हमारे देश में डच रोज के फूलों की लोकप्रियता हमेशा से रही है और अब इसके कटे हुए फूलों यानी कट फ्लावर की मांग घरेलू बाजार में दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ रही है. इसलिए, डच रोज की व्यावसायिक खेती किसानों के लिए एक बहुत अच्छा और मुनाफे वाला विकल्प बन सकती है. एक एकड़ में डच गुलाब के लगभग 16,000 पौधे लगाए जा सकते हैं, और तीन महीने में फूल आने लगते हैं. हर महीने 1,500 से 2,000 फूल मिलते हैं, जिनमें से हर फूल 6 से 10 रुपये में बिकता है. इस तरह आप हर महीने 80 हजार से लाख रुपये कमा सकते हैं. डच रोज की संरक्षित खेती के लिए ग्रीनहाउस सबसे अच्छा विकल्प है. व्यावसायिक खेती के लिए लगभग एक एकड़ का ग्रीनहाउस, जो 100 मीटर लंबा और 40 मीटर चौड़ा हो, उत्तम माना जाता है और इसकी ऊंचाई जमीन से 17-18 फीट होनी चाहिए.
डच रोज के लिए सड़ी हुई गोबर की खाद डालें, लेकिन कच्ची खाद डालने से बचें क्योंकि इससे दीमक लगने का खतरा रहता है. आमतौर पर, 5-6 किलो प्रति वर्ग मीटर खाद को मिट्टी में 15-20 सेंटीमीटर की गहराई तक अच्छी तरह मिला देना चाहिए. डच रोज के लिए जमीन की सतह से उठी हुई क्यारियां बनाएं. इन क्यारियों की ऊंचाई 25-30 सेंटीमीटर और चौड़ाई 1 मीटर होनी चाहिए, साथ ही दो क्यारियों के बीच आने-जाने के लिए 40-50 सेंटीमीटर का रास्ता भी छोड़ना चाहिए.
व्यावसायिक खेती के लिए आप सुपर स्टार, ताजमहल, ग्रैंड गाला और पैरिस जैसी प्रमुख किस्में चुन सकते हैं. डच रोज का पौधरोपण सही समय और सही तरीके से करना बहुत अहम है. मैदानी इलाकों में पौधे लगाने के लिए अक्टूबर का महीना सबसे अच्छा होता है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों के लिए मार्च का महीना बेहतर रहता है. पौधे लगभग 6-7 महीने पुराने हों और उस पर 3-4 नई शाखाएं निकली हों. पौधे लगाने के लिए, एक मीटर चौड़ी क्यारी में दो लाइनें बनाएं. इन लाइनों के बीच की दूरी 50 सेंटीमीटर और लाइन में पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पौधा लगाते समय बडिंग वाले हिस्से (गांठ) को जमीन की सतह से 7-8 सेंटीमीटर ऊपर ही रखें.
बेंडिंग यह एक बहुत जरूरी प्रक्रिया है जिससे पौधे की सेहत सुधरती है और फूलों की क्वालिटी अच्छी होती है. जब पौधे पर कमजोर टहनियां निकलें और उन पर मटर के दाने जैसी छोटी कलियां बनें, तो उन टहनियों को नीचे की ओर 45 डिग्री के एंगल पर रास्ते की तरफ मोड़ दें. ऐसा करने से पौधे की सारी ऊर्जा मजबूत टहनियों को मिलती है, जिससे उन पर लगने वाले फूलों की डंडी मोटी और फूल बड़ा होता है. कमजोर टहनियों को हमेशा मोड़ते रहें और केवल मजबूत टहनियों से ही फूल लें. डच रोज को नियमित रूप से पानी और पोषक तत्वों की जरूरत होती है.
संरक्षित खेती में सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम (टपक विधि) सबसे अच्छा तरीका है और इसी के माध्यम से पौधों को पोषण भी दिया जाता है. इसके लिए, 200 PPM का नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का घोल बनाकर पानी के साथ दिया जाता है. यह ध्यान रखना अहम है कि पानी और खाद एक बार में ज्यादा देने के बजाय, दिन में 2-3 बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दें. जैसे एक बार सुबह 10-11 बजे और फिर शाम को 3-4 बजे दें. मौसम की स्थिति के अनुसार पानी की मात्रा को घटाया या बढ़ाया जा सकता है.
सही समय पर कटाई करने से फूल न केवल बाजार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं, बल्कि वे लंबे समय तक ताजे भी रहते हैं. फूलों की कटाई के लिए सुबह का समय सबसे उत्तम होता है, क्योंकि इस वक्त उनकी डंडियों में पानी की मात्रा भरपूर होती है. कटाई के लिए सही स्टेज तब होती है, जब कली थोड़ी खिल जाए, उसका रंग साफ दिखने लगे और ऊपर एक छोटा सा छेद जैसा बन जाए. यह बहुत जरूरी है कि फूलों को काटने के तुरंत बाद उनकी डंडियों को साफ पानी से भरी बाल्टी में डाल दिया जाए, ताकि वे मुरझाएं नहीं.
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