पिछले कुछ समय से मिलेट देशभर में काफी लोकप्रिय हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार मिलेट और इसके फायदों का जिक्र करते नजर आए हैं. सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होने के कारण लोग अलग-अलग तरह के मिलेट को अपनी डाइट का हिस्सा बना रहे हैं. बाजरा कई प्रकार के होते हैं, जिनमें ज्वार, बाजरा, कांगनी, रागी, आदि शामिल हैं. इनमें से एक कोदो अपने कई गुणों के कारण बहुत फायदेमंद है. लेकिन इसके बारे में बहुत ही कम लोगों ने सुना होगा. अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो कोदो के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं तो आइए आज हम आपको बताते हैं इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें.
कोदो का इतिहास वर्षों पुराना है. जर्नल ऑफ ग्रीन प्रोसेसिंग एंड स्टोरेज में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कोदो की खेती लगभग 3000 वर्षों से की जा रही है. इसका पौधा 60-90 सेमी ऊँचा, सीधा और धान के पौधे जैसा दिखता है. इसके बीज देखने में चमकीले, छोटे, सफेद और गोल होते हैं. इसे देशभर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. कोदो को कोदो, कोदरा, हरका, वरगु, अरिकालु, ऋषि अन्न आदि भी कहा जाता है.
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भारत में कोदो की खेती महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात में की जाती है. कई जगहों पर इसे शुगर फ्री चावल के नाम से भी जाना जाता है. अगर पोषण की बात करें तो यह ग्लूटेन फ्री है. इसमें फाइबर और प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में होता है. इतना ही नहीं, कोदो में बी6, फोलिक एसिड के साथ-साथ कैल्शियम, नियासिन, आयरन, पोटेशियम, मैग्नीशियम और जिंक जैसे खनिज भी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं. इसे पचाना बहुत आसान है और शुगर के मरीजों के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है. इन्हीं गुणों को देखते हुए इसे शुगर फ्री राइस भी कहा जाता है.
शुगर रोगियों के लिए कोदो वरदान साबित हुआ है. यह शुगर को ठीक करने के लिए जाना जाता है. इसमें एंटीडायबिटिक गुण पाए जाते हैं और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स 42 है, जो गेहूं और चावल की तुलना में काफी कम है. अगर डायबिटीज का मरीज गेहूं और चावल की जगह कोदो का सेवन करे तो उसे न सिर्फ पोषण मिलेगा बल्कि उसका ग्लूकोज लेवल भी कम हो जाएगा.
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