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महाराष्ट्र में महुआ उत्पादन में भारी गिरावट, क्लाइमेट चेंज से गिरी पैदावार

महाराष्ट्र में महुआ उत्पादन में भारी गिरावट, क्लाइमेट चेंज से गिरी पैदावार

इस साल क्लाइमेट चेंज के कारण महुआ उत्पादन में भारी गिरावट आई है. इसलिए किसानों की कमाई कम हो सकती है. किसान और मजदूर सुबह-सुबह घने अंधेरे में खेतों और जंगली इलाकों में महुआ के पेड़ों से फूल इकट्ठा करने के लिए अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं. लेकिन मार्च महीने से बदलते मौसम के कारण फूलों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की कमी के कारण इस वर्ष उत्पादन में कमी आई है

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महुआ के उत्पादन में आई गिरावट महुआ के उत्पादन में आई गिरावट

महाराष्ट्र में इस समय महुआ की खेती करने वाले किसान परेशानी में नज़र आ रहे हैं. क्योंकि इस साल क्लाइमेट चेंज के कारण महुआ उत्पादन में भारी गिरावट आई है. इसलिए किसानों की कमाई कम हो सकती है. किसान और मजदूर सुबह-सुबह घने अंधेरे में खेतों और जंगली इलाकों में महुआ के पेड़ों से फूल इकट्ठा करने के लिए अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं. लेकिन मार्च महीने से बदलते मौसम के कारण फूलों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की कमी के कारण इस वर्ष उत्पादन में कमी आई है. महाराष्ट्र में महुआ बड़े पैमाने पर पैदा होता है. यह एक बागवानी फसल है.

नासिक जिले का आदिवासी पट्टा,त्र्यंबकेश्वर, पेठ, सुरगाना आदि तालुकाओं में बड़े पैमाने पर महुआ की खेती की जाती है. इस क्षेत्र में बहुगुणी और हरी-भरी वनस्पतियों से आच्छादित वन में एक छोटा वृक्ष जिसे उसके गुणों के कारण कल्पवृक्ष कहा जाता है, उससे काफी किसानों की आजीविका चलती है. यहां पैशन फ्रूट के भी असंख्य पेड़ हैं. किसान वसंत मोहम बताते हैं कि हर साल उनके पेड़ में महुआ खिलते हैं, लेकिन इस साल अधिक गर्मी के कारण महुआ के फूल जमीन पर आ गए और फल नहीं लगा. इसके पीले रंग के फल न सिर्फ गुणकारी होते हैं, बल्कि देखने में भी आकर्षक लगते हैं.

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उत्पादन में गिरावट से किसान हुए परेशान 

मोहम बताते हैं कि हर साल फूलों के इस संग्रह के माध्यम से गर्मी के दिनों में कई गरीब परिवारों को लगभग एक से डेढ़ महीने का मौसमी रोजगार अवसर उपलब्ध होता है. महंगाई के दौर में महुआ बड़ा सहारा रहा है. लेकिन, जलवायु परिवर्तन के कारण पैदावार में भारी गिरावट आ रही है.

त्र्यंबकेश्वर तालुका में वैतागवाड़ी के खुरकुटे परिवार के घर के चारों ओर फूलों का नज़ारा होता था, ये परिवार हर साल एक से डेढ़ बोरा महुआ का फूल चुनता है. सुबह उठते ही फूल तोड़ने का काम शुरू होता था, लेकिन इस वर्ष कई पेड़ों महुआ के फूल तक नहीं लगे. लोग महुआ से तेल बेचकर अच्छा मुनाफा कमाते थे. लेकिन अब उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

पुराने फूलों की ज्यादा होती है कीमत

इस वर्ष महुआ का उत्पादन कम हुआ है. हर साल किसान इस मौसम में महुआ तोड़ने के बाद उन्हें तेज धूप में सुखाते उसके बाद, धूप में सुखाए गए महुआ को प्लास्टिक पेपर से ढके एक एयरटाइट कंटेनर में ठीक से संग्रहित करते और फिर उसकी बिक्री करते. अगले वर्ष फूलों का मौसम शुरू होने से पहले बिक्री के लिए फूलों की कटाई की जाती है. उन्हें 'जूनी मोहफुले' कहा जाता है और उन फूलों की मांग अधिक होती है. पुराने मोहफुल को कुछ परिवारों द्वारा संग्रहित किया जाता है. इसलिए पुराने फूलों की कीमत अधिक होती है.

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