खेती के काम में आपको कितनी भी चीजें क्यों ना पता हो, कितनी भी तकनीकियां पता हो, लेकिन अगर इन चीजों की बारीकी नहीं पता होगी तो खेती में नुकसान खा सकते हैं. ये बारीकियां सबसे ज्यादा काम आती हैं फसल में खाद और दवाएं डालने के वक्त. होता ये है कि किसान बस सही मात्रा का ध्यान रखते हुए खाद और दवाएं खेत में डाल देते हैं. मगर इसका ध्यान बहुत कम लोग रखते हैं कि किस रसायन के साथ कौन सा रसायन डालने से नुकसान हो सकता है. यही गलती किसान DAP और Zinc को खेत में डालते वक्त करते हैं. बहुत सारे किसान DAP और Zinc को खेत में एक साथ डाल देते हैं और फिर इसके दुष्परिणाम झेलने पड़ते हैं. इसलिए आज हम आपको ऐसा ना करने के कारण बता रहे हैं और इससे होने वाले नुकसान बता रहे हैं.
सबसे पहले तो ये समझिए कि DAP को Di-Ammonium Phosphate उर्वरक होता है और Zinc, जिंक सल्फेट होता है जो खेत में डाला जाता है. मगर इन दोनों ही चीजों को एक साथ खेत में डालने से फसल को कई तरह के नुकसान होते हैं. दरअसल, DAP का pH क्षारीय होता है, करीब 7.5 से 8 के बीच में रहता है. वहीं जिंक उर्वरक (खासकर जिंक सल्फेट) का स्वभाव अम्लीय होता है. जब इन दोनों चीजों को एक साथ खेत में डालते हैं तो ये आपस में मिलकर रासायनिक प्रतिक्रिया कर लेते हैं. इससे जिंक अघुलनशील जिंक फॉस्फेट (Zn₃(PO₄)₂) बन जाता है. जैसे ही ये जिंक फॉस्फेट में बदल जाता है तो ये मिट्टी में घुलता नहीं है और ढेले की तरह बनकर रह जाता है. ऐसे में पौधों को ना तो फॉस्फोरस मिल पाता और ना ही जिंक मिल पाता है और फसल में इन दोनों ही अहम पोषक तत्वों की कमी रह जाती है.
ये गलती करने से जब फसल में जिंक की कमी हो जाएगी तो पौधों की पत्तियों में पीली धारियां दिखने लगती हैं. साथ ही पत्तियों का साइज भी छोटा रह जाता है और पौधा भी बौना रह जाता है. अगर पौधा बढ़ भी जाएगा तो इसकी फलियां कम भराव वाली और अनाज का दाना छोटा रह जाएगा. इसी तरह फॉस्फोरस की कमी से भी पौधे की ग्रोथ प्रभावित होती है. खास तौर पर फसल की शुरुआती वृद्धि धीमी हो सकती है.
इसमें किसान का आर्थिक नुकसान भी होता है, क्योंकि फिर किसान को और पैसा खर्च करना पड़ता है दवाओं और खाद पर मगर फिर भी पौधों को पोषण नहीं मिल पाता. DAP और ZnSO₄ दोनों की 30–40% तक उपयोगिता घट जाती है. इस चीज का फसल और उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है. खास तौर पर चावल, गेहूं, मक्का, गन्ना और दलहनी फसलों में पौधे की बढ़वार एक तरह से रुक जाती है. इनकी दाने/फलियों का साइज छोटा रह जाता है. ICAR ट्रायल्स की मानें तो इससे पूरी फसल की पैदावार करीब 10 से 15% तक घट सकती है.
इस चीज से बचने के लिए किसान डीएपी और जिंक का अलग-अलग इस्तेमाल करें. खेत में DAP खाद को बुवाई के समय ही डाल दें और फिर जिंक सल्फेट को कम से कम 15 से 20 दिन बाद टॉप ड्रेसिंग के रूप में खेत में डालें. मिट्टी का हेल्थ टेस्ट कराएं और अगर इसमें जिंक की कमी अधिक हो तो जिंक सल्फेट को मिट्टी में अलग से मिलाएं या फोलियर स्प्रे भी कर सकते हैं. चाहें तो DAP की जगह NPK कॉम्प्लेक्स उर्वरक भी खेत में डाल सकते हैं और फिर जिंक अलग से देंगे तो भी फायदा होगा.
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