एक कपास विशेषज्ञ ने बताया कि महाराष्ट्र में कपास की खेती पिछले चार वर्षों में लगभग 4.59 लाख हेक्टेयर कम हो गई है, क्योंकि अधिक मजबूरी लागत और मशीनीकरण की कमी के कारण किसान सोयाबीन की खेती की ओर रुख कर रहे हैं.
महाराष्ट्र के जालना जिले में किसान भगवान गावंडे ने 9 साल की मेहनत से लगाए 1400 सीताफल के पेड़ों को जेसीबी से नष्ट कर दिया. गावंडे ने अपनी सीताफल की बाग को बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन कुछ कारणों से परेशान किसान ने यह कदम उठाया.
जालना जिले के किसान बालासाहेब सखाराम बोबडे की लगभग 3 एकड़ गन्ने की फसल, जबकि दहिगव्हाण के किसान अण्णासाहेब तुलसीराम नाईकवाडे की करीब साढ़े 7 एकड़ फसल आग में पूरी तरह नष्ट हो गई.
खराब मौसम, एक्सपोर्ट पॉलिसी में बदलाव और कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव से प्याज की खेती संकट में है. महाराष्ट्र के किसान संगठनों ने सरकार से प्याज को भी एमएसपी फ्रेमवर्क में शामिल करने की मांग की है ताकि उन्हें स्थिर दाम और सुरक्षा मिल सके.
महाराष्ट्र के वाशिम जिले की उपज मंडियों में किसान बारिश से बची हुई सोयाबीन बेचने पहुंचे. 3 से 4 हजार रुपये प्रति क्विंटल के भाव से फसल बिक रही है, लेकिन लागत भी नहीं निकल पा रही. किसानों ने सरकार से कहा — "अगर सही दाम मिल जाए तो कर्ज माफी की जरूरत ही नहीं पड़े."
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