के रूप में दर्ज किया गया था.
कांग्रेस नेता ने कहा कि मराठवाड़ा में 600 से अधिक गांव और 178 बस्तियां पीने के पानी की भारी कमी के बीच पानी के टैंकरों पर निर्भर रहीं. उन्होंने दावा किया कि पिछले साल 40 फीसदी की तुलना में जलाशयों में केवल 19 फीसदी पीने का पानी बचा है. जबकि, इस साल अच्छी बारिश भी दर्ज की गई है. पेयजल के साथ ही फसलों की सिंचाई को लेकर मुश्किल होने की आशंका जताई गई है.
उन्होंने आरोप लगाया कि मराठवाड़ा की जीवन रेखा गोदावरी नदी को भी रोक दिया गया है. 2022 में इसकी सफाई के लिए कथित तौर पर 88 करोड़ रुपये आवंटित किए गए. लेकिन, पानी की गुणवत्ता में कोई सार्थक सुधार नहीं हुआ. जबकि, किसान नदी के पानी से फसलों की सिंचाई करने पर निर्भर हैं. वहीं, बड़ी संख्या में नदी का पानी पेयजल के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है.
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