Animal Care in Rainy Season अगर ये कहा जाए कि बरसात के मौसम में दुधारू पशुओं यानि गाय-भैंस को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है. पशुपालकों को भी पशुओं की ज्यादा देखभाल करनी होती है. क्योंकि देखभाल में जरा सी भी कोताही हुई तो फिर पशुओं का बीमार होना तय है. लेकिन, खासतौर पर बरसात के दिनों में पशुओं को हर छोटी-बड़ी बीमारी से बचाया जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि पशुओं के शेड में कुछ जरूरी इंतजाम किए जाएं. बरसात के दिनों में शेड की साफ-सफाई पर खास ध्यान दिया जाए.
पशुओं की बीमारियों के साथ ही पशुपालक की लागत भी बढ़ जाती है. लेकिन देखभाल के साथ ही अगर पशुओं को दिए जाने वाले चारा-पानी और वैक्सीन पर ध्यान दिया जाए तो संक्रमण फैलने से रोका जा सकता है. संक्रमण अगर ज्यादा हो जाए तो गांव-कस्बों के पशु अस्पताल में पशुओं को बीमारी से सुराक्षित रखने वाली सरकारी योजनाओं का फायदा भी उठाया जा सकता है.
बरसात के दिनों में बछड़ों को बाहर खुला नहीं छोड़ना चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि बछड़ों में बीमारियों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होती है. बछड़ों के शरीर में पानी की मात्रा ज्यादा होती है और ठंड से उनका तनाव बढ़ जाता है. इसलिए बछड़ों को गर्मी दी जानी चाहिए, बछड़ों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दूध पिलाया जाना चाहिए. बछड़ों को ठंड के झटकों से बचाने के लिए कपड़े पहनाए जाने चाहिए. तीन महीने से ज्यादा उम्र के बछड़ों को कृमिनाशक दवा दी जानी चाहिए. छह महीने से ज्यादा उम्र के बछड़ों को बीक्यू और एचएस का टीका लगवाया जाना चाहिए.
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