Sugarcane Crops: बाढ़ और जलभराव से गन्ने की फसल कैसे बचाएं? कृषि विशेषज्ञ ने बताए ये खास उपाय

Sugarcane Crops: बाढ़ और जलभराव से गन्ने की फसल कैसे बचाएं? कृषि विशेषज्ञ ने बताए ये खास उपाय

Sugarcane Crops: उत्तर भारत में भारी बारिश से गन्ने की खेतो पानी भरने के कारण फसल की बढ़वार रुक गई है और बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, फसल बचाने के लिए तुरंत खेत से पानी निकालें. पानी उतरने के बाद नाइट्रोजन, पोटाश और सल्फर डालें. पौधे को तुरंत ताकत देने के लिए यूरिया का पत्तियों पर छिड़काव करें. फंगस और कीटों से बचाव के लिए भी जरूरी उपाय अपनाएं.

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Sugarcane Crops: बाढ़ और जलभराव से गन्ने की फसल कैसे बचाएं? कृषि विशेषज्ञ ने बताए ये खास उपायजलभराव से गन्ने की फसल में रोग का खतरा

जुलाई, अगस्त और सितंबर का महीना गन्ने की फसल के लिए सबसे खास होता है, क्योंकि इसी समय यह सबसे तेजी से बढ़ता है. लेकिन इस साल उत्तर भारत, खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के निचले इलाकों में हुई भारी बारिश से खेतों में पानी भर गया है. इस जलभराव के कारण गन्ने की बढ़वार रुक गई है और फसल में कीड़े-बीमारियां लगने का खतरा भी बढ़ गया है. इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. इस बड़ी समस्या से निपटने के लिए भारतीय गन्ना शोध संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. एस.एस. सिंह ने किसानों को कुछ जरूरी सुझाव दिए हैं और बताया कि जब खेत में कई दिनों तक पानी भरा रहता है, तो गन्ने की जड़ों तक हवा नहीं पहुंच पाती, जिसके कारण जड़ों का विकास पूरी तरह से रुक जाता है. इस स्थिति में पुरानी जड़ें काम करना बंद कर देती हैं और नई जड़ें भी नहीं निकल पातीं. इसके साथ ही, मिट्टी में मौजूद जरूरी पोषक तत्व, जैसे कि नाइट्रोजन, पौधे को उपलब्ध नहीं हो पाते हैं. यह एक 'जैविक सूखा' की स्थिति पैदा करता है, जहां पौधा पानी में डूबे होने के बावजूद पानी और पोषक तत्वों को सोखने में असमर्थ होता है और मुरझाने लगता है. इन सभी कारणों से पौधे की पूरी बढ़वार थम जाती है और फसल कमजोर हो जाती है.

सबसे पहले ये काम करें  

आपका सबसे पहला काम खेत से पानी को जल्द से जल्द बाहर निकालना है. इसके लिए नालियां बनाएं या पंप का उपयोग करें. खेत जितना जल्दी सूखेगा, फसल के बचने की संभावना उतनी ही बढ़ जाएगी. फसल को दोबारा तेजी से बढ़ाने के लिए उसे तुरंत पोषण देना जरूरी है. जैसे ही खेत चलने लायक हो जाए, नीचे दी गई खाद गन्ने की कतारों के पास डालें:-

  • जितनी नाइट्रोजन आप आमतौर पर डालते हैं, उसका 20 फीसदी हिस्सा और पोटाश 30 किलो प्रयोग करें.
  • इसके आलावा सल्फर 25 किलो प्रति हेक्टेयर. सल्फर पौधे को ताकत देगा और खराब हो चुकी पाचन क्रिया को सुधारेगा.
  • पानी भरे खेतों में फास्फोरस पहले से ही पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है, इसलिए इसे अलग से डालने की जरूरत नहीं है.

पत्तियों पर छिड़काव से दें तुरंत ताकत

पौधे को तुरंत ऊर्जा देने के लिए पत्तियों पर घोल का छिड़काव बहुत फायदेमंद है. यह काम 15-15 दिन के अंतर पर दो बार करें. 2.5 से 3 किलो यूरिया और साथ में सूक्ष्म पोषक तत्वों (Micronutrients) का मिश्रण 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें. बड़े खेतों में छिड़काव के लिए ड्रोन एक बहुत अच्छा और तेज विकल्प है.

लाल सड़न रोग का खतरा

पानी भरने से गन्ने में लाल सड़न यानि रेड राट जैसी फफूंद वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इनसे बचाव के लिए ये उपाय करें:-

  • ट्राइकोडर्मा हार्ज़ियनम को 15-15 दिन के अंतराल पर दो बार मिट्टी में या सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करें. यह फंगस को रोकेगा और मिट्टी की सेहत भी सुधारेगा.
  • इसके आलवा एज़ॉक्सीस्ट्रोबिन + डिफेनोकॉनाज़ोल नामक फफूंदनाशक का 15-15 दिन के अंतर पर दो बार पत्तियों पर छिड़काव करें, खासकर Co 0238 किस्म में जरूर करें 

कीटों पर रखें पैनी नजर

पानी उतरने के बाद फसल पर टॉप बोरर कीट की चौथी पीढ़ी का हमला हो सकता है. इसलिए फसल की लगातार निगरानी करें और कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत कीटनाशक का प्रयोग करें. इस मुश्किल समय में अपने खेत की रोजाना निगरानी करें. फसल में होने वाले किसी भी बदलाव, चाहे वह बीमारी हो या कीट का हमला, इस पर तुरंत ध्यान दें और कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें. पूर्व वैज्ञानिक डॉ. एस.एस. सिंह ने बताया कि देर से बोई गई फसल को जल-जमाव से ज्यादा नुकसान होता है. भविष्य में गेहूं-गन्ना फसल प्रणाली में ऐसी तकनीकों का उपयोग करें जिससे फसल को बढ़ने का लंबा समय मिले और बुआई सही समय पर हो सके.

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