कंपनियों के लिए खेती करके लाखों कमा सकते हैं किसान, जानिए कैसे की जाती है कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग?

कंपनियों के लिए खेती करके लाखों कमा सकते हैं किसान, जानिए कैसे की जाती है कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग?

अगर आप खेती करते हैं और खेती से अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो आप कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करें. इसका मतलब है कि आप किसी कंपनी के लिए खेती करें और अपनी फसल का भाव खुद तय करें. इस खबर में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से जुड़ी तमाम बातें बताने जा रहे हैं.

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कंपनियों के लिए खेती करके लाखों कमा सकते हैं किसान, जानिए कैसे की जाती है कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग?क्या होती है कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग

खेती हमारे देश का सबसे पुराना पेशा माना जाता है. आज भी देश की सबसे बड़ी आबादी डायरेक्ट-इनडायरेक्ट खेती से जुड़ी है और उससे कमाई कर रही है. खेती करने वाले ज्यादातर किसान आज भी अपनी आर्थिक आय से जूझ रहे हैं. ऐसे किसानों को अब पारंपरिक फसलों की खेती छोड़ आधुनिकता के साथ आगे बढ़ना चाहिए ताकि उनके हालात बदल सकें. आप अनाज या सब्जियों की खेती की बजाय ऐसी फसलें उगाएं जिनका उपयोग और मांग जबरदस्त है. इस खबर में आपको तीन ऐसी फसलों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी खेती किसानों के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद है. इतना ही नहीं इन फसलों की खेती के लिए कई प्राइवेट कंपनियां किसानों से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करवाती हैं. 

क्या होती है कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग?

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग ठीक उसी तरह से होती है जैसे किसी भी अन्य चीजों की ठेकेदारी पर काम कराया जाता है. बड़ी-बड़ी कंपनियां किसानों से संपर्क करके खेती करवाते हैं, और कंपनियां उस फसल को एक निश्चित मूल्य पर खरीदने के लिए सहमत होती हैं. यह समझौता आमतौर पर एक लिखित रूप में होता है, जिसमें फसल की मात्रा, खेत का क्षेत्रफल, गुणवत्ता, और डिलीवरी की तारीख जैसी शर्तें शामिल होती हैं. इससे किसानों को बाजार भाव से ज्यादा पैसे मिलने की संभावना रहती है.

कंपनियां क्यों करवाती हैं कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग?

आमतौर पर फूड कंपनी, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनी और मेडिकल प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियां ही किसानों से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करवाती हैं. इन इंडस्ट्रियों के अधिकांश प्रोडक्ट्स ऐसे होते हैं जो फल और फूल से बनाए जाते हैं. रॉ मैटेरियल की आपूर्ति के लिए ये सीधे किसानों से संपर्क करके अपने जरूरत की खेती करवाती हैं जिससे किसानों को कई बार मुंह मांगा दाम भी मिल जाता है. 

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इन फसलों की करें कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग

हालांकि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत कई फसलें उगाई जाती हैं लेकिन हम आपकों तीन ऐसी फसलों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे सीमित देखभाल में भी उगाया जा सकता है. इन फसलों में गुलाब, रजनीगंधा और ऐलोवेरा का नाम आता है. इन फसलों की खेती के लिए किसानों को पॉलीहाउस या नेट हाउस बनाना होगा जिसके नजदीकी कृषि अधिकारियों से संपर्क करके सब्सिडी भी ले सकते हैं. 

गुलाब, रजनीगंधा और ऐलोवेरा के उपयोग

हमने ऊपर गुलाब, रजनीगंधा और ऐलोवेरा का जिक्र किया है. ज्यादातर कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियां इन चीजों का उपयोग करती हैं. गुलाब और रजनीगंधा से सीरम और इत्र जैसी चीजें बनाई जाती हैं तो वहीं ऐलोवेरा से कई तरह के फेश वॉश और लोशन बनाए जाते हैं. इसके अलावा इन तीनों का उपयोग कई दवाइयां बनाने में भी किया जाता है, जिसके कारण इसकी खेती अधिक फायदेमंद है. 

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से कैसे जुड़ें?

अगर किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से जुड़ना चाहते हैं तो इसके लिए उनके पास पर्याप्त जमीन होनी चाहिए. छोटे पैमाने में खेती करने वाले किसानों से अक्सर कंपनियां संपर्क नहीं कर पाती हैं. इसके अलावा किसानों को बाजार पहुंच पर ध्यान रखना होगा. आप मंडी जाकर या किसी ऐसे व्यक्ति से संपर्क करें जो आपके शहर में बाहर से आने वाले माल या आपके शहर से बाहर जाने वाले माल के कारोबार से जुड़ा हो. या फिर आप सीधे किसी भी कंपनी को मेल कर अपना प्रपोजल रख सकते हैं. सारी डिटेल चेक करने के बाद कंपनियां खुद आपसे संपर्क करेंगी.

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