मॉनसून में जहां एक तरफ टमाटर और आलू उगाने वाले किसान फसल और मुनाफे से खुश हैं तो वहीं प्याज किसानों पर जैसे बिजली ही गिर पड़ी है. देश की कई मंडियों में प्याज के दाम 56 फीसदी तक लुढ़क चुके हैं. इन कीमतों पर हजारों किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं. एक साल में आधे से भी कम दाम पर प्याज बिक रहा है और किसानों को समझ नहीं आ रहा है कि वो करें तो क्या करें. हालात ये हैं कि हजारों-लाखों का निवेश करने वाले किसानों के लिए उपज की लागत तक निकाल पाना भी मुश्किल हो गया है. सरकारी आंकड़े चीख-चीखकर कह रहे हैं कि इस बार प्याज की खेती करने वाले किसानों को खून के आंसू रोने पड़ रहे हैं. ऐसे में सवाल बस यही है कि किसान क्या करें-प्याज की खेती ही छोड़ दें या फिर घाटा उठाकर ये सब कुछ सहते रहें क्योंकि सरकार की तरफ से अभी तक कोई बड़ा ऐलान नहीं किया गया है.
पिछले एक हफ्ते में आलू, प्याज और टमाटर के दामों पर अगर नजर डालें तो समझ आ जाएगा कि कैसे किसानों को इसने परेशान किया हुआ है. गौरतलब है कि आलू,प्याज और टमाटर तीनों ही ही जरूरी वस्तुओं की श्रेणी में हैं लेकिन संकट सिर्फ प्याज के किसानों पर बढ़ा है.
26 जुलाई 2025 से 2 अगस्त 2025 तक प्याज की कीमतों में करीब 15 फीसदी की गिरावट आई है. जो आंकड़ें आए हैं उसके अनुसार-
अब अगर हम पिछले एक महीने की बात करें या तुलना करें तो भी प्याज स्थिति में कोई ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है. 2 जुलाई 2025 को 1289 रुपये प्रति क्विंटल था और इसका मतलब है कि एक महीने में इसकी कीमतों में करीब 13 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
अगर एक साल पहले की स्थिति की बात करें तो 2 अगस्त 2024 को प्याज की कीमत 2551 रुपये प्रति क्विंटल थी और साफ है कि कीमतों में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है. दो साल पहले यानी 2 अगस्त 2023 को प्याज की कीमत 1416 रुपये प्रति क्विंटल थी और इससे तुलना करें तो पता लगता है कि कीमतों में करीब 15 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है.
किसानों को इस साल अभी तक कोई राहत नहीं मिल सकी है. प्याज के किसानों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को चिट्ठी लिखी है और उनसे अपील की है कि वो इस मसले पर एक मीटिंग बुलाएं. महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संघ(एपीएमसी) के संस्थापक अध्यक्ष भरत दिघोले और नासिक जिला अध्यक्ष जयदीप भदाने द्वारा दिए गए इस पत्र में प्याज की गिरती कीमतों के कारण किसानों के सामने आ रहे गंभीर वित्तीय संकट पर प्रकाश डाला गया है.
वहीं पिछले दिनों एपीएमसी में आयोजित एक मीटिंग में, महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ ने सपोर्ट प्राइस और लंबे समय के लिए नीतिगत उपायों की मांग करते हुए कई प्रस्ताव पास किए. संघ के संस्थापक अध्यक्ष भरत दिघोले की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में राज्य भर के किसान प्रतिनिधियों, एपीएमसी सदस्यों और सहकारी नेताओं ने भाग लिया. इसमें मुख्य मांग थी कि प्याज के लिए न्यूनतम समर्थत मूल्य यानी एमएसपी को 3,000 रुपये प्रति क्विंटल तक सुनिश्चित किया जाए. अभी यह वर्तमान 1,275 रुपये प्रति क्विंटल है. दिघोले ने साफ कहा है कि अगर इसी तरह से प्याज की कीमतें गिरती रहीं और किसानों के लिए कुछ नहीं किया गया तो फिर इसकी खेती बंद करने के लिए उन्हें मजबूर होना पड़ेगा.
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