Cotton Planting: कपास बुवाई की खास तकनीक से महाराष्‍ट्र के किसान कमा रहे हैं अच्‍छा खासा मुनाफा 

Cotton Planting: कपास बुवाई की खास तकनीक से महाराष्‍ट्र के किसान कमा रहे हैं अच्‍छा खासा मुनाफा 

केंद्र सरकार की एचडीपीएस योजना को सबसे पहले अकोला के किसान दिलीप ठाकरे ने साल 2023 में अपने दो हेक्टेयर खेत में अपनाया था. इसके बाद, जिले के 1500 से ज्‍यादा किसानों ने कम अंतराल वाली विधि अपनाई जिसमें कम जगह में ज्‍यादा पौधे उगाए जाते हैं. इससे यहां पर किसानों ने प्रति एकड़ 14-18 क्विंटल तक कपास का उत्पादन किया.

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Cotton Planting: कपास बुवाई की खास तकनीक से महाराष्‍ट्र के किसान कमा रहे हैं अच्‍छा खासा मुनाफा Cotton Farming: इस तकनीक से हो रहा महाराष्‍ट्र के किसानों को बड़ा फायदा

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जोर देकर कहा है साल 2030 तक कपास के आयात को रोकने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, उच्च घनत्व वाली रोपण तकनीकों  (एचडीपीएस) को देश भर में बढ़ावा दिया जाएगा. महाराष्‍ट्र के अकोला के कपास किसान दिलीप ठाकरे के खेत पर इस तकनीक का सफल प्रदर्शन हो चुका है. ठाकरे ने कपास के रोपण के लिए जिस एचडीपीएस पैटर्न को फॉलो किया है, उसे 2023 में उनके खेत पर लागू किया गया था. ठाकरे की ही तरह वर्धा के दिलीप पोहाणे ने भी इसी तकनीक का प्रयोग किया है. 

कृषि मंत्री ने किया जिक्र 

पोहाणे ने केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान (सीआईसीआर) की मदद से सघन कपास रोपण के जरिये उत्पादकता में वृद्धि हासिल की. अब जैसे-जैसे इन तरीकों के फायदे सामने आ रहे हैं, सरकार इन्हें पूरे देश में बढ़ावा देने की योजना बना रही है. कृषि मंत्री ने बीज कंपनियों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से उच्च घनत्व वाली रोपण के लिए सबसे सही कपास किस्मों पर रिसर्च करने का अनुरोध किया है. चौहान ने 11 जुलाई को कोयंबटूर में कपास पर आयोजित एक सेशन में यह बात कही है. 

18 क्विंटल तक हुआ उत्‍पादन 

केंद्र सरकार की एचडीपीएस योजना को सबसे पहले अकोला के किसान दिलीप ठाकरे ने साल 2023 में अपने दो हेक्टेयर खेत में अपनाया था. इसके बाद, जिले के 1500 से ज्‍यादा किसानों ने कम अंतराल वाली विधि अपनाई जिसमें कम जगह में ज्‍यादा पौधे उगाए जाते हैं. इससे यहां पर किसानों ने प्रति एकड़ 14-18 क्विंटल तक कपास का उत्पादन किया. सरकार ने दो हेक्टेयर की अधिकतम सब्सिडी के साथ प्रति हेक्टेयर 16,000 रुपये भी इन किसानों के अकाउंट में ट्रांसफर किए जिसे बढ़ाकर बाद में 21,000 रुपये कर दिया गया. 

इसी मॉडल को लाने की तैयारी 

अकोला में, 3,500 हेक्टेयर भूमि पहले से ही एचडीपीएस के तहत है. आठ राज्यों में, 8,000 हेक्टेयर जमीन पर इस मॉडल को अपनाने की तैयारी चल रही है. ठाकरे समेत अकोला के 1500 से ज़्यादा किसानों ने 2 हेक्टेयर में कम अंतराल वाली विधि अपनाई है. इससे कपास किसानों को कम समय में बेहतर फायदा हासिल होता है. किसान प्रतिनिधि भी इस बात पर रजामंद हैं कि एचडीपीएस तकनीक पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक उपज देती है. 

सरकार अब उनमें गुलाबी सुंडी को रोकन के लिए एआई बेस्‍ड फॉर्मोन ट्रैप्‍स, कम खर्चीले और आसानी से मुहैया हो सकने वाले मैकेनिज्‍म, नकली बीजों पर सख्‍ती और उन्नत किस्मों के विकास के लिए बीज कंपनियों और रिसर्च इंस्‍टीट्यूट्स के साथ पार्टनरशिप करके कपास के उत्‍पादन को बढ़ाने की तैयारी कर रही है. 

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