
बीते कुछ वक्त से दूध के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. इसी बीच दूध के उत्पादन और डिमांड के बीच अंतर भी आ गया है. हालांकि इस सब के पीछे चारे की कमी और उसके बढ़ते रेट के साथ ही कोरोना-लॉकडाउन को भी एक बड़ा जिम्मेदार बताया जा रहा है. लेकिन इस दौरान आई एक खबर ने डेयरी सेक्टर में हलचल मचा दी. बड़े कारोबारियों समेत छोटे डेयरी किसानों को भी परेशानी में डाल दिया. यह खबर थी आने वाले दिनों में दूध और दूध से बने प्रोडक्ट इंपोर्ट करने की. सोशल मीडिया पर भी यह खबर तेज से वायरल हुई. लेकिन पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने इस खबर का खंडन करते हुए डेयरी किसानों और उससे जुड़े कारोबारियों को बड़ी राहत दी है.
दूध के बढ़ते दाम से बने मौजूदा हालात से कुछ दिन में राहत मिल जाएगी. चारे की कमी से निपटने के लिए बड़े कदम उठाए जा रहे हैं. किसान चारे की खेती की ओर रुख करें इसके लिए 100 किसान एफपीओ को मंजूरी दी गई है. 50 फीसद की छूट वाली स्कीम लाई जा रही हैं. इससे चारे की कमी को दूर किया जाएगा. बीते कई दशक से चारे की जमीन सिर्फ चार फीसद है. इसमे कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. उल्टे बहुत सारी जगहों पर तो चारागाह की जमीन पर अतिक्रमण तक हो गया है.
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डेयरी सचिव राजेश कुमार सिंह ने किसान तक को बताया, ‘यह बात सही है कि दूध के उत्पादन और उसकी डिमांड में कुछ अंतर आया है. लेकिन यह अंतर इतना भी नहीं है कि जिसके चलते यह कहा जाए कि आने वाले दिनों में दूध या दूध से बने प्रोडक्ट की किल्लत हो सकती है. और ऐसा भी नहीं है कि बीते दिनों मिल्क पाउडर और बटर-घी एक्सपोर्ट होने के चलते स्टाक में कोई कमी आई हो. इसलिए खबर एकदम गलत है कि सरकार दूध और उससे बने प्रोडक्ट इंपोर्ट करने की तैयारी कर रही है. अभी तक इंपोर्ट करने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
क्योंकि डेयरी सेक्टर से बड़ी संख्या में किसान और पशुपालक जुड़े हुए हैं, इसलिए इंपोर्ट करने के बारे में कोई भी फैसला लेने से पहले इनके हितों का भी ख्याल रखा जाता है. इंपोर्ट करने से सीधा असर दूध और दूध से बने प्रोडक्ट के रेट पर पड़ेगा, इसलिए इस तरह का कोई भी फैसला बहुत सारे पहलूओं को ध्यान में रखा जाता है.’
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चारे की कमी और उसके महंगे होने के बारे में राजेश कुमार सिंह का कहना है कि बीते कई दशक से चारे की जमीन सिर्फ चार फीसद है. इसमे कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. उल्टे बहुत सारी जगहों पर तो चारागाह की जमीन पर अतिक्रमण तक हो गया है. चारा कमी के चलते ही बाजार में चारे के रेट भी बढ़ गए हैं. वहीं दूसरी ओर कोरोना से पहले तक दूध उत्पादन में हर साल करीब छह फीसद की बढ़ोतरी होती थी. लेकिन अब डेढ़ से दो फीसद तक ही दूध उत्पादन बढ़ रहा है. जबकि दूध की डिमांड हर साल आठ से 10 फीसद तक बढ़ रही है. वैसे भी दूध के मामले में हम दुनिया में पहले नंबर पर हैं. अभी दूध के ऐसे हालात नहीं बने हैं कि हमे इंपोर्ट करना पड़े.
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