बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चौथा कृषि रोडमैप के सूत्रण के लिए पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर स्थित बापू सभागार में मंगलवार को एक दिवसीय किसान समागम का उद्घाटन किया. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने किसानों के साथ संवाद भी किया और किसानों ने खेती के क्षेत्र में आ रही चुनौतियां एवं उसके निस्तारण को लेकर अपनी राय भी रखी. किसान समागम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में कृषि के विकास के लिए कृषि रोडमैप बनाया गया. वर्ष 2008 में पहले कृषि रोडमैप पर काम शुरु हुआ और अब तक तीन कृषि रोडमैप के तहत राज्य के किसानों के लिए कई योजना एवं विकास से जुड़े कार्य किए गए हैं. वहीं कृषि के चौथे रोडमैप में उत्पादन एवं किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया है. पहले राज्य में फसलों का उत्पादन काफी कम होता था, लेकिन अब हर चीज का उत्पादन बढ़ा है. वहीं इस मौके पर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि यह बहुत बड़ी बात है कि मुख्यमंत्री खुद किसानों का सुझाव सुन रहे हैं और उनके सुझाव को चौथे कृषि रोडमैप में डाला जाएगा. प्रदेश सरकार कृषि एवं किसानों के विषय पर गंभीर है.
बता दें कि बिहार में अब तक तीन कृषि रोडमैप बनाया जा चुका है. सभी रोडमैप लागू करने से पहले प्रदेश सरकार के द्वारा किसानों से सलाह लेने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. पहले कृषि रोडमैप में 2008 किसान पंचायत का आयोजन हुआ था. उसके बाद दूसरा 2012, तीसरा 2017 और चौथे 2023 कृषि रोडमैप में किसानों से सलाह लेने के लिए किसान समागम का आयोजन किया गया. चौथा कृषि रोडमैप के सूत्रण के लिए पटना के बापू सभागार में अलग-अलग जिलों से करीब 5000 किसान मौजूद रहे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कृषि रोडमैप राज्य में लागू होने से हर चीज का उत्पादन बढ़ा है. राज्य में गेहूं का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 23.25 क्विंटल से बढ़कर 30.78 क्विंटल हो गया है. मक्का के क्षेत्र में भी उत्पादन प्रति हेक्टेयर 27.39 क्विंटल से बढ़कर 52.36 क्विंटल हो गया है. धान का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 12.37 क्विंटल से बढ़कर 24.96 क्विंटल हो गया है. आज बिहार में दूध, सब्जी और मछली का उत्पादन भी काफी बढ़ा है. बिहार में मत्स्य उत्पादन पहले 2.88 लाख मीट्रिक टन होता था. आज 7.62 लाख मीट्रिक टन हो गया है. वहीं सरकार का लक्ष्य 8 लाख मीट्रिक टन करने का है. वहीं एक किसान के सवाल पर उन्होंने कहा कि आज जीविका दीदियां कृषि, पशुपालन सहित अन्य जीविकोपार्जन के कार्य बेहतर ढंग से कर रही हैं. घर से बाहर निकलकर महिलाएं अपनी एक अलग पहचान बना रहीं हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि चौथे कृषि रोड मैप में किसानों की आय एवं फसल उत्पादन पर जोर दिया जाएगा.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के किसान सीमित खेती तक सिमट कर रह न जाए. उसे फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करने की जरूरत है. बिहार के किसान इतना आगे बढ़े की देश के लोग बिहार का कुछ न कुछ खाए. आगे उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी का उपयोग सही कामों के लिए किया जाना चाहिए. लेकिन आज उसका काफी दुरुपयोग हो रहा है. बिहार की 75 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है. वही मुख्यमंत्री ने किसानों से अपील किया कि वह अपनी राय लिखकर भी दे सकते हैं. ताकि उनका सुझाव चौथे कृषि रोडमैप में शामिल किया जा सके.
किसान समागम कार्यक्रम के दौरान एक किसान ने बिजली मुफ्त करने की बात कही जिस पर सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि किसान मुफ्त में बिजली मांग रहे हैं. यह संभव नहीं है, क्योंकि बिहार सरकार महंगी बिजली खरीदकर किसानों को सस्ते दर पर बिजली देती है. बिहार में मामूली दर पर उपभोक्ताओं को बिजली उपलब्ध कराई जा रही है. मुफ्त में बिजली की मांग नहीं करनी चाहिए. वहीं केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार जमीन वाले लोगों के लिए काम करती है. लेकिन हमारी सरकार उन किसानों की भी मदद करती हैं, जिनके पास जमीन नहीं है. वहीं 30 मार्च तक चौथा कृषि रोडमैप तैयार हो जाएगा. तो हर बार की तरह राष्ट्रपति को बुलाकर चौथे कृषि रोडमैप का शुभारंभ कराया जाएगा.
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प्रदेश के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार के किसान आर्थिक रूप से मजबूत बने इसके के लिए चौथा कृषि रोड मैप बनाया जा रहा है. आगे उन्होंने कहा कि सरकार किसान एवं खेती को लेकर गंभीर है. खेत से लेकर बाजार तक आने वाली सभी मुद्दों को हल करने का प्रयास किया जाएगा. साथ ही फसल का सही मूल्य किसानों को मिले. इस पर भी कार्य किया जाएगा. वहीं उपमुख्यमंत्री ने एक बार फिर केंद्र से बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग की.
चौथे कृषि रोडमैप को लेकर किसान समागम कार्यक्रम में करीब 5000 किसान शामिल हुए. इस दौरान 22 किसानों ने चतुर्थ कृषि रोडमैप को लेकर मुख्यमंत्री को सुझाव दिए. इसी बीच लखीसराय के किसान अमित कुमार ने कहा कि वह पुणे से एम०बी०ए० किए हैं और कोरोना के दौरान उन्होंने मशरूम की खेती शुरू किया. उसके बाद से काफी अच्छी इनकम हो रही है. लेकिन अमित कुमार के द्वारा बीच-बीच में इंग्लिश शब्द का प्रयोग करने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भड़क गए. गुस्सा होते हुए कहा कि ई बिहार है और क्षेत्रीय भाषा में बोलिए. कोरोना के बाद मोबाइल का उपयोग करके लोग बहुत इंग्लिश बोलने लगे हैं. हिंदी बोलने में लोगों को क्या दिक्कत है. इस दौरान कई अन्य जिलों के किसानों ने सुझाव दिया.
किसान समागम कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार मंगल राय के अलावा करीब 12 विभागों के मंत्री, सचिव और अधिकारी मौजूद रहें, जिनमें कृषि विभाग, सहकारिता विभाग, खाद्य आपूर्ति, पशुपालन, लघु जल संसाधन, जल संसाधन, उद्योग विभाग, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, ऊर्जा विभाग सहित अन्य विभाग के मंत्री एवं संबंधित अधिकारी मौजूद रहे.
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