भारत ने डेयरी और अल्कोहल पर ऑस्ट्रेलिया के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. माना जा रहा है कि इस वजह से साल के अंत तक होने वाले ट्रेड एग्रीमेंट के दूसरे चरण को पूरा करने की कोशिशों में बाधा आ रही है. ऑस्ट्रेलिया ने इन दोनों पर ही टैरिफ में कटौती की मांग भारत से की है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने दो भारतीय सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है. अभी तक अमेरिका के साथ टैरिफ पर भारत का विवाद जारी था लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया के साथ भी बवाल बढ़ता जा रहा है.
सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि साल 2022 में साइन हुए एक अंतरिम व्यापार समझौते में कई वस्तुओं पर टैरिफ कम कर दिए गए थे. लेकिन वस्तुओं, सेवाओं और वीजा को कवर करने वाले एक विस्तृत आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) पर बातचीत धीमी हो गई है. इसमें डेयरी और वाइन प्रमुख अड़चनें बनकर उभरे हैं. अपना नाम न बताने की शर्त पर दो अधिकारियों ने इस बारे में विस्तार से बताया है. भारत के वाणिज्य मंत्रालय और ऑस्ट्रेलिया के विदेश एवं व्यापार विभाग की तरफ से इस पर अभी कोई भी जवाब नहीं दिया गया है.
रॉयटर्स के अनुसार राजनीतिक रूप से संवेदनशील डेयरी और कृषि उत्पादों पर भारत का समझौता न करना, शक्तिशाली कृषि समूहों के बढ़ते दबाव की तरफ इशारा करता है. अमेरिका सहित बाकी साझेदारों के साथ यही मसले व्यापार वार्ता को भी आकार दे रहे हैं. बातचीत पर करीब से नजर रख रहे और इसकी जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया, 'डेयरी और वाइन पर टैरिफ में और कटौती की ऑस्ट्रेलिया की मांगों पर सहमत होने का कोई सवाल ही नहीं है.' अधिकारी का कहना था कि इस मांग को मानने से लाखों किसानों, भारत की उभरती वाइन इंडस्ट्री और अंगूर उत्पादकों पर असर पड़ सकता है.
अधिकारी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात और अंगूर उत्पादक महाराष्ट्र के किसान समूह और राजनेता, साथ ही 35 अरब डॉलर के अल्कोहल इंडस्ट्री, किसी भी रियायत का कड़ा विरोध कर रहे हैं. अंतरिम समझौते के तहत, 5 डॉलर से ज्यादा कीमत वाली 750 मिलीलीटर की बोतल वाली ऑस्ट्रेलियाई वाइन पर टैरिफ को 150 फीसदी से घटाकर 100 प्रतिशत तक कर दिया गया. इसमें 10 सालों में 50 फीसदी तक की कटौती का प्रावधान था. जबकि 15 डॉलर से अधिक कीमत वाली बोतलों के लिए टैरिफ को घटाकर 75 फीसदी कर दिया गया, तथा एक दशक में इसे 25 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया.
ऑस्ट्रेलिया टैरिफ में ज्यादा कटौती और डेयरी उत्पादों तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कोशिशें कर रहा है. वर्तमान में डेयरी उत्पादों जिनमें पनीर, हाई प्रोटीन छाछ, लैक्टोज और प्रोसेस्ड प्रॉडक्ट्स शामिल हैं, उन पर 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक टैरिफ लगता है. ऑस्ट्रेलियन ग्रेप एंड वाइन के सीईओ ली मैकलीन ने कहा, 'हम टैरिफ में कटौती की कीमतों में कमी और इन कटौतियों में तेजी देखना चाहेंगे.' उनका कहना था कि बढ़ती मांग से भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई वाइन निर्माताओं, दोनों को फायदा हो सकता है क्योंकि वे अलग-अलग उत्पाद बनाते हैं.
डेयरी ऑस्ट्रेलिया के कार्ल एलिस ने कहा कि भारत का विशाल और सांस्कृतिक तौर पर संवेदनशील डेयरी क्षेत्र मुख्यधारा के निर्यात को सीमित करता है. लेकिन हाई प्रोटीन छाछ, लैक्टोज और चुनिंदा चीज (Cheese) जैसे खास उत्पादों पर उम्मीदें टिकी हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा टैरिफ मुश्किलों वाले हैं और कम टैरिफ ऑस्ट्रेलिया को यूरोपियन एक्सपोर्टर्स की सेवाओं को 30 से 40 मिलियन डॉलर के बाजार में दाखिल होने की अनुमति दे सकते हैं.
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