हमारे देश में बड़े पैमाने में लोग खेती-बाड़ी से जुड़े हैं. खेती करने वाले लोगों को फसल की अच्छी खासी पैदावार के लिए छोटी-बड़ी बातों का ध्यान रखना होता है. इस खबर में हम खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली दलहन फसलों की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं. क्योंकि कई बार दलहन फसलें शुरुआत में तो सही तरीके से तैयार होती हैं लेकिन बाद में उनकी ग्रोथ कम हो जाती है. किसानों को बारीकियां जान लेनी चाहिए ताकि पौधों की अच्छी ग्रोथ प्राप्त कर सकें, जिससे किसानों को कोई आर्थिक नुकसान ना हो.
खरीफ सीजन खेती-बाड़ी के लिहाज से काफी फायदेमंद माना जाता है. इन दिनों अच्छी बरसात होती है जिसके कारण पानी की समस्या कम देखी जाती है. यही कारण है कि खरीफ सीजन में ढेर सारी फसलें उगाई जाती हैं. आपको बता देते हैं कि इन दिनों फसलों को आसानी से तैयार करना भी चुनौती होती है. कई कारण हैं जिससे ग्रोथ रुक सकती है.
हम जानते हैं कि जून-सितबंर के बीच देश में लगातार बरसात होती है. इन दिनों खरीफ सीजन वाली दलहन फसलें भी उगाई जाती हैं. दालों की फसल के लिए कम पानी की जरूरत होती है. अगर खेत में अधिक पानी भर जाता है तो पौधे डैमेज, जड़ सड़न या फिर फफूंद का खतरा रहता है.
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पौधों की ग्रोथ में सबसे बड़ा बैरियर खरपतवार होते हैं. ये फसलों के साथ उगने वाले अनावश्यक घास होते हैं जो खाद-पानी मिलने पर तेजी से बढ़ते हैं. खरपतवारों के तेजी से बढ़ने के कारण कई बार फसलें दब जाती हैं और उन तक सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाता है, जिससे फसलें प्रभावित होती हैं.
दलहन फसलों की खेती करने वाले किसानों को कीट और रोग का सामना भी करना पड़ता है. दालों के पौधे कम पानी में तैयार होते हैं, लेकिन लगातार पानी भरे होने के कारण फफूंद और अन्य बरसाती कीड़ों का खतरा बढ़ता है.ये कीड़े जड़ और पत्तियों में अटैक करते हैं जिससे पौधों को खासा नुकसान होता है.
दलहन फसलों को होने वाले नुकसान के बारे में जान लेने के लिए ये भी जान लेते हैं कि अच्छी ग्रोथ के लिए क्या करना चाहिए. दलहन फसलों के खेत में जलभराव होने से बचाएं. खेत में ज्यादा पानी भर गया है तो मेड काटकर बाहर निकाल लीजिए. इसके अलावा फसल की बुवाई के 20 दिन बार निराई करें, 45 दिन बार एक बार फिर खरपतवार हटा दीजिए. इस तरह से आप दलहन फसलों की सुरक्षा कर पाएंगे.
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