महाराष्ट्र में भी गेहूं का 'काल' बनी गर्मी, 13 लाख हेक्टेयर में लगी फसल पर संकट

महाराष्ट्र में भी गेहूं का 'काल' बनी गर्मी, 13 लाख हेक्टेयर में लगी फसल पर संकट

महाराष्ट्र के अकोला के सोम थाना गांव के संतोष पाटिल ने अपने दो एकड़ खेत में गेहूं की फसल लगाई है. किसान का कहना है कि गेहूं की फसल का कार्यकाल चार महीने से अधिक दिनों का रहता है, लेकिन आज दो महीने बाद भी गेहूं में अच्छा विकास नहीं दिख रहा है. गेहूं की बालियां आ गई हैं पर उसमें दानों का साइज बहुत छोटा है.

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महाराष्ट्र में भी गेहूं का 'काल' बनी गर्मी, 13 लाख हेक्टेयर में लगी फसल पर संकटगेहूं की फसल पर गर्मी की मार

बदलते मौसम और ज्यादा तापमान का असर इस साल महाराष्ट्र में गेहूं की फसल पर दिख रहा है. बढ़ती गर्मी की वजह से गेहूं की फसल समय से पहले पक रही है. अधिक गर्मी में गेहूं के दानों का स्वाभाविक विकास नहीं देखा जा रहा है. फरवरी में गेहूं के दानों में बढ़वार रहती है और कम तापमान में दाने फूलते हैं. इसके लिए खेतों में पर्याप्त नमी की जरूरत होती है. लेकिन गर्मी इसे प्रभावित कर रही है. इस कारण गेहूं के उत्पादन पर खासा असर दिखाई दे रहा है. बदलते मौसम को लेकर किसान परेशान हैं.

महाराष्ट्र के अकोला के सोम थाना गांव के संतोष पाटिल ने अपने दो एकड़ खेत में गेहूं की फसल लगाई है. किसान का कहना है कि गेहूं की फसल का कार्यकाल चार महीने से अधिक दिनों का रहता है, लेकिन आज दो महीने बाद भी गेहूं में अच्छा विकास नहीं दिख रहा है. गेहूं की बालियां आ गई हैं पर उसमें दानों का साइज बहुत छोटा है. बढ़ती गर्मी से दाने नहीं बढ़ पा रहे हैं. इस साल किसानों ने उत्पादन का जो हिसाब लगाया था, उसके मुताबिक उपज घटती दिख रही है. दानों के सही विकास नहीं होने और उपज घटने से किसानों को उचित दाम नहीं मिलेंगे.

दिनों दिन बढ़ते तापमान का असर रबी फसलों पर दिखाई दे रहा है. महाराष्ट्र का अकोला भी इससे अछूता नहीं है. इसके बारे में पंजाबराव कृषि विश्वविद्यालय में गेहूं संशोधन विभाग के प्रमुख स्वाति भराडे ने बताया, महाराष्ट्र में इस साल 13 लाख हेक्टर में गेहूं की फसल बोई गई है जो पिछले साल के मुताबिक अधिक है. अलबत्ता फसल को शाम से दूसरे दिन सुबह तक जो ठंडी चाहिए, वह नहीं मिल पा रही है. दिन में सूखा वातावरण होना चाहिए, वह भी नहीं मिलने से फसलों पर असर देखा जा रहा है. 

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स्वाति भराडे ने बताया कि गेहूं की किस फसल पर मौजूदा गर्मी का असर नहीं होगा. भराडे ने कहा, जिन्होंने गेहूं की फसल नवंबर- दिसंबर में बोई है, उन फसलों पर तापमान में असामान्य वृद्धि का कोई खास असर नहीं दिखाई देगा. लेकिन जिन किसानों ने जनवरी और जनवरी अंत में फसल की बुवाई की है, उस पर इसका असर दिखाई दे रहा है. तापमान बढ़ने से गेहूं में फोर्स मैच्योरिटी (दाने का जल्द पकना) की वजह से समय से पहले ही बालियां सूखती जा रही हैं. इन बालियों में गेहूं का दाना छोटे साइज का है और बाली में पूरी तरह से गेहूं भी भरता हुआ नजर नहीं आ रहा है.

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देश के उत्तरी हिस्से में गेहूं की फसल बड़े स्तर पर बोई जाती है. मगर इस बार तापमान की बेतहाशा वृद्धि ने फसलों के साथ-साथ किसानों को भी सकते में डाल दिया है. उत्तर भारत के अलावा महाराष्ट्र में भी गेहूं की खेती होती है. वहां भी फरवरी महीने का तापमान किसानों को परेशान कर रहा है. किसानों का कहना है कि जिस महीने तापमान सामान्य रहना चाहिए, उसी महीने अधिक गर्मी पड़ने से गेहूं की फसल चौपट हो रही है. दानों का सही विकास नहीं होने से प्रति हेक्टेयर उत्पादन में बड़ी गिरावट देखी जाएगी. इससे किसानों की आय घट जाएगी.(रिपोर्ट/धनंजय)

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