Breed Production: OPU-IVF से मां बनेंगी सड़क-खेतों में घूमने वाली छुट्टा गाय, हर गाय आएगी काम Breed Production: OPU-IVF से मां बनेंगी सड़क-खेतों में घूमने वाली छुट्टा गाय, हर गाय आएगी काम
Breed Production with OPU-IVF NDRI के निदेशक डॉ. धीर सिंह का कहना है कि ओवम पिक अप (OPU) इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक की मदद से भ्रूण को गाय के गर्भ में नहीं लैब में तैयार किया जाता है. उसके बाद उसे उसे गायों के गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है. फिर तय वक्त के मुताबिक गाय बच्चा दे देती है. ऐसा ही एक बच्चा हमारे यहां गाय ने दिया है.
India First IVF Calfनासिर हुसैन - New Delhi,
- Jul 15, 2025,
- Updated Jul 15, 2025, 8:34 PM IST
Breed Production with OPU-IVF देश में छुट्टा गाय सियासी मुद्दा बन चुकी हैं. छुट्टा गायों की वजह से सड़क पर एक्सीडेंट हो रहे हैं तो खेतों में फसल खराब हो रही है. ये वो गाय हैं जिन्हें पशुपालकों ने दूध न मिलने पर छोड़ दिया है. लेकिन अब ऐसी हर एक गाय का इस्तेमाल किया जा सकेगा. नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI), करनाल, हरियाणा और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), बरेली ने अब एक ऐसी तकनीक तैयार की है जिससे गाय और भैंसों को सरोगेट मदद बनाया जा सकेगा. साथ ही गाय के जितने ऐग (अंडे) का इस्तेमाल एक बच्चा पैदा कराने में किया जाता है उतने में अब 10 से 20 बच्चे तक पैदा हो सकेंगे.
गाय-भैंस में कैसे काम करती है OPU-IVF तकनीक?
- अल्ट्रासाउंड की मदद से गाय में अंडों की पहचान की जाती है.
- गाय के उन अंडों को बाहर निकाला जाता है.
- अंडों की संख्या 20 से 50 तक होती है.
- दो महीने में तीन बार तक गाय के अंडे निकाले जा सकते हैं.
- इन अंडों को लैब में बुल के सीमन के साथ फर्टिलाइज्ड किया जाता है.
- अंडों और बुल के सीमन की फर्टिलाइज्ड प्रक्रिाया से भ्रूण बनता है.
- लैब में तैयार भ्रूण को गाय के गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है.
- फिर गाय 240 से 250 दिन में बच्चे को जन्म दे देती है.
OPU-IVF तकनीक के फायदे क्या हैं?
- एक बार में एक गाय में 20 से 50 अंडे बनते हैं.
- प्रक्रिसया तरीके से बच्चा पैदा कराया जाए तो इन अंडों से गाय एक बच्चा देगी.
- OPU-IVF तकनीक का इस्तेमाल कर 10 से 20 बच्चे पैदा कराए जा सकते हैं.
- दो महीने में हमे एक गाय के अंडों से 30 से 60 बच्चे मिल सकते हैं.
- एक गाय में 20 से 21 दिन में अंडे बनते हैं.
- इस तकनीक से बच्चा पैदा कराने में समय की बचत होगी.
- जबकि प्राकृतिक तरीके से बच्चा पैदा होने में 5 से 7 साल लगते हैं.
NDRI ने हासिल की कामयाबी
- मार्च 2023 में क्लोन तकनीक से गिर नस्ल की गंगा बछिया का जन्म हुआ.
- 18 महीने की उम्र में गंगा ने यौवन हासिल कर लिया था.
- यौवन हासिल होते ही गंगा के अंडों का लैब में इस्तेमाल किया गया.
- गिर नस्ल के एक अच्छे बुल से गंगा के अंडों को फर्टिलाइज्ड किया गया.
- गंगा के अंडों से लैब में 12 भ्रूण तैयार किए गए.
- लैब में तैयार 5 भ्रूण को अलग-अलग पांच साहीवाल गायों में ट्रांसफर किया गया.
- 5 साहीवाल गायों में से एक गाय ने 11 जुलाई को एक बच्चे को जन्म दिया है.
IVRI बरेली को भी OPU-IVF तकनीक में मिली कामयाबी
- IVRI ने OPU-IVF तकनीक का इस्तेमाल गाय-भैंस दोनों में किया है.
- IVRI ने 6 गाय यानि 5 साहीवाल और एक थारपारकर पर रिसर्च की है.
- IVRI ने OPU-IVF तकनीक का इस्तेमाल एक मुर्रा नस्ल की भैंस पर भी किया है.
- साल 2022 में IVRI बरेली ने OPU-IVF तकनीक पर काम शुरू किया था.
निष्कर्ष-
OPU-IVF तकनीक का इस्तेमाल कर गाय-भैंसों के पैदा होने में लगने वाले वक्त को कम किया जा सकेगा. साथ ही गायों के अंडों का पूरा इस्तेमाल कर सकेंगे. साथ ही छुट्टा गायों का इस्तेमाल नस्ल बढ़ाने में किया जा सकेगा.
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