सीफेट की इस मशीन से खत्म हो जाएगी मछली बाजार की गंदगी, दुकानदार की इनकम भी बढ़ाएगी

सीफेट की इस मशीन से खत्म हो जाएगी मछली बाजार की गंदगी, दुकानदार की इनकम भी बढ़ाएगी

सीफेट, लुधियाना फूड प्रोसेसिंग से जुड़ी मशीनों की टेक्नोलॉजी तैयार करता है. साथ ही बाजार में बिकने के लिए आने वाली फूड प्रोसेसिंग से जुड़ी मशीनों को एनओसी भी देती है. इस एनओसी के बाद ही मशीन बाजार में बिकती है. 

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सीफेट की इस मशीन से खत्म हो जाएगी मछली बाजार की गंदगी, दुकानदार की इनकम भी बढ़ाएगीसीफेट में बना फिश कटर. फोटो क्रेडिट-किसान तक

मछली काटने का तरीका और बाजार में फैली गंदगी कई बार फिश के शौकीनों को भी परेशान कर देती है. मछली काटने के बाद दुकानदार उसके अवशेष को यहां-वहां फेंक देते हैं. मछली काटते वक्त उस पर मक्खि यां भी बैठती हैं. लेकिन सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट साइंस एंड टेक्नोंलॉजी (सीफेट), लुधियाना ने एक मशीन बनाई है. इस मशीन से मछली बाजार में फैलने वाली गंदगी खत्म हो जाएगी. मछली की कटिंग भी बहुत ही साफ-सुथरे तरीके से होगी. साथ ही मछली की कटिंग करने में दुकानदार का वक्त  भी कम लगेगा. 
  
सीफेट ने हाल ही में जिंदा मछली को नदी-तालाब से बाजार तक ट्रांसपोर्ट करने के लिए एक कार्ट यानि गाड़ी बनाई है. इस कार्ट में लगी गाड़ी सड़कों पर दौड़ रही सामान्य ई-रिक्शा  जैसी है. लेकिन सीफेट ने उसमे एक कंटेनर फिट किया है. इस कंटेनर में कई तरह के उपकरण लगे हुए हैं. यह उपकरण ही मछली को तालाब से लेकर बाजार तक जिंदा रखते हैं.

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ऐसे काम करता है सीफेट का मछली कटर 

सीफेट के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. अरमान मुजाद्दादी ने किसान तक को बताया कि नॉर्थ ईस्ट से लेकर कश्मीर तक मछली को काटने के लिए एक ही तरीका अपनाया जाता है. और यह तरीका है एक खास तरह के चाकू और लकड़ी के डंडे की मदद से. चाकू पर मछली रखकर उस पर डंडा मारा जाता है. लेकिन हमारे संस्था न ने ऐसी मशीन बनाई है जो तीन तरफ से पूरी तरह कवर है. सामने की ओर से शीशा लगाया गया है. क्योंकि ग्राहक अक्सर मछली को अपने सामने कटता हुआ देखना चाहता है. वो इसलिए भी कि दुकानदार कहीं खराब मछली तो नहीं काट रहा है. 

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मशीन में लगा कटर जब काम करता है तो उसके साथ पानी की एक धार भी चलती है. जिससे कि मशीन का फर्श और मछली से निकलने वाला खून पानी के साथ मशीन के नीचे रखे एक कवर्ड ड्राम में चला जाता है. मछली की कटिंग होने के बाद उसके अवशेष को निकालकर मशीन के नीचे रखे एक दूसरे ड्राम में डाल दिया जाता है. इसकी कीमत डेढ़ लाख रुपये है. दो से तीन महीने में यह बाजार में मिलने लगेगी. 

200 रुपये की 25 ग्राम बिकती है मछली की हड्डी 

डॉ. अरमान ने बताया कि अगर मछली की कटिंग करते वक्त उसके अवशेष को एक सूखे ड्राम में जमा करते रहें तो यह अच्छे  दाम पर बिक जाता है. अवशेष से खाद बनाने के साथ ही पोल्ट्री  और कैटल फीड भी बनाया जाता है. साथ ही अगर अवशेष के साथ निकलने वाली हड्डी को अलग जमा कर लिया जाए तो यह बाजार में 200 रुपये की 25 ग्राम तक बिकती है. मछली की हड्डी से जिलेटिन नाम का पदार्थ बनता है. इसका इस्तेमाल कॉस्मेटिक और फार्मा कंपनियों में होता है. 

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