
झारखंड में देवघर जिले के मोहनपुर प्रखंड क्षेत्र के बंदरबोना गांव के एक शिक्षक पढ़ाई-लिखाई के साथ खेती में भी बड़ा नाम कमा रहे हैं. इस शिक्षक ने बच्चों को पढ़ाने के साथ खेती-बाड़ी का काम संभाल लिया है. इसका नतीजा ये हुआ है कि इनकी खुद की कमाई तो बढ़ी ही है, इन्होंने खेती-बाड़ी में ही 50 लोगो को रोजगार दिया है. एक बड़ी बात और. इन शिक्षक ने 50 एकड़ बंजर भूमि को उपजाऊ बना दिया है. इस शिकक्ष का नाम हीरा प्रसाद यादव है जो सरकारी स्कूल में सहायक अध्यापक हैं.
हीरा प्रसाद यादव देवघर जिले के बंदरखोना प्राथमिक स्कूल में टीचर हैं. हीरा प्रसाद ने वैसी जमीन पर टमाटर और मटर की खेती खड़ी की है जो कभी परती या बंजर हुआ करती थी. कभी उस जमीन पर फसल को कोई नामलेवा नहीं था, उस जमीन पर हीरा प्रसाद ने फसलें तैयार की हैं. इसके लिए हीरा प्रसाद ने बहुत मेहनत की है. पहले तो उन्होंने भारी हिम्मत करके बंजर पड़ी 50 एकड़ जमीन को लीज पर लिया. जेसीबी मशीन से पूरी जमीन की हल्की खुदाई कर उसे खेती लायक बनाया गया.
खेत तैयार होने के बाद हीरा प्रसाद ने उसमें मटर और टमाटर की फ़सल लगाई. हीरा प्रसाद बताते हैं कि जब उन्होंने बंजर जमीन पर खेती के बारे में सोचा और जुताई शुरू की तो लोगों ने इसका मजाक बनाया. लोग कहते रहे कि बंजर जमीन में क्या होगा जब पहले कुछ नहीं हुआ. लेकिन हीरा प्रसाद नहीं माने और अपने काम में लगे रहे. आज स्थिति ये है कि वे हर दिन 30 कुंटल टमाटर और मटर की उपज ले रहे हैं.
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इतनी बड़ी खेती वे अकेले नहीं कर पाते. ऊपर से वे टीचर भी हैं. इसलिए खेती के काम में उन्होंने 50 से अधिक लोगों को रोजगार दिया है. उनके खेत से बिहार, बंगाल और झारखंड के कई शहरों में टमाटर भेजा जा रहा है. इस शिक्षक के लिए सबसे खुशी की बात ये है कि गांव की महिलाएं भी आज रोजगार पा रही हैं. वे खेती में अच्छी कमाई कर रहे हैं. महिलाएं और पुरुष खेत से हर दिन 30 कुंटल टमाटर तोड़ते हैं. खेत से 10 रुपये के हिसाब से टमाटर बेचा जाता है जिससे हर दिन 30 हजार की कमाई आ रही है.
हीरा प्रसाद कहते हैं कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो इस सीजन में वे आराम से तकरीबन 20 लाख रुपये के टमाटर और मटर का बिजनेस कर लेंगे. अभी औसतन 10 रुपये के रेट से टमाटर की बिक्री चल रही है और मटर के रेट 38 से 40 रुपये मिल रहे हैं. हीरा प्रसाद के खेत से हर दिन 10-15 कुंटल मटर निकलना शुरू हो जाएगा. इसकी पैदावार अब शुरू होने वाली है. मटर की कमाई इस बात पर निर्भर करेगी कि हर दिन कितनी फली की तुड़ाई हो रही है.
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हीरा प्रसाद कहते हैं कि उनके लिए सबसे खुशी की बात ये है कि खेतों में लोकल लोग काम कर रहे हैं. इससे गरीब आदमी को रोजगार मिल रहा है. हीरा प्रसाद कहते हैं कि जन्मदाता भगवान हैं, लेकिन अन्नदाता किसान है. अगर किसान न रहे तो लोग जीवित नहीं रहेंगे. इसलिए हमें खेती पर जरूर जोर देना चाहिए. इस शिक्षक ने 50 एकड़ बंजर जमीन को लीज पर लेकर उसे खेती लायक बनाया और पहली बार उसमें मटर और टमाटर की खेती हो रही है. इनका मटर और टमाटर बंगाल, बिहार भेजा जाता है. जहां रेट अच्छा मिलता है, वहां उपज भेजी जाती है.
हीरा प्रसाद 2013 से स्कूल में पढ़ा रहे हैं जहां एक से पांचवीं तक की पढ़ाई होती है. साथ में वे खेती-किसानी भी कर रहे हैं. हर दिन मटर और टमाटर की तुड़ाई में आसपास के 50 से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है. हीरा प्रसाद के चार भाई में तीन भाई खेती किसानी के काम में जुड़े हैं. आज टमाटर और मटर की खेती में उन्हें बेहद अच्छी कमाई हो रही है.(शैलेंद्र मिश्रा की रिपोर्ट)
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