झारखंड में महुआ का इस्तेमाल सिर्फ शराब बनाने के लिए होता था, इससे समाज में बुराई फैलती है साथ ही स्वास्थ्य के लिए यह नुकसानदायक होता है. इतना ही नहीं शराब बनाकर बेचने पर एक व्यक्ति को महुआ से प्रति किलो 120 रुपये तक की आमदनी होती है.
चैनपुर प्रखंड के बरांव गांव और इसके आस-पास के गांव की महिलाएं कृषि मजदूरी करने के लिए डेढ़ सप्ताह के लिए तक डेहरी ऑन सोन के इलाके में जाती है. यह महिलाएं आम तौर पर फरवरी मार्च के महीने में जाती हैं जो आलू की खुदाई करने का सीजन होता है.
मामला 900 क्विंटल धान की हेराफेरी से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है. बताया जा रहा है कि मोंगर लैंपस में 722 क्विंटल धान और बालूमाथ लैंपस से 186.22 क्विंटल धान का पैसा किसानों का बकाया है.
जिन किसानों ने गरमा धान की खेती की है और धान लगाए हुए छह से सात हफ्ते का समय बीत चुका है, वे किसान अपने खेत में 25 से 28 किलोग्राम यूरिया का भुरकाव प्रति एकड़ करें. ध्यान रहे कि यूरिया का भुरकाव मौसम साफ होने पर ही करें. इसके अलावा किसान खेत में यूरिया डालने से पहले खर-पतवार का नियंत्रण जरूर कर लें.
इस परियोजना का उद्देश्य 1056 गांवों में 176 जैविक क्लस्टर को बढ़ावा देना है, जहां कुल 42,240 किसानों को लाभान्वित करते हुए 2640 समूह का गठन किया जाएगा. इस योजना में एक फार्मर प्रोडूसर कंपनी का भी गठन किया जाना है.