हर किसान की चाहत होती है कि उसकी फसल की उपज बंपर हो और बाज़ार में उसे अच्छी कीमत मिले. अगस्त के बाद का यह समय सब्जियों की खेती के लिए बिल्कुल सही है, और ज़्यादातर किसान खराब मौसम जैसे अगस्त, सितंबर में नर्सरी तैयार करते हैं. बहुत ज्यादा बारिश के कारण नर्सरी खराब हो जाती है. हालांकि अब चिंता किए बिना सब्जियों की स्वस्थ नर्सरी तैयार कर सकते हैं. किसान इस वक्त फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, मिर्च और बैंगन लगाने की योजना बना रहे हैं. अगर आप अभी भी पुराने तरीके से खेतों में क्यारी (बेड) बनाकर नर्सरी तैयार करने की सोच रहे हैं, तो पारंपरिक विधि में मौसम की मार, कीट और बीमारियों का खतरा हमेशा बना रहता है, जिससे समय पर स्वस्थ और एक समान पौधे नहीं मिल पाते. इस समस्या का सबसे शानदार समाधान है प्रो-ट्रे तकनीक.
यह तकनीक नर्सरी तैयार करने का एक आधुनिक और वैज्ञानिक तरीका है, जो न सिर्फ आपका समय बचाता है, बल्कि इससे तैयार हर एक पौधा स्वस्थ और मज़बूत होता है. इसे अपनाना बहुत आसान और किफायती है. एक प्रो-ट्रे, जिसमें 98 खाने होते हैं, बाज़ार में लगभग 35 से 40 रुपये में मिल जाती है. एक एकड़ खेत की रोपाई के लिए करीब 80 से 100 ट्रे की ही ज़रूरत पड़ती है. जो कई साल तक चलती है जो आपको आगे चलकर हज़ारों रुपये का फायदा देगी.
प्रो ट्रे विधि से पौधे शुरुआत से ही मजबूत और निरोगी रहते हैं. जब इन स्वस्थ पौधों को खेत में लगाया जाता है तो वे मौसम की मार को बेहतर ढंग से झेल पाते हैं और तेजी से बढ़ते हैं. इसमें सबसे पहले प्रो-ट्रे के सभी खानों को कोको-पीट से अच्छी तरह भर दें. हर खाने के बीच में उंगली से लगभग आधा सेंटीमीटर (0.5 cm) गहरा गड्ढा बनाएं और उसमें एक बीज बो दें. बुवाई के बाद, 10-10 ट्रे का ढेर बनाकर एक के ऊपर एक रख दें. फिर इस पूरे ढेर को एक पॉलीथीन शीट से ढक दें ताकि नमी बनी रहे. फसल के अनुसार, 3 से 6 दिनों में अंकुरण शुरू हो जाता है. बीज जैसे अंकुरित होने लगे, सभी ट्रे को ढेर से निकालकर ज़मीन पर या बांस की क्यारियों पर फैला दें, ताकि पौधों को बढ़ने के लिए जगह और रोशनी मिल सके. मौसम के अनुसार, रोज़ाना फुहारे से हल्का पानी दें.
पौधों की अच्छी बढ़त के लिए, बुवाई के 12 दिन और 20 दिन बाद, पानी में घुलनशील खाद (जैसे NPK 19:19:19) का 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. पौधों को फंगस से बचाने के लिए एक बार फफूंदनाशक का स्प्रे करें. कीटों से बचाव के लिए अंकुरण के 7-10 दिन बाद हल्के कीटनाशक का छिड़काव भी कर सकते हैं. जब पौधे खेत में रोपाई के लिए लगभग तैयार हो जाएं, तो उन्हें बाहरी वातावरण के लिए मज़बूत बनाया जाता है. इसके लिए, रोपाई से 4-5 दिन पहले पानी देना कम कर दें और उन्हें हल्की धूप में रखें. इस विधि से पौध लगभग 21 से 30 दिनों में खेत में रोपाई के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगी.
प्रो-ट्रे विधि पारंपरिक क्यारी य़ानी बेड विधि से हर मायने में बेहतर है. इसमें पौधे अलग-अलग खानों में उगते हैं, जिससे वे एक समान, स्वस्थ और मज़बूत होते हैं. सबसे बड़ा फायदा यह है कि रोपाई के समय इनकी जड़ें बिल्कुल नहीं टूटतीं और पौधा बिना किसी झटके के तुरंत खेत में लग जाता है. कोको-पीट जैसे साफ माध्यम के इस्तेमाल से खरपतवार और मिट्टी से होने वाली बीमारियों जैसे जड़-गलन का खतरा भी खत्म हो जाता है. आप पॉली-टनल में अगेती नर्सरी तैयार कर सकते हैं और इन ट्रे को कहीं भी लाना-ले जाना बेहद आसान और सुरक्षित होता है. संक्षेप में, यह नर्सरी तैयार करने का एक फायदेमंद, सुरक्षित और वैज्ञानिक तरीका है.
यह साफ़ है कि पारंपरिक बेड विधि की तुलना में प्रो-ट्रे तकनीक से नर्सरी बीज की बचत, स्वस्थ पौध, अगेती फसल और अंत में बंपर उपज के रूप में कई गुना लाभ मिलता है. अगर आप सब्जी की खेती से अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं, तो प्रो-ट्रे तकनीक अपनाना एक समझदारी भरा कदम है.
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