जुर्म की दुनिया छोड़ कैदी बने किसान, अब मैनपुरी जेल में उगा रहे सब्जियां

जुर्म की दुनिया छोड़ कैदी बने किसान, अब मैनपुरी जेल में उगा रहे सब्जियां

मैनपुरी जेल में 30-40 कैदी खेती में लगे हुए हैं. ये कैदी सभी सीजनल सब्जियां उगा रहे हैं. इससे मैनपुरी जेल के 1200-1300 कैदियों के लिए सब्जी का काम चल जाता है. साथ ही यूपी के पांच अन्य जेलों को यहां की सब्जियां सप्लाई की जा रही हैं. डिमांड आने पर बाहर भी ये सब्जियां बेची जाती हैं.

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जुर्म की दुनिया छोड़ कैदी बने किसान, अब मैनपुरी जेल में उगा रहे सब्जियांमैनपुरी जेल में सब्जियां उगा रहे कैदी (वीडियो ग्रैब)

मैनपुरी जिला कारागार के कैदी आजकल उन्नत किस्म की सब्जियों की खेती कर रहे हैं. वे सर्दियों के मौसम की सब्जियां जैविक खाद का इस्तेमाल कर उगा रहे हैं. इससे पैदावार अधिक मिल रही है. साथ ही ये सब्जियां सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद हैं. इन सब्जियों में किसी रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. खास बात ये है कि कैदियों की उगाई सब्जियां जेल में खाने के काम तो आ ही रही हैं. करीब आधा दर्जन अन्य जिलों में भी इस सब्जियों की सप्लाई की जा रही है. इससे जेल और उसके कैदियों की आमदनी में बढ़ोतरी हो रही है.

मैनपुरी जिला कारागार सब्जियों के खेती की वजह से आजकल चर्चा में है. जेल तो जेल ही होती है, लेकिन उसमें खेती हो तो लोगों के लिए हैरत की बात है. इस जेल में जो भी व्यक्ति आता है वह किसी न किसी अपराध में शामिल होता है. इन कैदियों की आपराधिक मानसिकता को बदलने के लिए जेल के अंदर उनके अनुरूप काम दिया जाता है. इस मकसद ये होता है कि उससे कैदियों का ध्यान अपराध से हटकर किसी अच्छे काम में लगे. इससे उन्हें समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का मौका मिलता है. 

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मैनपुरी जिला जेल के अभी करीब 30 से 40 बंदी हैं जो अब किसान बनकर जेल में ही खेती कर सब्जियां उगा रहे हैं. करीब साढ़े छह एकड़ जमीन में सर्दियों के मौसम की सभी अच्छी किस्म की सब्जियां उगाई जा रही हैं. इन सब्जियों में मुख्यतः पत्तागोभी, फूलगोभी, पालक, मेथी, गाजर, चुकंदर, मूली आदि शामिल हैं. इन सब्जियों की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इनको उगाने में जैविक खाद का प्रयोग किया जाता है. रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग न के बराबर किया जाता है.

इन कैदियों की सब्जियों की पैदावार सुनकर आप भी चौंक जाएंगे. इन उगाई गई सब्जियां मैनपुरी जिला जेल में तो सप्लाई होती ही हैं, इसके अलावा आगरा, फिरोजाबाद, एटा, मुरादाबाद जिलों में भी सप्लाई की जाती है. इनकी सब्जियों को करीब आधा दर्जन से अधिक जिला कारागार में बाहर भी भेजा जाता है. अगर अलग से डिमांड आती है, तो उसको भी पूरा किया जाता है. इन कैदियों को खेती-बाड़ी में लगाने में मैनपुरी जिला जेल की अधीक्षक कोमल मंगलानी का बहुत बड़ा रोल है. उनके दिशा-निर्देश में कई कैदी अन्य किसानों की तरह सब्जियों की खेती कर रहे हैं.

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मैनपुरी जिला जेल अधीक्षक कोमल मंगलानी कहती हैं, हमारे यहां करीब साढ़ें छह एकड़ जमीन में सर्दियों के मौसम की सभी सब्जियों को उगाया जाता है. इसमें 30 से 40 कैदी कृषि काम में लगे हुए हैं. जिला जेल में सब्जियों की सप्लाई होती है. इसके अलावा आगरा, फिरोजाबाद, एटा, मुरादाबाद सहित करीब आधा दर्जन से अधिक जिला कारागार में सब्जियां भेजी जातीं हैं. 

अधीक्षक कोमल मंगलानी ने बताया कि जिला जेल में एक बाग कमान होती है, जिसके तहत बंदी खेती का काम करते हैं. सर्दियों की सभी किस्में अभी उगाई जा रही हैं. केंद्रीय कारागार आगरा में भी मैनपुरी की सब्जी सप्लाई की जाती है. मैनपुरी जेल में 1200-1300 कैदी है जिनकी सब्जी की खपत कैदी ही पूरी कर रहे हैं. बाकी जेलों में भी यहां की सब्जी भेजी जा रही है. मैनपुरी जेल की कई एकड़ जमीन में सब्जियां उगाई जा रही हैं जिसकी चर्चा दूर-दूर तक फैली हुई है.(रिपोर्ट-पुष्पेंद्र सिंह)

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