
पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस को छू रहा है जो सामान्य से लगभग पांच डिग्री ज्यादा है. फरवरी के महीने में ही मार्च जैसी गर्मी महसूस हो रही है. कई जगहों पर लोगों ने सीलिंग फैन और एयर कंडीशनर का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति के कारण अचानक बढ़ा तापमान एक तरफ जहां सर्दी से राहत पहुंचा रहा है, वही किसानों के लिए एक नई मुसीबत लेकर आया है. पंजाब के मोहाली में कई जगहों पर सूखे का असर देखा जा सकता है. बारिश ना होने की वजह से फसलें सूखने लगी हैं और और खेतों में दरारें पड़ रही हैं.
पिछले साल कुदरत की मार झेल चुके पंजाब और हरियाणा के किसानों ने अबकी बार इसलिए ज्यादा क्षेत्रफल पर गेहूं की फसल लगाई थी, ताकि नुकसान की भरपाई हो सके. लेकिन बढ़ते तापमान ने उनकी उम्मीदों पर फिर से पानी फेर दिया है. अजीजपुर मोहाली के गेहूं उत्पादक दलजीत सिंह ने अबकी बार पांच एकड़ ज्यादा क्षेत्रफल में गेहूं की फसल उगाई है ताकि ज्यादा मुनाफा कमाकर पिछले साल हुए नुकसान की भरपाई हो सके.
"मैंने पिछले साल सिर्फ 15 एकड़ में गेहूं बोई थी और मुझे नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि खराब मौसम और कुदरती आपदा के कारण मेरी फसल खराब हो गई. मैंने अबकी बार 20 एकड़ पर फसल बोई है, लेकिन बढ़ते तापमान से फिक्र हो रही है. अगर तापमान ऐसे ही बढ़ता रहा तो दाने का आकार छोटा रह सकता है." दलजीत सिंह ने 'आज तक' को बताया.
66 साल के गुरबचन सिंह गेहूं के अलावा सर्दियों में उगाई जाने वाली दूसरी फसलें भी उगाते हैं. अचानक तापमान बढ़ने से एक तरफ जहां सरसों और पालक जल्दी तैयार हो गए और उसका भाव गिर गया. वही समय पर बारिश ना होने की वजह से प्याज का आकार छोटा रह गया. मटर की फलियों में दाने नहीं लगे और सरसों और गोभी की फसल पर तेलिया का हमला हो गया. "हमने पिछले साल भी नुकसान उठाया और अबकी बार भी. सरकार से कोई मदद नहीं मिली. किसान जाए तो कहां जाए." गुरबचन सिंह कहते हैं.
हरियाणा कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ सुरेंद्र दहिया के मुताबिक हरियाणा में 25 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल पर गेहूं की फसल उगाई गई है जिसमें से छह हेक्टेयर क्षेत्रफल पर फसल देरी से बोई गई. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक गेहूं की अच्छी फसल लेने के लिए फरवरी के महीने में तापमान जितना कम रहेगा उतना फायदेमंद होता है. अबकी बार तापमान सामान्य से काफी अधिक है जिसकी वजह से गेहूं की फसल प्रभावित हो सकती है.
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कृषि अधिकारियों के मुताबिक अगर तापमान इसी तरह से बढ़ता रहा तो देरी से बोई गई फसल को 10 से 15 फ़ीसद तक नुकसान हो सकता है. बढ़ते तापमान की वजह से गेहूं की फसल को नुकसान कम हो इसलिए कृषि विभाग ने गेहूं उत्पादकों को खेतों में नमी बनाए रखने की सलाह दी है क्योंकि कई साल से तापमान लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में किसानों को फसल की अगेती बुवाई की सलाह दी गई है.
हरियाणा कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ सुरेंद्र दहिया के मुताबिक सर्दियों के मौसम में अचानक तापमान बढ़ने को टर्मिनल हीट कहा जाता है. इससे गेहूं के दाने का आकार छोटा रह जाता है.
"जब फसल पकने के लिए तैयार होती है और अचानक तापमान बढ़ने लगे तो इसे टर्मिनल हीट कहा जाता है. इसका सीधा असर दाने के आकार पर पड़ता है. जिन किसानों ने पांच या सात नवंबर के बीच फसल बोई है, तो उनकी फसल पर टर्मिनल हीट का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता. लेकिन देरी से बोई गई फसल इस मौसम से बुरी तरह प्रभावित होती है." डॉ सुरेंद्र दहिया ने बताया.
डॉक्टर सुरेंद्र दहिया के मुताबिक चूंकि कई साल से टर्मिनल हीट की स्थिति देखी जा रही है, इसलिए किसानों को पहले से ही सलाह दी गई थी कि वे फसल को समय पर बो लें. पिछले साल की तुलना में अबकी बार दो से तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में जल्दी फसल बोई गई है. राज्य में गेहूं की ज्यादातर फसल को समय पर बोया गया है, इसलिए नुकसान कम होगा.
"हमने किसानों को गेहूं की कुछ ऐसी फसलें उगाने की सलाह भी दी है जो जो हिट रेसिस्टेंट हैं. यानी ये किस्में तापमान को अपने स्तर पर ही नियंत्रित कर लेती हैं. हमने किसानों को सलाह दी है कि इस समय खेतों में नमी होनी चाहिए. अगर नमी बराबर बनी रहे तो तापमान बढ़ने घटने का ज्यादा असर नहीं होता. सरसों की फसल लगभग पक कर तैयार है. उस पर अब तापमान का कुछ ज्यादा असर नहीं होने वाला." डॉ सुरेंद्र दहिया ने कहा. हरियाणा में गेहूं का उत्पादन 22 23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर टन के आसपास रहता है.
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर तापमान में लगातार बढ़ोतरी होती रही तो फसल समय से पहले पक कर तैयार हो सकती है. वांछित नमी ना मिलने की वजह से गेहूं के दाने का आकार छोटा हो सकता है जिसका सीधा सा मतलब है उत्पादन गिरना. हालांकि केंद्र सरकार ने अबकी बार पिछले साल की तुलना में गेहूं की ज्यादा फसल होने का अनुमान लगाया है.
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केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के एक अनुमान के मुताबिक अबकी बार गेहूं की 112 मिलियन टन फसल होने का अनुमान है जो पिछले साल की तुलना में 4.44 मिलियन टन ज्यादा है. लेकिन मौसम विभाग के अनुसार लगातार बढ़ रहा तापमान गेहूं के उत्पादन को गिरा सकता है. अगले कुछ दिनों तक तापमान गिरने की कोई संभावना नहीं है.
भारतीय खाद्य निगम के अधिकारियों के मुताबिक तापमान बढ़ने के कारण गेहूं की फसल समय से पहले पक सकती है. एफसीआई के महाप्रबंधक अमृत भूषण के मुताबिक सामान्य तौर पर गेहूं की फसल की खरीद अप्रैल से शुरू होती है, लेकिन अबकी बार गेहूं की फसल एक हफ्ता पहले यानी मार्च महीने के अंतिम सप्ताह में मंडियों में आ सकती है.
अमृत भूषण ने बताया कि खाद्य निगम ने फसल को समय से पहले खरीदने की तैयारियां पूरी कर ली है. अकेले हरियाणा में ही लगभग 400 मंडियां चिन्हित कर ली गई हैं और गेहूं की फसल सहेजने के लिए पर्याप्त मात्रा में गोदाम खाली करवाए गए हैं.
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