FMD Disease: गाय-भैंस को एफएमडी से बचाने के लिए क्या करें पशुपालक, जानें रोकथाम, उपाय और इलाज

FMD Disease: गाय-भैंस को एफएमडी से बचाने के लिए क्या करें पशुपालक, जानें रोकथाम, उपाय और इलाज

FMD Disease in Animals भारत दूध उत्पादन में नंबर वन है  बावजूद इसके डेयरी एक्सपोर्ट में हम काफी पीछे हैं. मीट एक्सपोर्ट की बात करें तो और भी बहुत सारे ऐसे देश हैं जो भारत से मीट खरीदना चाहते हैं, लेकिन बीमारियों के चलते नहीं लेते हैं. हालांकि देश को एफएमडी फ्री घोषित कराने के लिए टीकाकरण अभि‍यान चल रहा है. 

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FMD Disease: गाय-भैंस को एफएमडी से बचाने के लिए क्या करें पशुपालक, जानें रोकथाम, उपाय और इलाजगर्मी में कई बीमारियों की चपेट में आ सकती है गाय (प्रतीकात्मक तस्वीर)

FMD Disease in Animals खुरपका-मुंहपका (FMD) बीमारी से देश ही नहीं विदेशों के पशुपालक भी परेशान रहते हैं. इसके चलते उत्पादन तो घटता ही साथ में पशु की मौत का जोखि‍म भी बना रहता है. एनिमल हसबेंडरी कमिश्नर (Animal Husbandry Commissioner) अभि‍जीत मित्रा ने किसान (Kisan Tak) तक को बताया कि ये बीमारी उन पशुओं को होती है जिनके खुर होते हैं और खुरों के बीच में गैप होता है. इसमे गाय-भैंस, भेड़-बकरी और सुअर भी शामिल हैं. अभी तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन वैक्सीनेशन (Vaccination) कराने के बाद इस बीमारी को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. 

पशुओं में कैसे फैलती है एफएमडी बीमारी?

  • दूषित चारा और दूषित पानी पीने से पशुओं में एफएमडी बीमारी जल्दी फैलती है. 
  • बरसात के दौरान पशुओं द्वारा खुले में दूषित चारा-पानी खाने-पीने से. 
  • खुले में चरने के दौरान सड़ी-गली चीजें खाने से ये बीमारी फैलती है. 
  • फार्म पर नए आने वाले नए पशुओं से दूसरे पशुओं को हो जाती है. 
  • एफएमडी से पीड़ित पशु को एक ही बाड़े में दूसरे पशुओं के साथ रखने से. 

पशुओं में एफएमडी बीमारी के लक्षण कैसे पहचानें?

  • पशुओं को 104 से 106 डिग्री फारेनहाइट तक बुखार आएगा. 
  • पशु पीड़ि‍त होगा तो उसे भूख कम लगेगी. 
  • एफएमडी पीडि़त  पशु सुस्त रहने लगता है. 
  • पशु के मुंह से बहुत ज्यादा लार टपकना शुरू हो जाती है. 
  • पीडि़त पशु के मुंह में फफोले हो जाते हैं. 
  • एफएमडी पीडि़त पशु के जीभ और मसूड़ों पर फफोले हो जाते हैं. 
  • पशु के पैर में खुर के बीच घाव हो जाते हैं. 
  • एफएमडी से पीडि़त पशु गर्भ से है तो उसका गर्भपात हो जाता है. 
  • थन में सूजन और पशु में बांझपन की बीमारी आ जाती है. 

पशुओं में एफएमडी की रोकथाम कैसे की जा सकती है?

  • सबसे पहले अपने हर एक पशु का रजिस्ट्रेशन कराएं. 
  • पशुओं के कान में ईयर टैग डलवाएं. 
  • किसी भी पशु स्वास्थ्य केन्द्र पर एफएमडी के टीके लगवाएं. 
  • टीका लगवाने के बाद 10 से 15 दिन में पशु में प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है. 
  • बरसात के दौरान पशु के बैठने और खड़े होने की जगह को साफ और सूखा रखें. 

पशुओं को एफएमडी हो तो कैसे कराएं इलाज? 

  • मुंह के घावों को पोटेशियम परमैंगनेट सॉल्यूशन से धोएं. 
  • बोरिक एसिड और ग्लिसरीन का पेस्ट बनाकर पशु के मुंह की सफाई करें. 
  • खुर के घावों को पोटेशियम सॉल्यूगशन या बेकिंग सोडा से धोएं. 
  • पशुओं के घावों पर कोई भी एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं.

निष्कर्ष- 

देश-विदेश में एफएमडी बीमारी का कोई इलाज नहीं है. इलाज के नाम पर पशुओं का टीकाकरण कर बीमारी को कंट्रोल किया जाता है. दूसरा ऊपर बताए गए उपाय अपनाकर इसकी रोकथाम की जा सकती है. वहीं पशु और पशुओं को बांधने वाली जगह को साफ-सुथरा रखें. 

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