देश के कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव लाने वाले प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन की जन्मशती के उपलक्ष्य में 7 से 9 अगस्त, 2025 तक नई दिल्ली में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (MSSRF) द्वारा कृषि मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (NAAS) के सहयोग से आयोजित यह सम्मेलन “सदाबहार क्रांति – जैव-सुख का मार्ग” विषय पर आधारित होगा. इस आयोजन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. साथ ही वे इस अवसर पर एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी करेंगे.
सम्मेलन में दुनिया भर से कृषि वैज्ञानिक, नीति निर्माता, विकास विशेषज्ञ और किसान प्रतिनिधि टिकाऊ व समावेशी कृषि के भविष्य पर विचार साझा करेंगे. मुख्य विषयों में जैव विविधता, जलवायु-अनुकूल खेती, पोषण-संवेदनशील उत्पादन, महिला और युवाओं की भागीदारी जैसे अहम मुद्दे शामिल हैं. आयोजकों का कहना है कि यह सम्मेलन प्रो. स्वामीनाथन की विरासत को आगे बढ़ाने और भारतीय कृषि के लिए एक नया रोडमैप तैयार करने का प्रयास है. उनका योगदान भारत को खाद्यान्न संकट से उबार कर खाद्यान्न-समृद्ध देश बनाने में निर्णायक रहा है.
आज नई दिल्ली स्थित एनएएससी कॉम्प्लेक्स में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस आयोजन की घोषणा करते हुए डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने भारत को खाद्यान्न की कमी से जूझ रहे देश से खाद्यान्न-अतिरिक्त राष्ट्र में बदलने में प्रो. स्वामीनाथन की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला. उन्होंने आगे कहा कि प्रो. स्वामीनाथन भारत के एक वीर सपूत थे जिनके कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी नेतृत्व ने देश के हरित परिदृश्य को नया रूप दिया. डॉ. जाट ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि इस सम्मेलन का उद्देश्य भारतीय कृषि के भविष्य का रोडमैप तैयार करके प्रो. स्वामीनाथन की विरासत को आगे बढ़ाकर इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
वहीं, एमएसएसआरएफ के अध्यक्ष डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने सम्मेलन के वैश्विक महत्व और दुनिया भर में टिकाऊ कृषि के भविष्य को आकार देने में इसकी भूमिका पर जोर दिया. डॉ. सी. विश्वनाथन, संयुक्त निदेशक (अनुसंधान), भाकृअनुप-आईएआरआई ने भारतीय कृषि पर प्रोफेसर स्वामीनाथन के परिवर्तनकारी प्रभाव पर विचार व्यक्त किया. डॉ. अशोक सिंह, सचिव, एनएएएस, (फसल विज्ञान) ने कहा, " भोजन भगवान है और प्रोफेसर स्वामीनाथन लाखों लोगों के लिए भगवान रहे हैं."
बयान में कहा गया कि यह आयोजन प्रो. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व का उत्सव है और एक स्थायी, समतापूर्ण और भूख-मुक्त विश्व के निर्माण के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि करता है - एक ऐसा युग जो जैव-सुख की अवधारणा पर आधारित है.
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