नई फसल आने के बाद भी गेहूं के दाम में तेजी बनी रह सकती है. इस समय गेहूं का भाव 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. इस बीच भारत में बंपर उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है, जबकि यूक्रेन और अर्जेंटीना जैसे गेहूं उत्पादक देशों में उत्पादन घट सकता है. जिसकी वजह से पूरी दुनिया में गेहूं की क्राइसिस कायम रहेगी. जिसका असर भारत पर भी पड़ेगा. कमोडिटी विशेषज्ञों का कहना है कि अप्रैल के बाद भी 2400 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल का भाव बना रह सकता है. यानी किसानों को मार्केट में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊपर ही भाव मिलने की संभावना है.
ओरिगो कमोडिटी के रिसर्चर इंद्रजीत पॉल का कहना है कि 2021-22 में भारत में 106.84 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ था जो उस वक्त के टारगेट से कम था. लेकिन 2022-23 में उत्पादन बढ़कर 110 मिलियन टन हो सकता है. क्योंकि पिछले साल से एरिया ज्यादा है और बुवाई समय से हुई है, जिससे इस बार भारत में गेहूं की फसल पर अत्यधिक गर्मी का असर कम होगा. लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि दाम बहुत कम हो जाएगा.
पॉल का कहना है कि इस समय भारतीय मुद्रा में रूस के गेहूं का दाम 2500 रुपये जबकि यूक्रेन के गेहूं का भाव 2320 रुपये प्रति क्विंटल है. युनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के वर्ल्ड एग्रीकल्चरल सप्लाई एंड डिमांड एस्टीमेंट्स (WASDE) की दिसंबर 2022 में आई रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 के मुकाबले 2022-23 में गेहूं का वैश्चिक उत्पादन 0.2 फीसदी घटेगा. सबसे ज्यादा गिरावट अर्जेंटीना और यूक्रेन में होने का अनुमान है. अर्जेंटीना में 43.6 और यूक्रेन में गेहूं का उत्पादन 37.9 फीसदी घट सकता है. इससे गेहूं के दाम में तेजी का सेंटीमेंट कायम रहेगा.
अगर नई फसल आने के बावजूद सरकार गेहूं एक्सपोर्ट का बैन नहीं हटाती है तो दाम 2300 रुपये प्रति क्विंटल के रेंज में रहेगा. लेकिन अगर एक्सपोर्ट खुल जाता है तो 2500 रुपये के आसपास रह सकता है. यानी भाव एमएसपी से ऊपर ही रहेगा. हालांकि, ओपन मार्केट सेल के जरिए सरकार कोशिश कर रही है कि किसी भी तरह अप्रैल तक गेहूं का भाव एमएसपी के स्तर तक आ जाए. सरकार ने गेहूं का एमएसपी 2125 रुपये प्रति क्विंटल तय कर रखा है.
साल 2022-23 के लिए यूक्रेन में शीतकालीन गेहूं की बुआई करीब 3.8 मिलियन हेक्टेयर में पहले ही पूरी हो चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में 25 फीसदी और आधिकारिक अनुमान की तुलना में 5 फीसदी कम है. इन आंकड़ों में लुहांस्क, खेरसान, जापोरीजिया 70 फीसदी और डोनेट्स्क के 60 फीसदी इलाकों को शामिल नहीं किया गया है, इन इलाकों में अभी भी सक्रिय तौर पर संघर्ष जारी है.
अर्जेंटीना में गेहूं उत्पादन 3.0 मिलियन मीट्रिक टन घटकर 12.5 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान है. वहां पर व्यापक रूप से शुष्क परिस्थितियों की वजह से बुआई और यील्ड में कमी दर्ज की गई है. अर्जेंटीना में 2015-16 के बाद सबसे कम उत्पादन होने का अनुमान है. पॉल का कहना है कि 2022-23 के लिए वैश्विक गेहूं का आउटलुक कम सप्लाई, कम खपत, बढ़े हुए व्यापार और कम स्टॉक को लेकर है.
मार्केटिंग वर्ष 2022-23 के लिए वैश्विक गेहूं का एंडिंग स्टॉक 0.5 मिलियन मीट्रिक टन घटकर 267.3 मिलियन मीट्रिक टन रहने का अनुमान है. यूरोपीय यूनियन और आस्ट्रेलिया में एंडिंग स्टॉक ज्यादा रहने के बावजूद रूस, कनाडा, अर्जेंटीना और यूक्रेन में एंडिंग स्टॉक में कमी से वैश्विक स्टॉक घटने का अनुमान है.
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