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Wheat Price: फ्री अनाज का वादा, खाली गोदाम...एमएसपी से ज्यादा दाम, क्या इस साल भी रुलाएगी गेहूं की महंगाई

Wheat Price: फ्री अनाज का वादा, खाली गोदाम...एमएसपी से ज्यादा दाम, क्या इस साल भी रुलाएगी गेहूं की महंगाई

सरकारी खरीद शुरू होने के 15 द‍िन बाद भी ओपन मार्केट में गेहूं का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अध‍िक बना हुआ है. खुद कृष‍ि मंत्रालय ने अपनी ए‍क र‍िपोर्ट में माना है क‍ि 15 अप्रैल को गेहूं का रेट एमएसपी से 60 रुपये ज्यादा था. सवाल यह है क‍ि जब क‍िसानों को बाजार में एमएसपी से अध‍िक दाम म‍िलेगा तो वो सरकार को क्यों गेहूं बेचेंगे? 

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 क्या गेहूं खरीद का लक्ष्य पूरा कर पाएगी सरकार. क्या गेहूं खरीद का लक्ष्य पूरा कर पाएगी सरकार.

र‍िकॉर्ड पैदावार का दावा कर रही सरकार इस साल भी गेहूं के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करती नजर आ रही है. मामला ये है कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्‍चित करने के लिए 80 करोड़ लोगों को फ्री अनाज उपलब्‍ध कराना सरकार की प्राथमिकता में है, लेकिन देश का गेहूं स्‍टॉक 16 वर्ष के न्यूनतम स्तर पर आ गया है, जो बफर स्‍टॉक के नॉर्म्स से थोड़ा सा ही अधिक है. वहीं इस बीच बाजार में गेहूं का दाम एमएसपी से ज्यादा चल रहा है तो दूसरी ओर सरकारी खरीद काफी सुस्त द‍िखाई दे रही है. ये हालात बता रहे हैं क‍ि इस साल भी जनता को गेहूं और आटे की महंगाई का सामना करना पड़ सकता है. अब बड़ा सवाल ये है कि जब ओपन मार्केट में गेहूं का दाम एमएसपी से ज्यादा चल रहा है तो फ‍िर सरकारी गोदामों को कैसे भरा जाएगा?  

कुल म‍िलाकर इस साल भी गेहूं का गण‍ित लगाने में सरकार उलझी द‍िखाई दे रही है. इस बीच केंद्र सरकार 15 अप्रैल तक सिर्फ 3.5 मिलियन टन गेहूं ही खरीद पाई है. जबकि बफर स्टॉक के लिए खरीद का लक्ष्य 37.29 मिलियन टन रखा गया है. यह लक्ष्य पहाड़ जैसा है. उधर, सरकार के पास गेहूं की मात्रा बफर स्टॉक नॉर्म्स के बॉर्डर पर रहने की वजह से टेंशन और बढ़ गई है. अब गेहूं की सरकारी खरीद बढ़ाने का दबाव पहले से ज्यादा बढ़ गया है. ऐसे में अगर इस साल भी खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ तो गेहूं की महंगाई को काबू करना आसान नहीं रहेगा. 

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क्या दाम में बनी रहेगी तेजी? 

कमोड‍िटी एक्सपर्ट इंद्रजीत पॉल का कहना है क‍ि बफर स्टॉक में कम या अध‍िक गेहूं का ओपन मार्केट के दाम पर असर पड़ता है. अगर इस समय सरकारी स्टॉक में गेहूं 150 लाख टन होता तो ओपन मार्केट में दाम इतना ज्यादा नहीं होता. लेक‍िन सरकारी भंडार में गेहूं कम है इसल‍िए इस साल भी गेहूं के दाम में तेजी बरकरार रहने का अनुमान है.

सूत्रों का कहना है कि इस साल 1 अप्रैल को सेंट्रल पूल का स्टॉक सिर्फ 75.02 लाख टन था. जो बफर स्टॉक के नॉर्म्स से मामूली ही अधिक है. नियम के मुताबिक 1 अप्रैल को 74.60 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं बफर स्टॉक में होना चाह‍िए. इससे पहले साल 2008 में सेंट्रल पूल स्टॉक का नॉर्म्स से नीचे आ गया था. तब बफर स्टॉक में मात्र 58.03 लाख टन गेहूं बचा था.

गेहूं का क‍ितना है दाम?

एमएसपी से ज्यादा है दाम 

सरकारी खरीद शुरू होने के 15 द‍िन बाद भी ओपन मार्केट में गेहूं का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अध‍िक बना हुआ है. खुद कृष‍ि मंत्रालय ने अपनी ए‍क र‍िपोर्ट में माना है क‍ि 15 अप्रैल को गेहूं का रेट एमएसपी से 60 रुपये ज्यादा था. सवाल यह है क‍ि जब क‍िसानों को बाजार में एमएसपी से अध‍िक दाम म‍िलेगा तो वो सरकार को क्यों गेहूं बेचेंगे. 

  • एमएसपी 2275 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल है जबक‍ि 15 अप्रैल 2024 को बाजार में दाम 2335.10 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. 
  • इस साल गेहूं का दाम प‍िछले साल से भी 9.05 फीसदी अध‍िक है. प‍िछले वर्ष इस समय गेहूं 2141.25 रुपये क्व‍िंटल था. 
  • गेहूं का दाम 2 वर्ष पहले के मुकाबले 15.23 फीसदी अध‍िक है. 15 अप्रैल 2022 को गेहूं का रेट 2026.40 रुपये था. 

इन आंकड़ों को देखकर आसानी से समझा जा सकता है क‍ि इस साल गेहूं के दाम कैसा रह सकता है. र‍िकॉर्ड पैदावार की उम्मीद के बावजूद इसील‍िए सरकारी खरीद के लक्ष्य को हास‍िल करना आसान नहीं द‍िखाई दे रहा है. ओपन मार्केट में एमएसपी से अध‍िक दाम म‍िलने की वजह से ही प‍िछले दो वर्ष से क‍िसान सरकार को गेहूं कम बेच रहे हैं. 

प‍िछले वर्ष यानी रबी सीजन 2023-24 में सरकार ने 341.5 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीद का टारगेट सेट क‍िया था, जबक‍ि खरीद महज 262 लाख मीट्र‍िक टन ही हो पाई थी. उससे पहले रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 में 444 लाख मीट्र‍िक टन की जगह स‍िर्फ 187.92 लाख मीट्र‍िक टन ही गेहूं खरीद हो पाई थी. सरकार ने अपने लक्ष्य को संशोधित करके 195 लाख मीट्रिक टन क‍िया था, लेक‍िन वह भी हास‍िल नहीं हो पाया था.

एमपी, हर‍ियाणा में अच्छी खरीद 

फिलहाल, हरियाणा में सरकारी खरीद ने रफ्तार पकड़ ली है. यहां 12 लाख मीट्र‍िक टन की खरीद पूरी हो चुकी है. लेक‍िन पंजाब में अभी भी खरीद काफी सुस्त है. जबक‍ि कई साल से सबसे ज्यादा गेहूं की खरीद यहीं से होती रही है. पंजाब में स‍िर्फ 41,658 टन गेहूं ही खरीदा गया है. बताया गया है क‍ि निजी क्षेत्र यहां पर एमएसपी से ज्यादा दाम देकर खरीद कर रहा है. 

भारतीय खाद्य न‍िगम (FCI) से म‍िली र‍िपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 20 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदा जा चुका है. जबक‍ि उत्तर प्रदेश में अब तक 1,79,152 मीट्र‍िक टन की खरीद हुई है. राजस्थान में गेहूं की एमएसपी पर 125 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल का बोनस म‍िलने के बावजूद इस वर्ष अब तक स‍िर्फ 79,445 मीट्र‍िक टन गेहूं ही खरीदा जा सका है. 

क‍िस राज्य का क‍ितना लक्ष्य 

पिछले दो सीजन से खरीद लक्ष्य से पीछे रह रही सरकार की कोशिश है कि इस बार ऐसा न हो. केंद्र का ऐसा अनुमान है कि रबी मार्केटिंग सीजन 2024-24 में पंजाब से सबसे ज्यादा 13 मिलियन टन, हरियाणा और मध्य प्रदेश से 8-8 मिलियन टन, देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक उत्तर प्रदेश से 6 मिलियन टन और राजस्थान से 2 मिलियन टन गेहूं खरीदा जा सकता है. 

हालांकि, पिछले साल एक भी राज्य ने अपना खरीद लक्ष्य हासिल नहीं किया था. जबक‍ि मार्च-अप्रैल-2023 में बेमौसम बार‍िश की वजह से गेहूं की गुणवत्ता खराब हो गई थी और सरकार ने एमएसपी पर मामूली कटौती करके गुणवत्ता मानकों में छूट दी थी. ऐसे में क‍िसानों ने खराब गेहूं को सरकार को बेच द‍िया था. इस साल गेहूं की गुणवत्ता ठीक है और बाजार में प‍िछले साल से भी अध‍िक दाम म‍िल रहा है तो भला सरकारी खरीद का टारगेट कैसे पूरा होगा. सरकार के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती है. 

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