जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार दोपहर 1 बजे निधन हो गया. लंबी बीमारी से जूझ रहे 79 वर्षीय मलिक ने दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में आज अंतिम सांस ली. सत्यपाल मलिक का नाम उन कुछ एक नेताओं में आता है जो किसानों के हित में हमेशा खड़े रहते थे. ये वही सत्यपाल मलिक थे जो मोदी सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों (अब निरस्त हो चुके) पर मोदी सरकार के खिलाफ खुलकर आवाज बुलंद करते थे. आज हम आपको सत्यपाल मलिक के उसी वाकये को बता रहे हैं जब एक इंटरव्यू में पूर्व राज्यपाल ने किसानों का खुलकर समर्थन दिखाया था.
चौधरी चरण सिंह से राजनीति के गुणों के साथ ही सत्यपाल मलिक को किसानों के प्रति संवेदनाएं भी साथ मिलीं. यही वजह है कि साल 2021 में किसान आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार की आलोचना की थी. फरवरी 2021 में इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में मलिक के बयानों से मोदी सरकार में हलचल मच गई थी. उन्होंने तब नवंबर 2020 से कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को लेकर आवाज उठाई थी. मलिक ने इन विरोध प्रदर्शनों से सरकार के निपटने के तरीके पर सवाल उठाए थे. सत्यपाल मलिक ने इस इंटरव्यू में कहा था, “किसानों को अपमानित करके वापस नहीं भेजा जा सकता. आप उन्हें अपमानित करके विरोध प्रदर्शनों से वापस नहीं भेज सकते. आपको उनसे बातचीत करनी चाहिए.”
इस इंटरव्यू के एक महीने बाद सत्यपाल मलिक बागपत में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने फिर किसानों के अपमान पर बात करते हुए कहा था कि ऑपरेशन ब्लू स्टार की तरह इस पर भी सिखों की ओर से प्रतिक्रिया आ सकती है. इसके बाद नवंबर 2021 में सत्यपाल मलिक जयपुर में ‘ग्लोबल जाट समिट’ को संबोधित करने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कहा था कि हमारे देश ने इससे पहले कभी इतना बड़ा विरोध प्रदर्शन नहीं देखा. इसमें 600 लोग शहीद हो गए. मलिक ने कहा था कि अगर को जानवर भी मर जाता है तो दिल्ली के नेता शोक संदेश जारी करने लगते हैं, मगर 600 किसानों की मौत पर कोई प्रस्ताव तक पारित नहीं हुआ.
दरअसल, सत्यपाल मलिक ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत ही चौधरी चरण सिंह के साथ की थी. तो जाहिर है कि किसानों के साथ मलिक अहित नहीं देख पाते थे. मलिक ने 1968-69 में छात्र नेता के तौर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. इस दौरान उनकी चौधरी चरण सिंह से करीबी बढ़ी तो 1974 में चुनावी राजनीति में आ गए. इसके बाद वह यूपी के बागपत से विधानसभा का चुनाव जीते और विधानसभा पहुंचे. इसके बाद बाद चौधरी चरण सिंह के साथ ही मलिक लोक दल में आ गए. जिसके बाद वह पार्टी के महासचिव बने. फिर 1980 में सत्पाल मलिक को लोक दल ने राज्यसभा पहुंचाया.
ये भी पढे़ं-
त्योहारी सीजन आने से पहले ही दबाव में शुगर मिलें, क्या पड़ सकती है चीनी की किल्लत?
आयात-उत्पादन लड़खड़ाया, फिर भी उर्वरक की मांग और बिक्री ने बनाया नया रिकॉर्ड!
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today