भारत में चावल की खेती बड़े पैमाने पर होती है. देश के सबसे ज्यादा भू-भाग पर चावल की खेती की जाती है. चावल की एक से बढ़कर एक किस्में मौजूद हैं जिनमें बासमती, काला नमक भी शामिल है. चावल को पकाने के लिए आग की जरूरत पड़ती है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे चावल के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे पकाने की जरूरत नहीं पड़ती है. यानी उसे पकाने के लिए किसी आंच की कतई जरूरत नहीं होती. यह चालव उत्तर प्रदेश के रायबरेली में किसान रामगोपाल चंदेल उगाते हैं. इस चावल का नाम बोका चावल है.
रामगोपाल चंदेल पहले ऐसे किसान हैं जो बोका चावल की खेती कर रहे हैं. इस चावल को पकाने की जरूरत नहीं है, बल्कि यह ठंडे पानी में भी पक जाता है. इसीलिए इसे मैजिक चावल (magic rice) नाम दिया गया हैं. वैसे इस चावल को बोका चाउल के नाम से जाना जाता है जिसे आसाम में पैदा किया जाता है. इस चावल को आसाम में जी आई टैग भी मिल चुका है.
चावल की यह किस्म सबसे ज्यादा आसाम के कोकराझार, बारपेटा, नलबारी, बक्सा, धुबरी, दररंग, कामरूप जिलों में पैदा की जाती है. इसे जून महीने में बोया जाता है और अक्टूबर महीने में यह फसल पक कर तैयार हो जाती है. इस चावल की सबसे खास बात यह है कि इसे पकाने की जरूरत नहीं होती है. इस चावल को दूसरे चावल की तरह चूल्हे पर नहीं पकाना होता है, बल्कि इसे केवल पानी में भिगो देने से यह 50 से 60 मिनट में खाने के लिए तैयार हो जाता है. असम और बिहार के कई हिस्सों में दही, दूध और गुड़ के साथ इस चावल को खाया जाता है.
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बोका चावल की इतिहास की बात करें तो 17वीं शताब्दी तक इसका जिक्र मिलता है. मुगल सेना से लड़ने के लिए अहोम सैनिक युद्ध के समय इसका इस्तेमाल किया करते थे. इस चावल को युद्ध के दौरान राशन के तौर पर ले जाया जाता था. युद्ध के दौरान कम समय में ready-to-eat खाने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. इस वजह से सैनिकों के लिए बोका चावल का उपयोग बढ़ जाता है. इस चावल को जी आई टैग मिल चुका है. यह टैग उस वस्तु को मिलता है जो देश में विशिष्ट होता है.
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असम, पश्चिम बंगाल और बिहार में बोका चावल की खेती की जाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश में इस चावल को उगाना काफी मुश्किल भरा काम है. रायबरेली जनपद के ऊंचाहार के रहने वाले किसान राजाराम चंदेल ने बोका चावल की खेती करके एक रिकॉर्ड भी कायम किया है. वे प्रदेश के पहले ऐसे किसान हैं जो इस चावल की खेती कर रहे हैं. बोका चावल को उगाने से रामगोपाल चंदेल की पहचान बढ़ी है. तो वहीं उनकी आय में भी इजाफा हुआ है. इस चावल को उन्होंने कई प्रदर्शनी में भी हाजिर किया है.
मैजिक चावल पोषक तत्वों से भरपूर है. चावल को पैदा करने वाले किसान रामगोपाल चंदेल का दावा है कि यह शुगर फ्री होता है. इसमें प्रोटीन की मात्रा सामान्य चावल से अधिक होती है. वही दूसरे चावल के मुकाबले यह वजन घटाने में मदद करता है. इस चावल को गर्म करके नहीं पकाने से इसमें मौजूद मिनरल्स और पोषक तत्व नष्ट नहीं होते हैं.
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