Auraiya: औरैया में यमुना ने डुबाई किसानों की उम्मीदें, जलस्तर बढ़ने से 2500 बीघा की फसल बरबाद

Auraiya: औरैया में यमुना ने डुबाई किसानों की उम्मीदें, जलस्तर बढ़ने से 2500 बीघा की फसल बरबाद

उत्तर प्रदेश के औरैया में यमुना नदी का जल स्तर बढ़ने से फसलों की भारी तबाही हुई है. यहां औरैया के क्योंटरा गांव में बाजरा, उर्द, मूंग, तिलहन की खेती अचानक यमुना नदी का जल स्तर बढ़ने से पूरी तरह से बरबाद हो गईं. किसानों की माने तो लगभग 2500 बीघा फसल जलमग्न हो गई है.

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औरैया में यमुना ने डुबाई किसानों की उम्मीदें, जलस्तर बढ़ने से 2500 बीघा की फसल बरबादऔरैया में यमुना नदी का प्रकोप

उत्तर प्रदेश के औरैया में यमुना नदी का जलस्तर खतरनाक लेवल पर बढ़ा है. नदी का पानी इस कदर बढ़ रहा है कि अब किसानों की करीब 2500 बीघा की फसलें तबाह हो गईं. औरैया के क्योंटरा गांव में किसानों ने खरीफ सीजन में बाजरा, उड़द, मूंग और अन्य तिलहन की खेती बड़ी पैमाने पर लगाई थी. मगर अब यमुना नदी का अचानक जलस्तर बढ़ने से किसानों की उम्मीदें डूबी दिख रही हैं. किसान तक ने इस तबाही को लेकर जिन भी किसानों से बात की है, वे सभी कुदरत के आगे बेबस और अपनी किस्मत के आगे रोते नजर आ रहे हैं.

फसलों के साथ पशुओं का चारा भी चौपट

यमुना की मार झेल रहे किसानों से जब किसान तक ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि लगभग 2500 बीघा की फसल पानी में डूब गई. किसानों ने बताया कि इस पानी से उनकी सारी आस खत्म हो गईं. जहां नजर डालो पानी ही पानी नजर आ रहा है. खेतों में जितनी भी दूर नजर जाए तो समझो केवल पानी ही पानी है और कुछ नहीं. खरीफ सीजन की सारी फसलें चौपट दिखाई पड़ रहीं हैं. क्योंटरा गांव के किसान मोनू ने बताया कि बहुत तेजी से बाढ़ आई और सारी फसल जलमग्न हो गई. बाजरा की फसल, मूंग की फसल, उर्द की और तमाम तिलहन की फसलें खत्म हो गईं. मोनू ने बताया कि खेती तो डूबी ही मगर अब पशुओं के लिए चारे की भी किल्लत हो रही है. ये भी एक बड़ा संकट है.

बाजरा, तिल, उड़द और मूंग की फसलें डूबीं

एक दूसरे किसान पवन ने बताया कि वे अपनी 15 से 20 बीघा की खेती करते हैं. मगर नदी के पानी से सब फसल बरबाद हो गई. बाजरा, तिल, उड़द, मूंग जैसी सभी फसलें जो लगभग 2000 से 2500 बीघा बीघा में लगी थी, वे सारी खत्म हो गईं. एक और किसान राम नरेश ने इसको लेकर कहा कि यमुना का जलस्तर बढ़ने से बाजरा और तिल की सारी खेती चौपट हो गई. उन्होंने कहा कि मेरी भी 10 बीघा की फसल चौपट हो गई जिसमें बाजरा, तिल और मूंग लगी हुई थी. अब तो जानवरों के लिए चारा भी खरीदना पड़ेगा.

'नाम मात्र का मिलता है फसल मुआवजा'

इसको लेकर एक और किसान पंकज अवस्थी ने किसान तक से बातचीत में बताया कि इस बार ज्वार, मूंग, उड़द की फसल लगाई थी. मगर हर तीन साल में हमारे गांव में यमुना की बाढ़ आती है. मगर हम लोगों को फसल के नुकसान का मुआवजा नहीं मिल पाता. पंकज का कहना है कि कुछ फसल नष्ट होने का कुछ खास मुआवजा हमें नहीं मिल पाता. उनका कहना है कि अगर हमारी 40 बीघा में खेती बरबाद हुई है तो उसका मात्र 1 हजार रुपया मिलता है. इतने में एक खाद की बोरी भी नहीं आती.

(रिपोर्ट- सूर्य प्रकाश शर्मा)

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