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Basmati Rice Export: बासमती चावल एक्सपोर्ट का बना र‍िकॉर्ड, स‍िर्फ 10 महीने में पूरी हो गई प‍िछले साल ज‍ितनी कमाई

Basmati Rice Export: बासमती चावल एक्सपोर्ट का बना र‍िकॉर्ड, स‍िर्फ 10 महीने में पूरी हो गई प‍िछले साल ज‍ितनी कमाई

प‍िछले साल के मुकाबले इस बार 10 महीने में 7446 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट बढ़ चुका है. जबक‍ि दाम भी पहले के मुकाबले ज्यादा है. प‍िछले साल का औसत दाम 1044 यूएस डॉलर प्रत‍ि टन ही था. जबक‍ि अगर इस साल 10 महीने यानी अप्रैल से जनवरी तक हुए एक्सपोर्ट के दाम का औसत न‍िकालें तो यह 1117 यूएस डॉलर प्रत‍ि टन हो गया है. 

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बासमती चावल का क‍ितना हुआ एक्सपोर्ट. बासमती चावल का क‍ितना हुआ एक्सपोर्ट.

बासमती चावल (Basmati Rice) का एक्सपोर्ट इस साल र‍िकॉर्ड बना सकता है. एक्सपोर्ट के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं. प‍िछले साल इसके एक्सपोर्ट से ज‍ितनी रकम हमने 12 महीने में कमाई थी लगभग उतनी रकम इस साल स‍िर्फ 10 महीने में ही कमा चुके हैं. अगर रकम के आधार पर तुलना करें तो एक्सपोर्ट में 24.40 फीसदी का इजाफा हो चुका है. अप्रैल से जनवरी (2022-23) के दौरान 10 महीनों में 30,513.9 करोड़ रुपये के बासमती राइस का एक्सपोर्ट हुआ था. जबक‍ि अप्रैल-जनवरी (2023-24) के दौरान यह बढ़कर 37,959.9 रुपये हो गया है. प‍िछले साल पूरे व‍ित्त वर्ष में भारत को बासमती एक्सपोर्ट से 38524.1 करोड़ रुपये हास‍िल हुए थे.

एपिडा के एक अध‍िकारी ने DGCIS के आंकड़ों के आधार पर बताया क‍ि दुन‍िया भर के बाजार में भारतीय बासमती का दबदबा लगातार बढ़ रहा है. यह बासमती क‍िसानों के ल‍िए बहुत अच्छा संकेत है. क्योंक‍ि ज‍ितना एक्सपोर्ट बढ़ेगा उतना ही किसानों को लाभ म‍िलेगा. भारत में करीब 60 लाख टन बासमती चावल पैदा होता है और उसमें से अध‍िकांश ह‍िस्सा एक्सपोर्ट हो जाता है. बासमती चावल भारतीय अर्थव्यवस्था के ल‍िए क‍ितना महत्वपूर्ण है इस बात का अंदाजा इस आंकड़े से लगाया जा सकता है क‍ि साल 2022-23 के दौरान कुल कृष‍ि उपज एक्सपोर्ट में अकेले इसकी ह‍िस्सेदारी 17.4 प्रत‍िशत थी, ज‍िसे इस साल और बढ़ने का अनुमान है.

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ज्यादा दाम और अध‍िक एक्सपोर्ट 

प‍िछले साल के मुकाबले इस बार 10 महीने में 7446 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट बढ़ चुका है. जबक‍ि दाम भी पहले के मुकाबले ज्यादा है. प‍िछले साल का औसत दाम 1044 यूएस डॉलर प्रत‍ि टन ही था. जबक‍ि अगर इस साल 10 महीने यानी अप्रैल से जनवरी तक हुए एक्सपोर्ट के दाम का औसत न‍िकालें तो यह 1117 यूएस डॉलर प्रत‍ि टन हो गया है. यानी 90 रुपये प्रत‍ि क‍िलो से अध‍िक दाम पर एक्सपोर्ट हुआ. व‍िशेषज्ञों को अनुमान है क‍ि इस साल 31 मार्च तक इसका एक्सपोर्ट 48 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. व‍िदेशी बाजारों में हमारे इस प्रीम‍ियम चावल की इतनी मांग है क‍ि इसके आसपास भी कोई नहीं ठहरता.

क्यों बढ़ा एक्सपोर्ट

भारत दुन‍िया का सबसे बड़ा चावल न‍िर्यातक है. दुन‍िया के कुल चावल एक्सपोर्ट में भारत की ह‍िस्सेदारी करीब 40 फीसदी है. हालांक‍ि, इस साल सरकार ने घरेलू मोर्चे पर महंगाई को कम करने के ल‍िए गैर बासमती और टूटे चावल के एक्सपोर्ट पर रोक लगाई हुई है. ऐसे में गैर बासमती चावल का एक्सपोर्ट घट गया है और बासमती का एक्सपोर्ट बढ़ गया है.

भारत-पाक‍िस्तान में होती है खेती

,व‍िश्व में बासमती चावल की खेती करने वाले स‍िर्फ दो देश हैं. ज‍िनमें सबसे बड़ा उत्पादक भारत है और दूसरे नंबर पर पाक‍िस्तान है. भारतीय बासमती चावल को जीआई टैग म‍िला हुआ है. लेक‍िन कीटनाशक म‍िलने की वजह से थोड़ा धक्का लगा है. भारत के सात सूबों में बासमती चावल का उत्पादन होता है. इनमें बासमती चावल को जीआई टैग म‍िला हुआ है. पूरे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, पश्च‍िम यूपी (30 ज‍िलों), दिल्ली, उत्तराखंड व जम्मू, कठुआ और सांबा में इसकी खेती को मान्यता है. पाक‍िस्तान में इसकी खेती के ल‍िए स‍िर्फ 14 ज‍िले तय हैं.  

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