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पशुओं को लू से बचाता है पानी में मिला नमक और आटा, इस खास विधि से करें देखभाल

पशुओं को लू से बचाता है पानी में मिला नमक और आटा, इस खास विधि से करें देखभाल

अधिक गर्मी की लहरों के दौरान हीट स्ट्रोक के कारण पशुओं को तेज बुखार और बेचैनी होती है. पशुओं में खाने में अरुचि, तेज बुखार, हांफना, मुंह से जीभ बाहर आना, मुंह के चारों ओर झाग बनना, आंखें और नाक लाल होना, नाक से खून आना, दस्त होना, सांस कमजोर होना, दिल की धड़कन तेज होना आदि हीट स्ट्रोक के मुख्य लक्षण हैं.

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पशुओं में लू की समस्या पशुओं में लू की समस्या

चिलचिलाती गर्मी सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि पशुओं के लिए भी परेशानी का सबब बनती है. क्योंकि इस समय भारत के कई राज्यों में गर्मी के कारण तापमान तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में पशुओं को इस मौसम के हिसाब से देखभाल की जरूरत होती है. गर्मी के मौसम में दोपहर के समय तापमान तेजी से बढ़ता है. इस दौरान पशुओं को हीट स्ट्रोक का सबसे ज्यादा खतरा होता है. गर्मी के मौसम में पशुपालन व्यवसाय में होने वाले नुकसान से बचने के लिए पशुपालकों को अपने पशुओं को गर्मी से बचाने की जरूरत होती है. ऐसे में पशुओं को लू से बचाने के लिए पानी में मिला नमक और आटा मिलाया जाता है. क्या है ये खास विधि आइए जानते हैं.

पशुओं में लू लगना

अधिक गर्मी की लहरों के दौरान हीट स्ट्रोक के कारण पशुओं को तेज बुखार और बेचैनी होती है. पशुओं में खाने में अरुचि, तेज बुखार, हांफना, मुंह से जीभ बाहर आना, मुंह के चारों ओर झाग बनना, आंखें और नाक लाल होना, नाक से खून आना, दस्त होना, सांस कमजोर होना, दिल की धड़कन तेज होना आदि हीट स्ट्रोक के मुख्य लक्षण हैं. 'हीट स्ट्रोक' से पीड़ित पशु को तेज बुखार आता है और वह सुस्त हो जाता है. साथ ही खाना-पीना बंद कर देता है. शुरुआत में पशु की सांस लेने और नाड़ी की गति बढ़ जाती है. कभी-कभी नाक से खून भी बहने लगता है. पशुपालक द्वारा समय पर ध्यान न दिए जाने के कारण पशु की सांस दर धीरे-धीरे कम होने लगती है और पशु को चक्कर आने लगता है और वह बेहोशी की हालत में मर जाता है.

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लू लगने के उपचार

पशुपालक कुछ सावधानियां बरतकर अपने पशुओं को हीट स्ट्रोक से बचा सकते हैं. डेयरी इस तरह बनाएं कि सभी पशुओं के लिए उचित स्थान हो ताकि हवा आने-जाने के लिए जगह हो. शेड खुला और हवादार हो, इसका ध्यान रखें. हीट स्ट्रोक होने पर पशु को ठंडे स्थान पर बांधें और माथे पर बर्फ या ठंडे पानी की पट्टी बांधें ताकि पशु को तुरंत आराम मिले. पशु को दिन में 1-2 बार ठंडे पानी से नहलाना चाहिए. पशु के लिए पानी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. मवेशियों को गर्मी से बचाने के लिए पशुपालक उनके आवास में पंखे, कूलर और फव्वारा सिस्टम लगा सकते हैं. दिन में उन्हें अंदर ही बांधकर रखें. अगर पशु हीट स्ट्रोक से प्रभावित हो और ठीक न हो तो तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाएं. पशुओं को इलेक्ट्रोलाइट देना चाहिए.

इस विधि का करें इस्तेमाल

गर्मियों में पशुओं को भूख कम और प्यास ज्यादा लगती है. इसलिए पशुओं को दिन में कम से कम तीन बार पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाना चाहिए. इससे शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है. इसके अलावा पशुओं को पानी में थोड़ा नमक और आटा मिलाकर पिलाना चाहिए. पीने के लिए हमेशा साफ और ताजा पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होना चाहिए. पीने के पानी को छाया में रखना चाहिए. पशुओं का दूध निकालने के बाद उन्हें हो सके तो ठंडा पानी पिलाना चाहिए. गर्मियों में पशुओं को 3-4 बार ताजा ठंडा पानी पिलाना चाहिए. पशु को रोजाना ठंडे पानी से नहलाना भी उचित है. भैंसों को गर्मियों में 3-4 बार और गायों को कम से कम 2 बार नहलाना चाहिए. पशुओं को नियमित रूप से खाना खिलाना चाहिए. खाने और पानी के लिए बनी नांद को नियमित अंतराल पर साफ करते रहना चाहिए. रसोई का बचा हुआ और बासी खाना कभी भी पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए.