बिहार के मधुबनी जिले स्थित मिथिला हाट से 17 जुलाई को राज्य की पांच बहुराज्यीय सहकारी समितियों का शुभारंभ होने जा रहा है. इस कार्यक्रम में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. रामदास आठवले, बिहार के प्रमुख किसान नेता और वर्ल्ड कोऑपरेशन इकोनॉमिक फोरम (WCOOPEF) के संस्थापक और प्रधानमंत्री की एमएसपी और कृषि सुधारों पर उच्च स्तरीय समिति के सदस्य बिनोद आनंद शामिल होंगे. कार्यक्रम में जल सहकारिता, मक्का सहकारिता, मिथिला मखाना सहकारिता, उद्यानिकी सहकारिता और ग्रामीण ऊर्जा सहकारिता, ये पांच सहकारिताएं घोषित की जाएंगी, जो हर खेत को पानी, हर हाथ को काम और हर परिवार को सम्मान देने का वादा करती हैं.
बिनोद आनंद ने इस अवसर को “गांव की आत्मनिर्भरता का पर्व” बताते हुए कहा कि ये पहलें दान नहीं, बल्कि गांव की अपनी ताकत की पहचान हैं. उन्होंने कहा, “जब हर किसान, हर महिला और हर युवा इस यात्रा में भागीदार होगा, तब गांव का कोई आंगन खाली नहीं रहेगा.”
केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने इन पहलों को प्रधानमंत्री के "विकसित भारत @2047" मिशन के अनुरूप बताया. उन्होंने कहा, “जब समृद्धि का मालिक पूरा समुदाय होता है, तब कोई पीछे नहीं रहता. यही है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास.”
इस जनसभा में देश के अग्रणी वैज्ञानिक, जल प्रबंधन विशेषज्ञ और कृषि तकनीक विशेषज्ञ भी भाग लेंगे. वे दिखाएंगे कि किस तरह पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान मिलकर गांवों को आत्मनिर्भर और टिकाऊ बना सकते हैं. मिथिला हाट, जो अब तक सिर्फ संस्कृति और परंपरा का प्रतीक था, अब यहां से मिथिला का मखाना वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बनाएगा.
इसके अलावा, अब यहां का मक्का सिर्फ अन्न नहीं, ऊर्जा स्रोत बनेगा. उद्यानिकी क्षेत्र पोषण और रोजगार देगा, जबकि सौर और बायोगैस ऊर्जा गांवों को रोशन करेगी. कार्यक्रम में एक ग्राम स्वराज्य घोषणापत्र भी होगा, जिसमें हजारों किसान, महिला स्वयं सहायता समूह, ग्रामीण युवा और सहकारी संस्थाएं भाग लेंगी.
मधुबनी के मिथिला हाट में 17 जुलाई को होने वाले सहकारिता समारोह में केवल सामाजिक और आर्थिक पहलुओं की ही नहीं, बल्कि मिथिला की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की भी खास प्रस्तुति देखने को मिलेगी. यह आयोजन गांव, विज्ञान और संस्कृति का अनूठा संगम होगा.
वर्ल्ड कोऑपरेशन इकोनॉमिक फोरम (WCOOPEF) एक मंच है जो नीति, तकनीक और जमीनी नेतृत्व को जोड़कर किसान-केंद्रित मूल्य श्रृंखलाएँ बनाता है और ग्रामीण उत्पादकों को स्थानीय और वैश्विक बाज़ारों से जोड़ता है. इसका उद्देश्य समावेशी, सामाजिक रूप से उत्तरदायी और टिकाऊ विकास मॉडल को बढ़ावा देना है.
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