Farmer Income: मिर्च और हल्‍दी की खेती करने वाले किसानों के लिए आंध्र प्रदेश में खास ट्रेनिंग प्रोग्राम 

Farmer Income: मिर्च और हल्‍दी की खेती करने वाले किसानों के लिए आंध्र प्रदेश में खास ट्रेनिंग प्रोग्राम 

इस ट्रेनिंग का मकसद कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना है. विशेषज्ञों की मानें तो अगर मसालों को ठीक से स्‍टोर नहीं किया गया तो नुकसान 15 से 30 प्रतिशत तक हो सकता है. भारतीय हल्दी और मिर्च की बढ़ती ग्‍लोबल मांग के साथ कटाई के बाद की देखभाल में सुधार सीधे किसानों के लिए बेहतर कीमतें दिलाने में कारगर हो सकता है.

Advertisement
Farmer Income: मिर्च और हल्‍दी की खेती करने वाले किसानों के लिए आंध्र प्रदेश में खास ट्रेनिंग प्रोग्राम agriculture training: आंध्र प्रदेश के किसानों के लिए खास ट्रेनिंग

आंध्र प्रदेश के किसान मसालों खासतौर पर हल्‍दी और मिर्च की खेती जमकर करते हैं. लेकिन कभी-कभी कटाई के बाद थोड़ी सी भी लापरवाही बरतने पर उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता है. इस बात को ध्‍यान में रखते हुए और में मसाला किसानों की आय में सुधार लाने के मकसद से राष्‍ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्‍ट्रीय फसल विश्लेषण अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-एनआईआरसीए) की तरफ से हल्दी और मिर्च की कटाई के बाद प्रबंधन पर आधारित एक ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया गया है. इस के बारे में औपचारिक ऐलान राजामहेंद्रवरम स्थित एनआईआरसीए परिसर में एक खास किसान-वैज्ञानिक संवाद सत्र के दौरान की गई. 

कटाई के बाद प्रबंधन पर ट्रेनिंग 

यह कार्यक्रम देश के प्रमुख मसाला उत्पादक क्षेत्रों में से एक, पूर्वी गोदावरी जिले के किसानों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को ध्‍यान में रखकर तैयार किया गया है. इसके तहत उन्हें हल्दी और मिर्च के प्रबंधन, स्‍टोरेज और प्रोसेसिंग की मॉर्डन टेक्निक्‍स के बारे में बताया जा रहा है. गौरतलब है कि ये दोनों फसलें स्थानीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं और सही प्रोसेसिंग और प्रिजर्वेशन के साथ निर्यात की महत्वपूर्ण संभावनाएं रखती हैं. 

किसानों को न हो नुकसान 

नाबार्ड और एनआईआरसीए के अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया है कि कटाई के बाद खराब मैनेजमेंट से फसल का भारी नुकसान होता है, क्‍वालिटी गिरती है और इसकी वजह से बाजार कीमतें भी कम हो जाती है. उनका कहना था कि साइंटिफिक स्‍टोरेज और प्रोसेसिंग सिर्फ खराब होने और बैक्‍टीरिया के पनपने की संभावनाओं को कम करती है. साथ ही किसानों को घरेलू और अंतरराष्‍ट्रीय दोनों ही बाजारों में बेहतर कीमतें हासिल करने में भी सक्षम बनाते हैं. 

बताया जा रहा मशीनों के बारे में 

इस ट्रेनिंग में किसानों और एफपीओ के लिए व्यावहारिक, क्षेत्र-स्तरीय क्षमता निर्माण शामिल है. इसके शामिल होने वाले किसानों और एफपीओ को सुखाने के बेहतर तरीके, ग्रेडिंग स्‍टैंडर्ड, सुरक्षित स्‍टोरेज तरीके और वैल्‍यु एडीशन जैसी महत्वपूर्ण तकनीकें सिखाई जा रही हैं. ट्रेनिंग में उन्‍नत कटाई के बाद मशीनरी और टेक्निक्‍स के बारे में किसानों को बताया जा रहा है. किसानों को यह बताया जा रहा है कि कैसे कम से कम नमी का स्तर बनाए रखें, एफ्लाटॉक्सिन कंटैमिशन से बचें और फूड सिक्‍योरिटी स्‍टैंडर्ड का पालन करें. ये सभी ज्‍यादी कीमतें दिलाने वाली सप्‍लाई चेन तक पहुंचने के लिए बहुत जरूरी है. 

बढ़ रही है मसालों की मांग 

इस ट्रेनिंग का मकसद कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना है. विशेषज्ञों की मानें तो अगर मसालों को ठीक से स्‍टोर नहीं किया गया तो नुकसान 15 से 30 प्रतिशत तक हो सकता है. भारतीय हल्दी और मिर्च की बढ़ती ग्‍लोबल मांग के साथ कटाई के बाद की देखभाल में सुधार सीधे किसानों के लिए बेहतर कीमतें दिलाने में कारगर हो सकता है. नाबार्ड अधिकारियों के अनुसार, इस पायलट प्रोजेक्‍ट से जो भी सीखा जाएगा उसे बाकी मसाला उत्पादक क्षेत्रों में भी लागू किया जाएगा. 

यह भी पढ़ें- 

POST A COMMENT