Mango Diplomacy: पीएम मोदी के लिए बांग्‍लादेश से आया है ये खास किस्‍म का आम, जानें कौन सा  

Mango Diplomacy: पीएम मोदी के लिए बांग्‍लादेश से आया है ये खास किस्‍म का आम, जानें कौन सा  

Mango Diplomacy: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 1000 किलो हरिभंगा आम पहुंचाए हैं. बताया जा रहा है कि सोमवार को यह आम पीएम मोदी तक पहुंच गए हैं. यह आम ऐसे समय में भारत आए हैं जब बांग्‍लादेश के साथ रिश्‍तों में कड़वाहट घुल चुकी है. खैर, बांग्‍लादेश ने जो आम भिजवाएं हैं, वह हरिभंगा किस्‍म है और इन आमों को इनकी मिठास के लिए जाना जाता है.

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Mango Diplomacy: पीएम मोदी के लिए बांग्‍लादेश से आया है ये खास किस्‍म का आम, जानें कौन सा  Bangladesh Mango: पीएम मोदी के लिए बांग्‍लादेश ने भेज आम

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 1000 किलो हरिभंगा आम पहुंचाए हैं. बताया जा रहा है कि सोमवार को यह आम पीएम मोदी तक पहुंच गए हैं. यह आम ऐसे समय में भारत आए हैं जब बांग्‍लादेश के साथ रिश्‍तों में कड़वाहट घुल चुकी है. खैर, बांग्‍लादेश ने जो आम भिजवाएं हैं, वह हरिभंगा किस्‍म है और इन आमों को इनकी मिठास के लिए जाना जाता है. वैसे इन आमों का इतिहास भी काफी खास है.  वैसे तो मुहम्मद यूनुस ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री को भी आम भेजे है. इन आमों के बदले में भारत ने त्रिपुरा के खास अनानास बांग्‍लादेश को भिजवाए हैं.  

बांग्‍लादेश में आम की इकलौती किस्‍म 

हरिभंगा आम बांग्लादेश का एकमात्र रेशेदार आम है और इसकी खेती रंगपुर जिले के मीठापुकुर उपजिला में होती है. यह आम न सिर्फ रेशेदार होता है बल्कि इसका स्वाद और सुगंध भी काफी खास होता है. एक आम का वजन 250 से 400 ग्राम होता है. इस आम की खासियत है कि यह आम कभी खट्टा नहीं होता है और इसे पेड़ से गिरने के बाद 4 से 5 दिनों के अंदर खाकर खत्‍म कर देना चाहिए. विटामिन 'सी' के अलावा ये आम कई मिनिरल्‍स की भी खान है. कहते है कि इस आम को एक जमींदार के घर पर सबसे पहले उगाया गया था. 

2021 में पहली बार आए भारत 

बांग्लादेश सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में हरिभंगा आम का विदेशों में निर्यात बढ़ाया है. इन आमों को सऊदी अरब, दुबई, मलेशिया, ब्रिटेन, और इटली जैसे देशों में भी भेजा जाता है. साल 2021 में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की पहल पर हरिभंगा आम की पहली खेप बांग्लादेश से भारत भेजी गई थी, जिसे 'मैंगो डिप्लोमेसी' कहा गया था. आज हरिभंगा आम रांगपुर के हजारों किसानों के लिए आजीविका का मुख्य साधन बन चुकी है. 

हिमसागर से कोई मुकाबला नहीं 

अक्‍सर लोग हरिभंगा की तुलना पश्चिम बंगाल के आम हिमसागर आम से करने लगते हैं. हालांकि दोनों ही आम बेहद मीठे होते हैं लेकिन हरिभंगा में गूदा ज्‍यादा होता है और यह मीठा भी बहुत होता है. वहीं हिमसागर में गूदा और मिठास तो हरिभंगा जितनी ही होती है लेकिन इसकी शेल्‍फ लाइफ थोड़ी कम होती है. वहीं सुगंध, स्वाद की नजाकत और फाइबरलेस टेक्सचर की अगर बात करें तो भारत में पैदा होने वाले हिमसागर आम के सामने हरिभंगा जरा भी नहीं टिकता है. 

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