Kharif Sowing: सामान्य क्षेत्र की 85% जमीन में खरीफ की बुवाई पूरी, मगर फसलों पर मंडरा रहा ये बड़ा खतरा! Kharif Sowing: सामान्य क्षेत्र की 85% जमीन में खरीफ की बुवाई पूरी, मगर फसलों पर मंडरा रहा ये बड़ा खतरा!
Kharif Sowing: इस बार जून-जुलाई के दौरान 6 प्रतिशत से अधिक अतिरिक्त वर्षा हुई, जिससे गदगद किसानों ने लगभग 1,097 लाख हेक्टेयर के सामान्य खरीफ क्षेत्र के 85 प्रतिशत क्षेत्र में बुवाई पूरी कर ली है. इससे समय पर बुवाई के कारण किसानों को उपज तो सामान्य मिल सकती हैं मगर सितंबर में एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है.
धान की रोपाई करता किसान (फाइल फोटो)किसान तक - नोएडा,
- Aug 05, 2025,
- Updated Aug 05, 2025, 12:29 PM IST
इस खरीफ सीजन में अतिरिक्त बारिश से खुश होकर किसानों ने अच्छी बुवाई की है. जून-जुलाई में 6 प्रतिशत से ज़्यादा अतिरिक्त बारिश होने के कारण किसानों ने लगभग 1,097 लाख हेक्टेयर में बुवाई की है. यानी कि इस हिसाब से किसानों ने सामान्य खरीफ क्षेत्र के 85 प्रतिशत हिस्से को कवर कर लिया है. चूंकि समय पर बुवाई हो गई तो किसानों को सामान्य उपज प्राप्त करने में मदद मिलेगी. मगर, एक चिंता ये है कि सितंबर में कटाई से पहले अत्यधिक बारिश की संभावना भी है, जिससे खड़ी फसलों के लिए खतरा पैदा हो सकता है.
पिछले साल से 5 प्रतिशत अधिक बुवाई
1 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान बुवाई का क्षेत्रफल 103 लाख हेक्टेयर से ज़्यादा था, जबकि एक साल पहले यह 90 लाख हेक्टेयर था. इससे पिछले सप्ताह किसानों ने 121 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बुवाई की थी. दरअसल, हाल ही में खरीफ की बुवाई को लेकर कृषि मंत्रालय ने ताजा आंकड़ें जारी किए हैं. इसके मुताबिक, कुल खरीफ बुवाई 1 अगस्त तक 932.93 लाख हेक्टेयर हो गई है, जो पिछले साल की इसी अवधि के 887.97 लाख हेक्टेयर से 5.1 प्रतिशत अधिक है. 25 जुलाई तक इस सीज़न का रकबा 4 प्रतिशत अधिक था. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जून-जुलाई के दौरान मानसून की बारिश सामान्य से 6 प्रतिशत अधिक रही.
धान ने मारी बाजी, पिछड़ी उड़द-अरहर
- कृषि मंत्रालय के इन आंकड़ों के अनुसार, खरीफ सीजन की मुख्य फसल, धान का क्षेत्र कवरेज 319.4 लाख हेक्टेयर रहा, जो एक साल पहले 273.72 लाख हेक्टेयर था, यानी कि 16.7 प्रतिशत अधिक है.
- दालों का क्षेत्रफल एक साल पहले 101.54 लाख हेक्टेयर था जो इस बार थोड़ा कम होकर 101.22 लाख हेक्टेयर रह गया है.
- वहीं, दलहन फसलों में उड़द का इस सीजन रकबा 19.09 लाख हेक्टेयर से 2.5 प्रतिशत घटकर 18.62 लाख हेक्टेयर रह गया.
- अरहर का रकबा एक साल पहले के 41.06 लाख हेक्टेयर से 6.7 प्रतिशत घटकर इस बार 38.32 लाख हेक्टेयर रह गया.
- मूंग का रकबा 31.13 लाख हेक्टेयर से 3.4 प्रतिशत बढ़कर 32.18 लाख हेक्टेयर हो गया. 11 जुलाई तक मूंग का रकबा 90 प्रतिशत था और पिछले कुछ हफ्तों में बढ़त काफी कम हो गई है.
- इसके अलावा मोटे अनाजों का क्षेत्रफल 164.76 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 172.57 लाख हेक्टेयर हो गया, यानी कि 4.7 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज हुई.
- मक्का का क्षेत्रफल 11.7 प्रतिशत बढ़कर 81.99 लाख हेक्टेयर से 91.62 लाख हेक्टेयर हो गया, लेकिन श्री अन्न (बाजरा) का क्षेत्रफल कम रहा.
- ज्वार का क्षेत्रफल 13.53 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 13.17 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि बाजरा का क्षेत्रफल 62.36 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 61.58 लाख हेक्टेयर हो गया.
तिलहन और कपास के रकबे में गिरावट
- वहीं रागी का क्षेत्रफल 3.18 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2.8 लाख हेक्टेयर हो गया है.
- तिलहन का रकबा 178.14 लाख हेक्टेयर से 4 प्रतिशत घटकर 171.03 लाख हेक्टेयर रह गया.
- सोयाबीन का रकबा भी 123.45 लाख हेक्टेयर से 4 प्रतिशत घटकर 118.54 लाख हेक्टेयर रह गया और मूंगफली का रकबा 43.45 लाख हेक्टेयर से 4.3 प्रतिशत घटकर 41.56 लाख हेक्टेयर रह गया है.
- वहीं सूरजमुखी का रकबा भी पिछले साल के 0.66 लाख हेक्टेयर से घटकर 0.58 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है.
- इसके अलावा कपास का रकबा भी 2.4 प्रतिशत घटकर 108.43 लाख हेक्टेयर से 105.87 लाख हेक्टेयर रह गया.
- बता दें कि गन्ना और जूट दोनों की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है और आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल गन्ना क्षेत्र 57.31 लाख हेक्टेयर था, जबकि जूट कवरेज 5.54 लाख हेक्टेयर है.
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