Poultry India Expo-2024: रेडी टू कुक-रेडी टू ईट बनेगा चिकन प्रोसेसिंग का इंजन, जानें 5 साल में कितना बढ़ेगा प्रोडक्शन

Poultry India Expo-2024: रेडी टू कुक-रेडी टू ईट बनेगा चिकन प्रोसेसिंग का इंजन, जानें 5 साल में कितना बढ़ेगा प्रोडक्शन

किसी भी दूसरे सेक्टर के मुकाबले पोल्ट्री सेक्टर तेजी से बढ़ने वाला सेक्टर बन चुका है. अंडा ही नहीं चिकन की डिमांड और प्रोडक्शन दोनों ही बढ़ रहे हैं. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो बीते 20 से 25 साल में पोल्ट्री सेक्टर ने एक बड़ी छलांग लगाई है. 20वीं पशुधन गणना के मुताबिक देश में पोल्ट्री की कुल आबादी 85 करोड़ है. बीते साल 14 हजार करोड़ अंडों का उत्पादन हुआ था. 

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Nov 28, 2024,
  • Updated Nov 28, 2024, 10:52 AM IST

पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो अंडे-चिकन के कारोबार से जुड़ा ये सेक्टर तेजी से ग्रोथ कर रहा है. वो भी तब जब उसे सरकारों से कोई खास मदद नहीं मिल रही है. ऐसे में पोल्ट्री सेक्टर के लिए एक और अच्छी खबर आ रही है. और खबर ये है कि आने वाले पांच साल में चिकन प्रोसेसिंग इंडस्ट्री और ज्यादा बढ़ेगी. और इस इंडस्ट्री का इंजन बनेगा रेडी टू कुक-रेडी टू ईट. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो देश के बड़े शहरों में रेडी टू कुक-रेडी टू ईट का कल्चर बढ़ रहा है. खासतौर से कामकाजी युवाओं और वर्किंग कपल के बीच रेडी टू कुक-रेडी टू ईट काफी तेजी से अपनी जगह बना रहा है. 

इसी का फायदा चिकन प्रोसेसिंग सेक्टर को मिल रहा है. ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि पांच साल बाद यानि साल 2030 में चिकन प्रोसेसिंग कारोबार 25 से 30 फीसद तक बढ़ जाएगा. बीते साल की ही बात करें तो देश में 50 लाख टन से ज्यादा चिकन का उत्पादन हुआ था. चिकन उत्पादन के मामले में देश विश्व में आठवें नंबर पर है. आज देश के कुल मीट उत्पादन में 52 फीसद से भी ज्यादा की हिस्सेदारी चिकन की है.  

ये भी पढ़ें: हैदराबादी बिरयानी नहीं, हैदराबादी चिकन बिरयानी बोलिए...पोल्ट्री सेक्टर के लिए बन रहा प्लान

 इसलिए भी बढ़ रहा है Ready to cook-ready to eat 

पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) के प्रेसिडेंट रनपाल डाहंडा का कहना है कि आज फास्ट फूड में चिकन की डिमांड बढ़ रही है. कोरोना के बाद से साफ-सफाई के चलते अब लोग स्ट्रीट कटर से मुर्गा कटवाना पसंद नहीं करते हैं. वहीं बड़े शहरों में नौकरी पेशा के सामने वक्त पर खाने-पीने की बड़ी परेशानी होती है. ऐसे में वो रेडी टू कुक और रेडी टू ईट की तरफ रुख कर रहे हैं. होम डिलीवरी ने भी फ्रोजन और पैक्ड चिकन की डिमांड बढ़ा दी है. हालांकि डिमांड में अभी वो रफ्तार नहीं है जो होनी चाहिए. इसके पीछे भी कोल्ड चैन समेत कई और वजह भी हैं. अभी ड्रेस चिकन यानि प्रोसेसिंग का आंकड़ा कुल चिकन उत्पादन का छह से सात फीसद ही है. 

कोल्ड स्टोर-रेफ्रिजरेटर वैन की चेन बनेगी मददगार 

पीएफआई के कोषाध्यक्ष रिकी थापर ने बताया कि एक जानकारी के मुताबिक केएफसी भारत में अपना कारोबार बढ़ाने जा रहा है. एक ऐसा कारोबार जो कभी पहले चीन में हुआ करता था. ये तो रही एक केएफसी की बात, इसके अलावा मैकडोनाल्ड जैसे और भी हैं जहां फास्ट फूड में चिकन की डिमांड बढ़ रही है. केएफसी और उसकी तरह से काम करने वाले दूसरे लोगों को अपनी जरूरत के मुताबिक ड्रेस चिकन (प्लांट में कटा) की जरूरत होती है. ये लोग फ्रेश चिकन पसंद नहीं करते हैं. जैसे कुछ लोग दुकानों पर काटकर सीधे ग्राहक को बेच देते हैं. ऐसे लोगों को प्रोसेसिंग प्लांट का चिकन चाहिए. और इसके लिए सबसे पहले जरूरत होगी कोल्ड स्टोरेज की. ऐसे कोल्ड स्टोर जहां माइनस 40 डिग्री में चिकन को रखा जा सके. 

ये भी पढ़ें: National Milk Day: दूध ही नहीं दवाई भी हैं, क्या आप जानते हैं इन 5 फ्यूचर मिल्क के बारे में

इतना ही नहीं जब डिमांड आए तो उसी तरह की रेफ्रिजरेटर वैन भी हो. जिससे की माइनस 40 डिग्री तापमान के कोल्ड स्टोर से निकले चिकन को रेफ्रिजरेटर वैन में भी उसी तापमान पर रखकर पार्टी का आर्डर पूरा कर दिया जाए. अभी इस तरह के कोल्ड स्टोर और रेफ्रिजरेटर वैन हमारे पास कम हैं. खाने-पीने की आदत बदलने और शहरी आबादी की संख्या बढ़ने के चलते घरेलू बाजार में चिकन (पोल्ट्री मीट) की डिमांड बढ़ी है. साल 2001-02 में चिकन का उत्पादन सिर्फ 10 लाख टन था. लेकिन अब ये 50 लाख टन को भी पार कर गया है.
 

 

MORE NEWS

Read more!