झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने धान खरीद पर किसानों के लिए 48.60 करोड़ रुपये के बोनस को मंजूरी दी. MSP और बोनस मिलाकर किसानों को 2,450 रुपये प्रति क्विंटल मिलेंगे और 48 घंटे में एकमुश्त भुगतान किया जाएगा. विपक्ष के विरोध के बीच सरकार का बड़ा कदम.
चक्रवात से बर्बाद फसलों के बीच किसानों को राहत. धान पर MSP के अलावा 100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस और एकमुश्त भुगतान का वादा. फैसले से किसानों को मिलेगी बड़ी राहत.
झारखंड के रामगढ़ में साइक्लोन मोंथा और जंगली हाथियों के कहर से किसानों की धान व आलू की फसलें बर्बाद हो गईं. कई किसानों ने कर्ज लेकर खेती की थी, जो पूरी तरह नष्ट हो गई. हाथियों के झुंड गांवों में घुसकर फसलें रौंद रहे हैं, जिससे ग्रामीणों में दहशत है.
Jharkhand Crop Damage: झारखंड में चक्रवात ‘मोंथा’ से धान व सब्जियों की फसलें बर्बाद हो गईं. कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने देवघर में खेतों का निरीक्षण कर कहा कि 40-50% फसल नुकसान हुआ है.
झारखंड में रांची और आसपास के क्षेत्रों में लगातार चार दिन से हो रही बेमौसम बारिश से धान और सब्जी किसानों को भारी नुकसान हुआ है. खेतों में पानी जमा होने से धान सड़ने का खतरा है, जबकि लहसुन, पालक और आलू की फसलें भी प्रभावित हुई हैं. किसान सरकार से मुआवजा और मदद की मांग कर रहे हैं.
झारखंड-बंगाल सीमा के चिरूडीह गांव में एक किसान ने पूरी तरह देसी तरीके से पैड़ी मशरूम की खेती शुरू की है. धान के पुवाल का उपयोग कर बनाया गया यह प्लांट गांव की लकड़ी और सामग्रियों से तैयार किया गया है. 15 दिनों में तैयार होने वाला यह मशरूम बिना किसी केमिकल के स्वास्थ्यवर्धक है और बाजार में इसकी अच्छी मांग है. इस नए कृषि मॉडल से गांव के अन्य किसान भी प्रेरित होकर मशरूम की खेती करने को उत्सुक हैं.
Paddy Crop Loss: झारखंड में इस साल सामान्य से 70% अधिक बारिश हुई है. राज्य की कृषि नेहा तिर्की ने विधानसभा में जानकारी दी है कि अत्यधिक बारिश के कारण 10 प्रतिशत धान फसल बर्बाद हो गई, जबकि मोटे अनाज की फसलों को और ज्यादा नुकसान हुआ है.
Cashew plantation: झारखंड और ओडिशा की सीमा पर बसैया गांव बसा है जहां काजू की खेती होती है. दरअसल यह गांव जंगलों के बीच है जहां 25 हजार काजू के पेड़ है जिससे किसान काजू निकालते हैं और बेचते हैं. हालांकि किसानों की शिकायत है कि प्रोसेसिंग प्लांट न होने से उन्हें औने-पौने दामों पर कच्चा काजू बेचना पड़ता है.
महिला किसान साबित देवी का कहना है कि उन्होंने 4-5 एकड़ में टमाटर की खेती की है. इसमें 3-4 लाख रुपये की लागत लगी है. उन्होंने कहा की बेहतर तकनीक अपनाकर टमाटर फसल का उत्पादन तो अधिक कर लिया है, लेकिन बाजार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इससे ऐसा लग रहा है कि लागत तो दूर 50-60 हजार भी निकलना मुश्किल है. पता नहीं अब परिवार का भरण पोषण कैसे होगा. सरकार हम किसानों को जल्द से जल्द कोल्ड स्टोरेज की सुविधा दे ताकि हम किसानों के लिए आगे भुखमरी की स्थिति पैदा ना हो.
आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है. किसी भी सब्जी में मिलकर आलू उसके स्वाद को कई गुणा बढ़ा देता है. किसी भी परिवार की ये हर रोज की जरूरत है. इसी कड़ी में एक नए प्रयोग के तहत झारखंड में पहली बार काले आलू की खेती की गई है. यह आलू कई औषधीय गुणों से संपन्न बताया जा रहा है. हालांकि इसके पौधे बाकी आलू की तरह ही हैं.
झारखंड में इस बार धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाकर 2400 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. इसके बावजूद किसान अपने धान को कम मूल्य पर बिचौलिए के जरिए राइस मिल को बेच रहे हैं. राइस मिल भी खुलेआम किसानों के धान को बिचौलिए के जरिए खरीद रहे हैं.
किसानों के लिए जारी सामान्य सलाह में कहा गया है कि इस समय धान प्रजनन के अवस्था में है. इसलिए धान के खेतों में 5-10 सेंटीमीटर की गहराई तक पानी की मात्रा बनाए रखे. खेतों के मेडों को दुरुस्त रखें.
किसानों के लिए जारी सामान्य सलाह में कहा गया है कि धान के खेतों में जल जमाव बनाए रखें. इसके साथ ही दलहनी और तिलहनी फसलों के खेतों से उचित जल निकासी की व्यवस्था बनाए रखें.
झारखंड में कृषि विभाग की तरफ से चालू खरीफ सीजन में 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती करने का लक्ष्य रखा गया था. इस लक्ष्य की तुलना में अब तक 14.57 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हो चुकी है. यह निर्धारित लक्ष्य का लगभग 82 फीसदी है.
लोहरदगा जिले में धान की खेती को लेकर कृषि विभाग ने 47 हजार हेक्टेयर में खाेती का लक्ष्य रखा था. इसकी तुलना में अब तक 80 फीसदी क्षेत्र में धान की रोपाई हो चुकी है. जिले में सिर्फ दो खरीफ फसलों की ही बुवाई 50 फीसदी से अधिक हुई है. अच्छी बारिश से बुवाई में तेजी देखी जा रही है.
मॉनसून की बेरुखी से झारखंड के किसान खरीफ सीजन में धान की रोपाई नहीं कर सके हैं. अब तक केवल 16 फीसदी हिस्से में ही रोपाई हो पाई है. ऐसे में उत्पादन घटने की आशंका जताई जा रही है.
झारखंड के आसमान में बादल तो घुमड़ रहे हैं पर बरस नहीं पा रहे हैं. जुलाई का महीना अब खत्म होने वाला है पर अभी भी खेत सूखे हुए हैं. तालाब और कुओं में पानी नहीं भरा है. जिनके पास सिंचाई करने की सुविधा है, वे किसान किसी तरह से सिंचाई करके धान की रोपाई कर रहे हैं.
झारखंड में कम मॉनसूनी बारिश का सीधा असर यहां धान की खेती पर पड़ा है. कम बारिश से अभी भी राज्य के 86 फीसदी खेत खाली पड़े हैं. कृषि विभाग की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार राज्य के 24 में से चार जिले ऐसे हैं जहां पर अभी तक धान की रोपाई शुरू नहीं हुई है. ऐसे में उपज में भारी गिरावट की आशंका जताई जा रही है.
झारखडं में किसानों के लिए जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि मक्का में धब्बेदार तना छेदक कीट तना के मध्य भाग को नुकसान पहुंचा सकता है. जिन इलाकों में अधिक बारिश होती है उन इलाकों में तना सड़न रोग की समस्या खेतों में देखने के लिए मिलती है. इससे बचाव के लिए खेत में 17 ग्राम स्ट्रेक्टिव साइक्लिन और 50 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में छिड़काव करें.
झारखंड में हो रही कम बारिश का सीधा असर यहां पर होने वाले खरीफ फसलों की खेती पर पड़ रहा है. मक्का, दलहन और तिलहनी फसलों की खेती तो चल रही है. लेकिन धान की खेती पर इसक असर पड़ा है. 20 जुलाई तक के आंकड़ों के अनुसार राज्य में धान की खेती को लेकर निर्धारित लक्ष्य की तुलना में मात्र 11 फीसदी क्षेत्रफल में ही धान की खेती हो पाई है.
जिन खेतों में फसलों की बुवाई के 20-25 दिन हो चुके हैं, उन खेतों में खरपतवार नियंत्रण के लिए निकाई-गुड़ाई करें. इसके बाद खेत में यूरिया का भुरकाव करें. जिन खेतों में किसान धान की रोपाई करना चाहते हैं, उन खेतों में उचित जलभराव सुनिश्चित करने के लिए मेड़ों को दुरुस्त करें.
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