पूरे देश में इस वक्त कड़ाके की सर्दी चल रही है. ये ठंड लोगों को बीमार कर रही है. तो वहीं ये ठंड फसलों और पशुओं को भी बीमार कर सकती है. ऐसे में किसानों को अपनी फसल और पशुओं पर खास ध्यान देने की जरूरत है. ठंड को देखते हुए झारखंड के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए विशेष एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी के मुताबिक इस समय रात के तापमान में काफी कमी हो जाती है. जिससे विभिन्न सब्जियों में पाला पड़ने की संभावना बन जाती है. इसलिए विभिन्न फलों और सब्जियों को तापमान के प्रतिकूल असर से बचाने के लिए मिट्टी में नमी की कमी नहीं होने देना चाहिए.
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कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक फसलों को पाले से बचाने के लिए किसान आवश्यकता अनुसार नियमित रूप से फसलों सिंचाई करते रहे. इसके साथ ही अगर संभव हो तो सूर्यास्त के बाद खेत के आसपास धुंआ करें. जो किसान धान के काटने के बाद खाली हुए खेतों में गेहूं की खेती करना चाहते हैं वह किसान इसकी पिछली किस्म की बुवाई 2 से 3 दिनों के अंदर करें.
इस मौसम में आलू एवं टमाटर की फसल में अंगमारी रोग का प्रकोप दिखने के लिए मिल सकता है. इसके अलावा मटर एवं लत्तर वाली सब्जियों में फफूंदी जनित रोग होने की संभावना बनी रहती है. जबकि अरहर एवं मटर में फल छेदक के लिए तथा बैगन की फसल में तना छेदक एवं फल छेदक कीट की के आक्रमण की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. इसलिए किसानों को इस मौसम में इस कीट और बीमारी से बचाव के उपाय करना चाहिए और समय समय पर अपना खेतोंं का निरीक्षण करते रहना चाहिए. अगर अपनी फसलों पर इन रोग का लक्षण दिखाई दे या इस तरह का कोई आक्रमण दिखाई दे तो तुरंत ही किसानों को अनुशंसित फफूंदीनाशक कीटनाशक दवा का छिड़काव करना चाहिए.
जिन किसानों ने एक महीना पहले ही गेहूं की खेती की है वो खरपतवार नियंत्रण के लिए सिंचाईं के एक बाद जब खेत में पैर रखने की जगह हो जाए. लेकिन, खेत में 20-22 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से यूरिया का भुरकाव खेत में करें. जो किसान इस वक्त गेहूं खेती करना चाहते हैं. वह इसकी अनुशंसित किस्में एच आई 1544 एच आई 1563 बीबीडब्ल्यू 107 एचडी 3118 आदि की बुआई करने वाले जैसे किस्म की बुवाई करें.
जिन किसानों द्वारा आलू की बुवाई किए हुए 25 से 30 दिन का समय बीत चुका है. वह किसान खेत में मिट्टी चढ़ाने की शुरुआत कर दें. इसके लिए किसान यूरिया का भुरकाव करकें मिट्टी चढ़ा दें. इसके बाद सिंचाई जरूर करें.फसल में अगर अंगमारी रोग का लक्षण दिखाई दें तो अविलंब फफूंद नाशक, दवा रोड, ईमेल आई डी जेड केसर का पेड़ ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से करें. इस रोग की शुरुआत में निचली पतियों पर छोटी आकार के भूले चमकदार धब्बे बन जाते हैं. जिसमें पत्तियां सिकुड़ कर गिर जाती हैं, जिनके सामने आ गए थे. वहीं जिन किसानों ने पहले ही आलू की खेती की थी उनकी फसल की परिपक्वता को देखते हुए खुदाई से 7 से 10 दिन पहले ऊपर का पत्ता काट कर हवा में हटा दें. आलू की फसल के बाद खेत खाली हुए खेत में प्याज की खेती करें.
इस समय ठंड का प्रकोप काफी ज्यादा बढ़ गया है. ठंड के समय में गाय और बैल एमएफडी का प्रकोप बहुत अधिक होता है. इस रोग से बचाव के लिए पशुओं को टीकाकरण अवश्य करना चाहिए. अपने पालतू पशुओं को ठंड से बचाने के लिए इनके रहने की जगह के आसपास आग जलाकर स्थान को गर्म करना चाहिए तथा दरवाजे और खिड़कियों में जूट के बोरे का पर्दा हटा दें. साथ ही धूप निकलने के बाद ही पशुओं को घर से बाहर निकालें.
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