कृषि क्षेत्र में बढ़ती संभावनाओं के चलते युवाओं के लिए इसमें करियर बनाने के कई विकल्प खुल गए हैं. इन्हीं विकल्पों में से एक है मशरूम का उत्पादन करना. मशरूम की खेती के लिए बहुत ज्यादा जगह या खेत की जरूरत नहीं होती है. एक छोटे से कमरे में मशरूम की खेती शुरू की जा सकती है. इसमें कम लागत और अधिक उत्पादन मिलने के चलते तीन गुना तक मुनाफा हासिल किया जा सकता है. कई पोषक तत्वों के चलते मशरूम का इस्तेमाल भोजन में बढ़ा है. इसी वजह से बीते कुछ वर्षों में मशरूम की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. आइये एक्सपर्ट से समझते हैं मशरूम की खेती करने का तरीका, लागत और मुनाफा कमाने के बारे में और कैसे इसे रोजगार या करियर के रूप में अपनाया जा सकता है.
डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के पादप रोग विज्ञान विभाग में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. धर्मेश गुप्ता ने 'किसान तक' को मशरूम की खेती के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि मशरूम एक ऐसी फफूंद है जिसको हम खा सकते हैं. ये जमीन के ऊपर भी पाई जाती है और जमीन के नीचे भी पाई जा सकती है. देशभर में मुख्य रूप से 4 तरह की या वैराइटी की मशरूम उगाई जाती है. इनमें बटन मशरूम (button mushroom) ढींगरी मशरूम, पराली मशरूम और मिल्की मशरूम (milky mushroom) शामिल हैं.
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. धर्मेश गुप्ता ने बताया कि मशरूम की खेती के लिए सबसे पहले आता आपका कंपोजिट यार्ड तैयार करना. यह वह जगह होती है जहां पर खाद बनानी होती है. इसकी लंबाई और चौड़ाई खाद बनाने की मात्रा पर तय होती है. इसकी लंबाई और चौड़ाई 80x60 फीट हो सकती है और इसे घटा-बढ़ा भी सकते हैं. अगर 5 टन खाद बनानी है तो हमारे टनल का साइज 10x10 फीट होना चाहिए.
इसके बाद मशरूम उगाने के लिए जो कमरा तय किया जाता है उसकी लंबाई और चौड़ाई 10x12 फीट हो सकती है. इसमें 10 किलो के 400 बैग मशरूम लग जाती है. मशरूम के लिए फसल कक्ष आप अपने हिसाब से तय कर सकते हैं. फसल कक्ष को पफ पैनल लगाकर तैयार कर सकते हैं. इसके अलावा जो स्पॉन लैब बनानी होती है, ताकि मशरूम को उगाने में आसानी हो. स्पॉन लैब के लिए गेहूं की जरूरत होती है और स्टोरेज की व्यवस्था भी करनी होती है.
ठंडे इलाकों के लिए बटन मशरूम उगाना सही रहता है. क्योंकि यह आपकी 14 से 18 डिग्री तापमान पर अच्छी पैदावार देती है. ढींगरी मशरूम की खेती आप 20 से 30 डिग्री तापमान में कर सकते हैं. इसके बाद पराली मशरूम की खेती आप 28 से 35 डिग्री तापमान या इससे ज्यादा तापमान में भी कर सकते हैं.
मुनाफे की बात करें तो अगर बटन मशरूम की खेती की जाती है तो इसमें लगने वाली खाद के 10 किलो के थैले को बनाने पर 60-65 रुपये का खर्च आता है. एक थैले खाद से कम से कम 2 किलो मशरूम उगाई जा सकती है. यानी 100 रुपये प्रति किलो मशरूम की कीमत रखें तो 200 रुपये हासिल किया जा सकते हैं. यानी खाद के 65 रुपये और बीज का दाम और उगाने में लगी मजदूरी को घटाएं तो भी 100-120 रुपये का शुद्ध मुनाफा होता है. अगर आप ढींगरी मशरूम उगाते हैं तो कम संसाधन और लागत लगती है. इसमें आपका मुनाफा डबल से भी ज्यादा होता है. इसके अलावा अन्य मशरूम किस्मों की खेती पर दोगुना से तीन गुना तक मुनाफा हासिल किया जा सकता है.
डॉ. धर्मेश गुप्ता ने बताया कि मशरूम उत्पादन के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार समेत अन्य राज्यों की सरकारें किसानों को अनुदान देती हैं. उन्होंने कहा कि अगर आपने 400 बैग का रूम लगाया है जिसमें अगर आपका 1 लाख रुपये के करीब खर्चा आता है तो उसमें हिमाचल सरकार लगभग 50 हजार रुपये के करीब अनुदान देती है. इसके अलावा भी राज्य सरकारें कई स्कीम चला रही हैं जिसके जरिए मशरूम उत्पादक 50 फीसदी तक अनुदान हासिल कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन के लिए डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय समय समय पर किसानों, युवाओं को ट्रेनिंग देता है. इसके अलावा अन्य राज्य सरकारें और केंद्र सरकार भी मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए ट्रेनिंग और कोर्स उपलब्ध कराते हैं.
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