Green Fodder and NDDB बीते कुछ साल से सिर्फ हरा ही नहीं सूखे चारे की कमी भी महसूस की जा रही है. कमी के साथ हरा और सूखा चारा महंगे भी हो गए हैं. जिसका सीधा असर दूध के दाम पर पड़ रहा है. यही वजह है कि साल में दो-दो बार दूध के दाम बढ़ जाते हैं. चारे की कमी का असर पशुओं के हैल्थ पर भी देखने को मिल रहा है. इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुए यूपी सरकार ने नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) के साथ एक समझौता किया है.
समझौते के तहत NDDB को अंबेडकर नगर का चारा उत्पादन केंद्र सौंपा गया है. अब NDDB ही सलाह और उसकी दी गई तकनीक के मुताबिक यहां चारा उत्पादन होगा. इस समझौत के बाद अब NDDB पशुपालकों को अच्छा चारा उपलब्ध कराने में वे मदद करेगी.
हाल ही में लखनऊ में पशुओं से जुड़े एक कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्तमान हालात में केमिकल, पेस्टिसाइड, फर्टिलाइजर का ज्यादा इस्तेमाल नई बीमारियों को जन्म और बढ़ावा दे रहा है. कैंसर, खराब किडनी, लीवर की जांच रिपोर्ट बताती हैं कि केमिकल, पेस्टिसाइड व फर्टिलाइजर का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में किया जा रहा है. हमें इस समस्या के समाधान का रास्ता निकालना होगा. प्राकृतिक जीवन जीने के लिए प्राकृतिक खेती महत्वपूर्ण है. प्राकृतिक खेती गो आधारित खेती ही है, भारतीय नस्ल का गोवंश उसमें बड़ी भूमिका का निर्वहन कर सकता है.
कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी ने जानकारी देते हुए बताया कि यूपी के 27 जिलों में हम लोगों ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान चलाया हुआ है. बुंदेलखंड के सातों जनपदों में हम प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित कर रहे हैं. गो आधारित खेती के महत्व को बढ़ाने की दिशा में प्रयास प्रारंभ हुए हैं. ये कोशिश किसानों की आमदनी को बढ़ाने में भी मददगार होगी. किसान की आमदनी-समृद्धि बढ़ेगी तो देश समृद्धि के नए सोपान को प्राप्त करेगा. आत्मनिर्भर व विकसित भारत के संकल्पों को पूरा करने में भी प्राकृतिक खेती से मदद मिलेगी.
ये भी पढ़ें- Fish Farming: कोयले की बंद खदानों में इस तकनीक से मछली पालन कर कमा रहे लाखों रुपये महीना
ये भी पढ़ें- Cage Fisheries: 61 साल बाद 56 गांव अपनी जमीन पर कर रहे मछली पालन, जानें वजह
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today