Gladiolus Farming: सितंबर-अक्टूबर में करें ग्लैडियोलस की खेती, 3 महीने में होगी लाखों की कमाई!

Gladiolus Farming: सितंबर-अक्टूबर में करें ग्लैडियोलस की खेती, 3 महीने में होगी लाखों की कमाई!

सितंबर-अक्टूबर का समय ग्लैडियोलस की खेती के लिए बेहतर है, जिससे किसान मात्र 3 से 4 महीनों में लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं. इस फूल की बाजार में, विशेषकर शादी-विवाह और अन्य समारोहों के लिए भारी मांग रहती है, जिन्हें बेचकर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

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Gladiolus Farming: सितंबर-अक्टूबर में करें ग्लैडियोलस की खेती, 3 महीने में होगी लाखों की कमाई!ग्लैडियोलस के फूल से होती है तगड़ी कमाई

ग्लैडियोलस एक ऐसा फूल है, जिसकी बाजार में भारी मांग और आसान खेती के कारण किसान कम समय में शानदार मुनाफा कमा सकते हैं. शादी-ब्याह, त्योहारों और स्वागत समारोह में गुलदस्ते, बुके के लिए इसकी सबसे ज्यादा मांग होती है. वर्तमान में, भारत में फूलों की खेती में क्षेत्रफल और उत्पादन के मामले में ग्लैडियोलस तीसरे स्थान पर है. ग्लैडियोलस मुख्य रूप से सर्दियों में उगाया जाने वाला फूल है, लेकिन मध्यम जलवायु वाले क्षेत्रों में इसकी खेती लगभग पूरे साल की जा सकती है. इसकी बुआई का सबसे अच्छा समय सितंबर-अक्टूबर से लेकर नवंबर-दिसंबर तक होता है.

लोकप्रिय किस्में और खाद-उर्वरक 

वैसे तो ग्लैडियोलस की हजारों किस्में हैं, लेकिन बाजार की मांग के अनुसार रंगों का चुनाव करना सबसे बेहतर होता है. मुख्य रूप से पीले, सफेद, गुलाबी और लाल रंग के फूलों की मांग सबसे ज्यादा रहती है. मैदानी इलाकों में खेती के लिए कुछ प्रमुख किस्में हैं-स्नो क्वीन, सिल्विया, एपिस ब्लासम अग्नि, रेखा, पूसा सुहागिन, नजराना आरती, अप्सरा, शोभा, सपना और पूनम इसकी बेहतर किस्में हैं.

इसकी खेत की तैयारी के समय प्रति एकड़ 5 से 6 टन अच्छी सड़ी हुई कंपोस्ट खाद, 80 किलो नाइट्रोजन, 160 किलो फास्फोरस और 80 किलो पोटाश की जरूरत होती है. इन उर्वरकों को देने का सही तरीका यह है कि बुवाई के समय खेत में कंपोस्ट, फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा मिला दें. इसके साथ, नाइट्रोजन की कुल मात्रा का केवल एक-तिहाई (⅓) हिस्सा ही बेसल डोज के रूप में डालें. शेष बची हुई नाइट्रोजन को दो बराबर हिस्सों में बांटकर टॉप ड्रेसिंग के रूप में देना चाहिए. 

कंदों की रोपाई का सही तरीका

ग्लैडियोलस की बुआई इसके कंद (बल्ब) से होती है, जो आलू की तरह दिखते हैं. एक एकड़ खेत में रोपाई के लिए लगभग 60,000 कंदों की जरूरत होती है. रोपाई से पहले कंदों को फफूंदनाशक से उपचारित करना बेहद जरूरी है. इसके लिए 0.2% कार्बेंडाजिम के घोल में कंदों को डुबोकर शोधन करें. इससे फसल को फंगस से होने वाली बीमारियों से बचाया जा सकता है. इसकी बुआई आलू की तरह दो तरीकों से की जा सकती है. पहला, क्यारियां बनाकर लाइनों में 25 सेंटीमीटर की दूरी पर 5 सेंटीमीटर गहराई में कंद लगाएं. ध्यान रहे कि खेत में पानी जमा न हो. दूसरा, खेत में आलू की तरह मेड़ (रिज) बना लें और नालियों में कंदों की रोपाई करें. यह तरीका ज्यादा सुरक्षित माना जाता है. कंद लगाते समय यह सुनिश्चित करें कि जड़ वाला हिस्सा नीचे और कल्ले निकलने वाला हिस्सा ऊपर की ओर हो. इसके लिए कंदों को पहले अंकुरित करके बोना सबसे अच्छा रहता है.

ग्लैडियोलस की खेती मुनाफे का सौदा 

ग्लैडियोलस की खेती मुनाफे का एक बेहतरीन सौदा है, खासकर दूसरे साल से. पहले साल, प्रति एकड़ की खेती में लगभग 2 लाख रुपये की कुल लागत आती है, क्योंकि प्रारंभिक निवेश कंद (बल्ब) खरीदने में अधिक होता है. यह फसल सिर्फ 90 दिनों में तैयार हो जाती है और इससे लगभग 3 लाख रुपये की कमाई होती है, जिससे किसान को पहले साल में करीब 1 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा मिलता है. दूसरे साल से यह गणित और भी आकर्षक हो जाता है, क्योंकि अगली बुआई के लिए कंद पहली फसल से ही उपलब्ध हो जाते हैं, जिससे कुल लागत घटकर मात्र 20,000 रुपये प्रति एकड़ रह जाती है. कमाई लगभग 3 लाख रुपये पर स्थिर रहती है, और इस तरह किसान का शुद्ध मुनाफा बढ़कर लगभग 2.80 लाख रुपये हो जाता है.

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