कृषि कार्यों में रिस्क को कम करने के लिए कृषि विविधीकरण (Diversification) महत्वपूर्ण है और जम्मू-कश्मीर सरकार, जम्मू-कश्मीर के कृषि क्षेत्र में विविधता (Diversify) लाने के लिए लगातार नए-नए कृषि तकनीकों को बढ़ावा दे रही है. इसी क्रम में राज्य में मशरूम की खेती में क्रांति लाने के लिए 42 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट शुरू करने का निर्णय लिया गया है. मशरूम की खेती न केवल किसानों की आय को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण जरिया है, बल्कि जलवायु और मिट्टी में बढ़ रहे परिवर्तनों के विपरीत इसे सुरक्षित भी करती है.
इसी बात को ध्यान में रखते हुए, जम्मू-कश्मीर सरकार पूरे केंद्र शासित प्रदेश में 'साल भर मशरूम की खेती को बढ़ावा देना' (Promotion of Round the Year Mushroom Cultivation) प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के कृषि उत्पादन विभाग द्वारा अगले तीन वर्षों में लगभग 42 करोड़ रुपये की लागत से लागू किए जाने वाले इस प्रोजेक्ट से मशरूम का उत्पादन 3.5 गुना बढ़ जाएगा और यहां मशरूम की खेती में क्रांतिकारी बदलाव आएगा. यह प्रोजेक्ट रोजगार सृजन को भी 3 गुना बढ़ाएगी.
अटल डुल्लू, मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन विभाग के अनुसार, मशरूम की खेती रेवेन्यू जनरेट करती है और गरीबी को कम करने में मदद करती है. मशरूम उत्पादन से फर्मिंग और मार्केटिंग के क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर जनरेट होते हैं. साथ ही यह प्रोसेसिंग बिजनेस और लेबर इंटेंसिव मैनेजमेंट के अवसर प्रदान करता है.
उन्होंने आगे कहा कि मशरूम की खेती के लिए कम पूंजी और थोड़ी तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है. वही मशरूम का उत्पादन घर के अंदर कम लागत में छोटे पैमाने पर आसानी से किया जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि ग्रामीण महिलाएं कम निवेश के साथ अपने घरों में मशरूम उगा सकती हैं और इसकी खेती से सशक्त हो सकती हैं.
'साल भर मशरूम की खेती को बढ़ावा देना' उन 29 प्रोजेक्ट्स में से एक है, जिन्हें केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए अप्रूवल मिला है. के.के. शर्मा निदेशक, कृषि और किसान कल्याण, जम्मू ने कहा, मशरूम ग्रामीण क्षेत्रों का एक महत्वपूर्ण कुटीर उद्योग है. यह छोटे और सीमांत किसानों, भूमिहीन मजदूरों और महिलाओं की आर्थिक बेहतरी की ओर ले जाता है. नकदी फसल होने के नाते युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने का एक अच्छा जरिया है."
उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट के तहत 26 कम्पोस्ट यूनिट, 10 स्पॉन उत्पादन लैब्स, 2000 बैग क्षमता वाला 72 कंट्रोल कंडीशन क्रॉप रूम 3 साल की अवधि में स्थापित किए जाएंगे. इसके अलावा, गैर परंपरागत क्षेत्रों में मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए 1.5 लाख सब्सिडी पर पास्चुरीकृत पस्टिराइज्ड (pasteurize) कम्पोस्ट बैग मशरूम उत्पादकों के बीच बांटे जाएंगे. साथ ही 300 महिला स्वयं सहायता समूहों (Women Self Help Groups) की स्थापना के माध्यम से महिला सशक्तीकरण किया जाएगा.
इसके अलावा इस प्रोजेक्ट के तहत किसानों को 60 सोलर ड्रायर दिए जाएंगे, ताकि उपज को खराब होने से बचाया जा सके. साथ ही रिसर्च और डवलपमेंट के लिए 2.1 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है. इसके तहत औषधीय मशरूम की खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा.
साभार:एएनआई
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