इंसान ही नहीं पशुओं को भी बरसात भीषण गर्मी से राहत दिलाती है. लेकिन बारिश जितनी राहत भरी होती है उतनी खतरनाक भी, जैसे ज्यादा हो जाए तो बाढ़ का खतरा. खेतों में जलभराव हो तो हरे चारे की किल्लत. इतना ही नहीं तमाम तरह की छोटी-बड़ी संक्रमित बीमारियां तो जैसे बारिश के पीछे-पीछे ही चलती हैं. ऐसे ही भेड़-बकरियों के लिए भी बारिश का मौसम बीमारियों की सौगात लेकर आता है. ऐसी ही एक बीमारी है एंटरोटॉक्सिमिया. इसे फड़किया बीमारी भी कहते हैं. ये बीमारी ज्यादा खाने के चलते होती है.
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो बरसात के दौरान इस बीमारी की बैक्टीरिया बहुत ज्यादा एक्टिीव रहता है. एनिमल साइंटिस्ट अभी तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं खोज पाए हैं. लेकिन वक्त रहते वैक्सीनेशन कराने से इस बीमारी की रोकथाम जरूर की जा सकती है. बकरियों से ज्यादा ये बैक्टीरिया भेड़ों पर अटैक करता है. लेकिन बख्श्ता बकरियों को भी नहीं है.
ये भी पढ़ें: Dairy Milk: डेयरी बाजार में बड़ी हलचल मचा सकता है दूध पाउडर, किसान-कंपनी सभी हैं परेशान
निवेदी संस्थान की ओर से जारी किए गए अलर्ट के आंकड़ों पर जाएं तो फड़किया बीमारी जुलाई के दौरान देश के 29 शहरों में भेड़ और बकरियों को अपना शिकार बन सकती है. संस्थान ने जुलाई में फड़किया का सबसे ज्यादा खतरा झारखंड में बताया है. यहां 12 जिले बीमारी के लिहाज से खतरनाक बताए गए हैं. वहीं कर्नाटक में नौ जिलों को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. दूसरी ओर अगस्त के लिए जारी अलर्ट में बताया गया है कि देश के कुल 63 शहर में फड़किया बीमारी अटैक कर सकती है. इस महीने सबसे ज्यादा मामले कर्नाटक के 21 जिलों में सामने आ सकते हैं. वहीं असम के भी 12 जिले अलर्ट की लिस्ट में शामिल हैं. जबकि झारखंड के 11 जिलों में ये बीमारी अपना असर दिखा सकती है.
फड़किया बीमारी की बात करें तो पहले भेड़-बकरी को दस्त होते हैं. फिर एक दम से दस्त बंद हो जाते हैं. लेकिन दो ही दिन बाद अचानक से भेड़-बकरी में जरूरत से ज्यादा कमजोरी आ जाती है. वो ठीक से चल भी नहीं पाती हैं. चलने की कोशिश करती हैं तो लड़खड़ा कर गिर जाती हैं. फिर से उसे एक-दो दस्त आते हैं. लेकिन इस बार दस्त के साथ थोड़ा सा खून भी आने लगता है. इसके बाद उस पशु की मौत हो जाती है. और यह सब होता है पशु की आंत में अचानक से पनप उठे एक बैक्टीरिया के कारण.
ये भी पढ़ें: डेटा बोलता है: बढ़ते दूध उत्पादन से खुला नौकरियों का पिटारा, जानें कैसे
जब भेड़ों के झुंड बाहर खुले में चरने के लिए जा रहे हों तो बेहद जरूरी है कि हम पहले उसे सूखा चारा और मिनरल्स जरूर दें. सूखा चारा खूब खिलाने से हरे चारे में मौजूद नमी का स्तर सामान्य हो जाता है. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो पशु को सूखे चारे के तौर पर कई तरह का भूसा दिया जा सकता. वहीं मिनरल्स में खल, बिनौले, चने की चूनी आदि दी जा सकती है.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today